पंचतंत्र की 101 कहानियां Pdf | 101 Panchatantra Stories Hindi Pdf

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101 Panchatantra Stories Hindi Pdf

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

एक नगर में रामू, श्यामू, गोलू और जीतू नामक चार बच्चे रहते थे। यह चारो एकदम से आलसी और निकम्मे थे। समय के साथ यह चारो बड़े हो गए फिर भी इनकी आदत में कोई बदलाव नहीं हुआ, इनके घर वाले इन्हे घर से निकाल दिए। इन चारो को भोजन के लाले पड़ गए।

 

 

 

इन आलसी और निकम्मे लोगो को कही भी ठिकाना नहीं मिलता था। सारे लोग इन चारो का उपहास करते थे। अब चारो दोस्तों ने अपना नगर छोड़ देने का फैसला किया फिर एकसाथ ही चल पड़े। दूसरे नगर में भी इनकी आदत के कारण कही ठिकाना नहीं मिला।

 

 

 

निराश होकर वहां से भी यह लोग चल पड़े। भूख प्यास से बेहाल यह चारो दोस्त गोमती नदी के तट पर पहुंच गए। वहां पर इन चारो दोस्तों ने स्नान किया फिर पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई। गोमती नदी से थोड़ी दूर पर एक तपस्वी का आश्रम था।

 

 

 

उसने इन चारो को अपने पास बुलाकर पूछा – तुम लोग कहां जा रहे हो? रामू बोला – महाराज! हम लोग धन कमाने के लिए विदेश जाने की इच्छा रखते है। धनहीन होने से ही अपने लोगो ने भी हमारा साथ छोड़ दिया है क्या आप हम लोगो को कोई ऐसा उपाय बता सकते है कि हम लोगो की शीघ्रता के साथ धन की प्राप्ति हो जाय?

 

 

 

महात्मा बोले – मैं तुम्हे एक कमंडल में जल दे रहा हूँ। यहां से उत्तर की तरफ चले जाओ इस कमंडल से जिस स्थान पर जल गिर जाए वही पर खुदाई करना तुम्हे बहुत सारा धन प्राप्त होगा। चारो मित्र एक साथ उत्तर की तरफ चल दिए उनके हाथ में जल से भरा हुआ कमंडल था।

 

 

 

कमंडल रामू ने अपने हाथ में ले रखा था। काफी दूर चलने पर कमंडल से जल छलक गया। चारो दोस्त मिलकर खुदाई करने लगे काफी जमीन खोदने के बाद वहां तांबे का भंडार मिला। जीतू अपने सभी दोस्तों से बोला – सभी लोग इसमें से ढेर सारा तांबा लेकर घर वापस लौट चलो हम लोग का अच्छी तरह से गुजारा हो जायेगा।

 

 

 

रामू बोला – जीतू! तुम वापस जाओ लेकिन हम लोग अभी और आगे चलेंगे इसका कारण यह है कि जब यहां तांबे की खान मिली है तो आगे इससे भी बहुमूल्य धातु मिल सकती है। जीतू बहुत सारा तांबा लेकर घर लौट आया। अब तीनो लोग आगे बढ़ने लगे।

 

 

 

जल से भरा हुआ कमंडल रामू के हाथ में था एक स्थान पर कमंडल से जल छलक पड़ा तीनो दोस्त ने वहां पर जमीन खोदना चालू किया काफी प्रयास करने पर वहां चांदी का भंडार दिखाई दिया। गोलू उसमे से बहुत सारी चांदी इकट्ठा किया और बोला – तुम सभी लोग भी चांदी लेकर घर वापस वापस लौट चलो।

 

 

 

रामू बोला – पहले तांबे का भंडार मिला फिर चांदी का भंडार मिला अतः हमे और आगे बढ़ने पर इससे भी बहुमूल्य खजाना प्राप्त हो सकता है। गोलू बोला -मैं तो चांदी लेकर घर वापस लौट जाऊंगा अब हमारे पास आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं है।

 

 

 

रामू और श्यामू दोनों कमंडल का जल लेकर आगे बढ़ने लगे। बहुत दूर जाने पर फिर कमंडल से जल छलक बाहर गिर गया। रामू और श्यामू ने बहुत मेहनत से वहां पर जमीन खोद डाली। बहुत गहराई के पश्चात उन्हें बहुत बड़ी स्वर्ण चट्टान दिखाई पड़ी।

 

 

 

श्यामू बहुत उतावला होकर स्वर्ण इकट्ठा करने लगा फिर रामू से बोला – रामू! तुम भी अपनी आवश्यकता के अनुसार स्वर्ण लेकर घर लौट चलो। रामू बोला – तुम स्वर्ण लेकर घर चले जाओ मैं तो अभी और आगे तक जाऊंगा आगे जाने पर इससे भी बहुमूल्य धातु का भंडार मिल सकता है।

 

 

 

श्यामू के काफी प्रयास करने पर भी रामू नहीं माना तब श्यामू घर की तरफ लौट पड़ा और रामू आगे बढ़ गया। आगे पर्वत की चढ़ाई थी पर्वत पर वर्फ जमी हुई थी। रामू को प्यास लगी थी तथा काफी थक जाने से ठंडक भी लग रही थी पर वह कीमती धातु की लालच में आगे बढ़ता चला गया।

 

 

 

बहुत ऊंचाई पर जाने के बाद उसे एक आदमी दिखाई पड़ा। उसके ललाट पर बड़ा सा काला गोला लगा हुआ था। रामू उस अजनबी आदमी से पूछा – क्या मुझे यहां पानी मिल सकता है? अजनबी आदमी ने एक तरफ इशारा करते हुए कहा – तुम वहां जाकर प्यास बुझा सकते हो।

 

 

 

रामू अपनी प्यास बुझाकर आया फिर अजनबी आदमी से पूछा – यह आपके ललाट पर बड़ा सा गोला क्यों लगा हुआ है? रामू का इतना कहना था कि वह बड़ा सा काला गोला अजनबी आदमी के ललाट से निकलकर रामू के ललाट पर चिपक गया।

 

 

 

रामू परेशान होकर अजनबी आदमी से पूछा – ऐसा क्यों हुआ? यह काला गोला आपके ललाट से हमारे ललाट पर क्यों चिपक गया? तुम्हारी तरह मैं भी यहां आया था और एक अजनबी से यह काले गोले के बारे में पूछा तभी से यह काला गोला हमारे ललाट पर चिपक गया।

 

 

 

रामू अजनबी से पूछा – हमे यहां कितने दिन रहना पड़ेगा। अजनबी बोला – कोई आकर तुमसे भी इस काले गोले के विषय में प्रश्न करेगा तब तुम्हे इससे मुक्ति प्राप्त हो सकती है। इसमें दो चार दिन भी लग सकते है या कई युग भी व्यतीत हो सकते है।

 

 

 

तुम्हे मैं बता दूँ कि मुझे इस काले गोले से मुक्त होने में त्रेता और द्वापर का युग बीत गया और कलयुग आ गया फिर तुम्हारे प्रश्न से ही हमारी मुक्ति संभव हुई इतना कहकर वह अजनबी चला गया। अब रामू पछता रहा था कि उसने श्यामू की बात मान लिया होता तब उसे ऐसा दिन नहीं देखना पड़ता।

 

 

 

 

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