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Acha Bolne Ki Kala Aur Kamyabi Book Pdf
पुस्तक का नाम | Acha Bolne Ki Kala Aur Kamyabi Book Pdf |
पुस्तक के लेखक | डेल कार्नेगी |
भाषा | हिंदी |
पुस्तक की साइज़ | 990 Kb |
फॉर्मेट | |
कुल पृष्ठ | 147 |
श्रेणी |



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सिर्फ पढ़ने के लिए
अगर हम लोग 50 टन कच्चा बांस मणिपुर और त्रिपुरा से मंगाए तो सब खर्चा निकालकर एक बांस 25 रुपये का पड़ेगा और वहां से चार कारीगर भी लेते आएंगे जो यहां आकर अपने इन कारीगरों को कुछ अलग सिखा तो हमारी कम्पनी की गुणवत्ता में सुधार हो जायेगा।
उसके साथ ही हमारी कमाई भी बढ़ जाएगी क्योंकि मणिपुर और त्रिपुरा के बांस गुणवत्ता में भी अच्छे होते है। लेकिन वहां के लोग हिंदी कम समझते है तो क्या हुआ हम लोग अंग्रेजी में बात कर लेंगे और ज्यादा परेशानी आयी तो वहां दुभाषिये भी मिल जाते है और व्यापार करने वाला आदमी प्रायः सभी भाषाओ को समझ जाता है।
रजनी सुधीर के इस विचार पर खुश भी थी और हैरान भी थी। तभी उसे दो लोग आते हुए दिखाई पड़े। रजनी बोली देखो सुधीर यह कौन लोग आ रहे है। सुधीर ने देखा तो उसके पिता के साथ प्रताप भारती आ रहे थे। सुधीर और रजनी रघुराज और प्रताप भारती को देखते ही नमस्ते करते हुए उठकर खड़े हो गए।
प्रताप भारती और रघुराज सोनकर कुर्सी पर बैठ गए जो बांस की बनाई हुई थी। प्रताप भारती ने बांस की बनी हुई कुर्सी की प्रशंसा करने लगे। तभी सुधीर ने नौकर को चाय और पानी लाने के लिए कह दिया। प्रताप भारती ने पूछा सुधीर बेटा आपका व्यवसाय कैसा चल रहा है।
सुधीर बोला चाचा जी यह सब तो रजनी दीदी की वजह से ठीक चल रहा है। इसके लिए इन्होने अधिक परिश्रम किया। हम लोगो का यह बचपन का सपना था जो सरोज सेवा केंद्र के सहयोग के बिना संभव नहीं हो सकता था और इसके प्रेरणा श्रोत भी आप ही है।
प्रताप भारती बोले क्या आप लोग हमे कुछ सहयोग प्रदान कर सकते है? सुधीर बोला हम लोग आपको कौन सा सहयोग दे सकते है? उसी समय रघुराज बोले दरअसल बात यह है कि प्रताप भाई को एक ऐसे आदमी की आवश्यकता है जो बंगलोर में इनकी कम्पनी की पूरी जिम्मेदारी संभाल सके।
यहां तुम लोगो की मेहनत और लगन देख करके ही इन्होने सहयोग की बात कहा है। सुधीर और रजनी की कम्पनी ‘रजनी हस्त कला केंद्र’ को देखकर प्रताप भारती बहुत प्रभावित हुए थे और बात करते हुए वहां से निकल गए थे। रघु और प्रताप बाते करते हुए घर की तरफ जा रहे थे।
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