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Acting Books In Hindi Pdf
चंदनपुर गांव में एक विद्वान पंडित रहते थे। उनका नाम सतिराम शर्मा था उनके साथ उनकी अर्धागिनी कोमल रहती थी। चंदनपुर के लोग विद्वानों का आदर करते थे इस वजह से पंडित सतिराम का जीवन भली प्रकार से कट रहा था। पंडित सतिराम का पैतृक स्थान चंद्रपुर में था।
दोनों गांव के बीच में एक नदी बहती थी। उस नदी के पानी का उपयोग दोनों गांव के लोग करते थे अतः दोनों गांव के लोग एक दूसरे को भली प्रकार से जानते थे। चंदनपुर गांव में बुधिया नामक एक अनपढ़ गंवार रहता था उसके साथ पंडित सतिराम से किसी बात को लेकर अनबन हो गयी थी।
सभी गांव के लोग मिलकर बुधिया को गांव से बाहर निकाल दिए थे। बुधिया अपने अपमान के लिए पंडित सतिराम को दोषी मानता था। वह उनसे बदला लेने का उपाय ढूंढने लगा। बुधिया गंवार तो था ही वह अपने गंवारूपन से ही पंडित सतिराम को पराजित करके अपना हिसाब चुकता करना चाहता था।
काफी दिनों के बाद बुधिया ने पंडित का रूप बनाया और चंदनपुर गांव की तरफ चल पड़ा। उसने अपने मस्तक पर चंदन का बड़ा त्रिपुण्ड लगा लिया था। बुधिया चंदनपुर में सीधा मुखिया और सरपंच के समक्ष उपस्थित हो गया। उसे देखकर सरपंच और मुखिया बोले – अरे यह तो अपने गांव का बुधिया है इसने कैसा रूप बना रखा है।
बुधिया बोला – अब मैं बुधिया नहीं हूँ। जब आप लोगो ने मुझे गांव से निकाल दिया था तब मैंने खूब अच्छी तरह से अध्ययन किया फिर मैं विद्वान पंडित बन गया अब मेरा नाम पंडित बुधिराम है। सरपंच और मुखिया बोले – कल दस बजे सुबह तुम्हे पंडित सतिराम से विद्वतापूर्ण चर्चा करनी होगी।
तुम अगर पंडित सतिराम को परास्त कर दोगे तब ही यहां रह सकते हो। बुधिया पंडित सतिराम से चर्चा करने के लिए तैयार हो गया। यह खबर पंडित सतिराम को भी मालूम हो गयी। वह अपने घर में अपनी पत्नी से कुछ बात कर रहे थे। कोमल ने पंडित सतिराम से पूछा – कल आप पंडित बुधिराम से कौन सा प्रश्न पूछने वाले है?
सतिराम ने कहा – मैं बुधिराम से पूछूंगा गणेश को ही गौरीनंदन क्यों कहा जाता है? यह सब वार्तालाप बुधिराम पंडित सतिराम के घर के पीछे छुपकर सुन रहा था। दूसरे दिन दस बजे पंडित बुधिराम और पंडित सतिराम के मध्य चर्चा होनी थी सभी लोग जमा हो गए थे।
सरपंच ने पंडित सतिराम से प्रश्न करने के लिए कहा – पंडित सतिराम ने कहा – पंडित बुधिराम जी! यह बताइये कि गणेश को ही गौरीनंदन क्यों कहा जाता है? पंडित बुधिराम ने उत्तर दिया – गौरी ने ही गणेश को उत्पन्न किया था अतः गणेश को ही गौरीनंदन कहा जाता है। सभी लोग वाह वाह करने लगे।
सरपंच ने पंडित बुधिराम से कहा – अब आप प्रश्न करिये। पंडित बुधिराम ने पूछा – पंडित सतिराम जी! आप यह बताइये ठंडी के महीने के अलावा ठंड कब-कब लगती है? पंडित सतिराम उत्तर नहीं दे पाए। सरपंच और मुखिया ने उन्हें पराजित मानकर गांव से बाहर निकाल दिया।
सतिराम और कोमल दोनों अपने पैतृक गांव चंद्रपुर आ गए तथा सतिराम ने अपने भाई को सारी कथा कह सुनाई। सतिराम का भाई रामपति ने एक किसान के रूप में चंदनपुर पहुंचकर पंडित बुधिराम की बहुत चापलूसी करते हुए कहा – आपने सतिराम को हरा दिया।
आप तो बहुत बड़े विद्वान है लेकिन यह तो बताइये कि ठंड के महीने को छोड़कर ठंड कब-कब लगती है। अपनी बड़ाई सुनकर बुधिराम ने गर्व से कहा – धन बदरी जब बहै बतासा, ठंडी लागे बारह मासा। रामपति बोला – इसे विस्तार पूर्वक सुनाइए।
बुधिराम ने कहा – जब घने बादल छाये हुए हो और बरसात हो रही हो ऐसा मौसम अगर बारह महीने रहे तो बारहो महीने ही ठंड लगती है। दूसरे दिन एक साधु चंदनपुर गांव में आये और अपनी विद्वतापूर्ण बातो से सरपंच और मुखिया को प्रभावित कर दिया तथा पंडित बुधिराम से चर्चा करने के लिए कहने लगे।
दूसरे दिन पंडित बुधिराम और साधु महाराज आमने सामने थे। सरपंच ने बुधिराम से प्रश्न करने के लिए कहा बुधिराम ने पूछा – महाराज! बताइये ठंड के मौसम के अलावा कब-कब ठंड लगती है। साधु महाराज ने उत्तर दिया – धन बदरी जब बहै बतासा ठंडी लागे बारहो मासा।
बुधिराम ने कहा – इसे विस्तार सहित बताओ। साधु महाराज बोले – जब घने बादल छाये हुए हो बरसात हो रही हो ऐसा मौसम अगर रहे तो ठंडी कभी भी लगती है। साधु ने प्रश्न किया – वह कौन सी चीज है जो दबाने से नहीं दबती तथा चेहरे पर प्रकट हो जाती है।
पंडित बुधिराम उत्तर नहीं दे सका और पराजित होकर गांव छोड़कर चला गया। इस प्रकार से बुधिया की भाषा में ही रामपति ने उसे पराजित करके अपने भाई के अपमान का बदला ले लिया। रामपति प्रतिदिन अपने भाई सतिराम के पास जाकर सभी ज्योतिषीय कार्य सीखता था ताकी कोई भी उसे पराजित नहीं कर सके।
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