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सिर्फ पढ़ने के लिए
अगर आप हमारे ऊपर भरोसा करे तो मैं इस कार्य के लिए तैयार हूँ। प्रताप भारती ने कुछ उत्तर नहीं दिया लेकिन सोचने लगे। रोशन और प्रताप भारती की बातो को सरिता बहुत गौर से सुन रही थी लेकिन उसे रोशन की बात अच्छी नहीं लगी थी। अब दोनों आगरा लौट आये थे।
प्रताप भारती सोचने लगे अगर नरेश और विवेक दोनों इस कम्पनी को संभालने आ जायेगे तो रोशन भविष्य में उन दोनों के लिए परेशानी पैदा कर सकता है। इसलिए नरेश और विवेक को कानून के माध्यम से ही कम्पनी का दायित्व सौपना पड़ेगा।
कुछ समय के बाद प्रताप भारती अपनी लड़की निशा भारती को फोन किया तो दूसरी तरफ से निशा बोली प्रणाम पिता जी! आशीर्वाद देने के बाद प्रताप भारती बोले बेटी मैं तुमसे एक बात पूछना चाहता हूँ। निशा बोली क्या बात पूछना है? प्रताप बोले क्या रोशन तुम्हारे पास बैठा है?
निशा बोली हां प्रताप बोले तुम लोग तो हमारी कम्पनी संभालोगे नहीं! निशा बोली हम लोग तो यही पर व्यस्त है वहां नहीं आ सकते। प्रताप बोले अगर मैं इस कम्पनी का संचालन किसी दूसरे के हाथो में सौप दूँ तो तुम्हे किसी प्रकार की परेशानी तो नहीं होगी।
निशा बोली हमे कोई परेशानी नहीं होगी। प्रताप बोले मैं यह कार्य कानून के तौर पर करूँगा ताकी भविष्य में इस कम्पनी के संचालक के लिए कोई चुनौती न पैदा हो। निशा बोली पिता जी आज आप यह बातें क्यों कर रहे है। दूसरी तरफ से प्रताप बोले हमारा अब कोई भरोसा नहीं है।
यहां पर सरिता और रोशन दोनों आये हुए थे। रोशन इस कम्पनी को चलाने के लिए कह रहा था लेकिन हमे उसपर विश्वास नहीं है और सब बातें निशा को बता दिया कि सरिता कैसे पैसो की बचत करती थी और रोशन कैसे उन्मुक्त होकर खर्च करता था। प्रताप की बात सुनकर निशा सोच में पड़ गयी लेकिन फोन तब तक बंद हो चुका था।
सुधीर और रजनी दोनों ने अपने व्यवसाय को अच्छी तरह से संभाल रखा था। एक दिन रजनी और सुधीर टीन से बनी हुई ऑफिस में बैठे हुए बात कर रहे थे और सोच रहे थे कि अपने पास माल का स्टॉक भरपूर रहना चाहिए क्योंकि सामने बरसात का मौसम आने वाला था।
बांस के रूप में प्रयुक्त कच्चा माल देहात में कोई भी बरसात के मौसम में नहीं देता है। उसी समय सुधीर बोला दीदी एक बात कहूं। रजनी बोली कहो सुधीर क्या कहना चाहते हो? सुधीर बोला अपने देश में पूर्वोत्तर भाग में उत्तम गुणवत्ता वाले बांस मिलते है और कई टन लेने पर 25 से 30 रुपये में एक बांस पड़ेगा और वहां के कारीगरों की कला यहां से अलग होती है।
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