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Akram Allahabadi Novels Hindi Pdf Download
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सिर्फ पढ़ने के लिए
पराग बोले – उसने हमे धोखा क्यों दिया? यह बात तुमने हमे क्यों नहीं बताई। रचना बोली – आभा ने धोखा नहीं दिया बल्कि उसने सच्चाई जानने का प्रयास किया है जहां जिंदगी का प्रश्न होता है वहां सच्चाई का पता लगाना आवश्ययक होता है।
क्योंकि आज के इस आधुनिक युग में प्रायः सभी युवक अपने जीवन को नशे की अँधेरी राह पर दौड़ा रहे है। पराग बोले – क्या तुमने भी कम्पनी से जुड़ने के लिए ऐसा कोई प्रयास किया था? रचना बोली – पिता जी मैं पहले से ही भिखारन थी और इन अनाथ भिखारियों की सेवा के लिए ही मुझे भिखारियों का मुखौटा लगाना पड़ा था।
यह बात कार्तिक को मालूम हो गयी थी इसलिए हमने कम्पनी में काम करने का फैसला लिया था और वही कार्तिक को समझने का मौका मिला था और आप भी हमारी कार्य प्रणाली को परख चुके थे। पराग बोले – इसलिए ही मैंने तुम्हे उत्तरदायित्व देने का फैसला किया था।
रचना बोली – लेकिन पिता जी इस सारी घटना में राजिंदर ने अवरोध पैदा कर दिया है और यही सोचते हुए हमारी तबीयत खराब हो गयी थी। पराग बोले – हमारे सामने ही इसी परिस्थिति ने असमंजस पैदा कर दिया है और अब तुम्हे ही उसका हल ढूँढना होगा।
रचना बोली – कल ही कोई रास्ता मिकलेगा अभी तो शाम हो गयी है। विरजू के साथ सभी लोग गांव की लौट आये। रात्रि हो गयी थी। प्रभा ने सबके लिए भोजन का प्रबंध कर दिया था। भोजन करने के बाद सभी लोग रात्रि विश्राम करने लगे।
कार्तिक विनीत आभा के साथ कम्पनी और दुकान को संभाल रहा था। आभा सात बजते ही घर चली आती थी और केतकी के साथ रसोई में सहयोग करती थी। पराग, रचना और प्रिया को गांव आये दस दिन हो गए थे। कार्तिक एक दिन अपनी मां केतकी से बोला – मां! वह पंजाबी युवक राजिंदर वापस कलकत्ता आया ही नहीं।
केतकी बोली – राजिंदर के नन्ही रहने से क्या फर्क पड़ता है? यह बात केतकी के पास खड़ी आभा को सुनकर हंसी आ गयी। एक व्यापारी का लड़का होने से कार्तिक समझ गया कि कोई राज उसकी मां उससे छुपा रही है। अब उसने पता लगाने का निश्चय कर लिया।
कार्तिक की कम्पनी में गोलू नाम का एक सफाई कर्मचारी था। कार्तिक ने उससे ही सारी बात पता कर लिया था। गोलू ने ही कार्तिक को बताया था जब आप गांव गए थे उसी दिन राजिंदर कही चला गया और रचना प्रिया के साथ ही रचना के जैसी एक अन्य युवती ऑफिस में कार्य करने के लिए आती थी।
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