नमस्कार दोस्तों, आज के पोस्ट में हम Arogya Manjari PDF In Hindi के बारे में जानेंगे और आप Arogya Manjari PDF In Hindi को नीचे दी गयी लिंक से DOWNLOAD कर सकते है साथ ही आप Matrikabhed Tantra Pdf को भी डाउनलोड कर सकते है।
Arogya Manjari PDF
वर्षा, शरद और हेमंत इन तीनो ऋतुओ को दक्षिणायन कहते है क्योंकि इन 6 महीनो में सूर्य की गति दक्षिण की ओर होने से सूर्य का बी क्रमशः क्षीण हो जाता है और सोम का बल क्रम से बढ़ता जाता है और सौम्य गुणों की वृद्धि हो जाती है एवं मेघ, वर्षा और शीतल वायु से पृथ्वी का ताप शांत हो जाता है।
इस समय स्निग्ध, मधुर और लवण ये तीन रस क्रमशः बलवान हो जाते है। भाव यह है – जैसे आदान काल शिशिर ऋतु तिक्त, वसंत में कसाय और ग्रीष्म में कटु रस वाले पदार्थ विशेष बल वाले होते है उसी प्रकार वर्षा में अम्ल, शरद में लवण और हेमंत में मधुर रस विशेष बलवान होते है।
शीतकाल अर्थात हेमंत और शिशिर ऋतु में मधुरस और सौम्य गुण की अधिकता होने के कारण प्राणियों में विशेष बल होता है तथा वर्षा और ग्रीष्म ऋतु में सौम्य गुणों की कमी से मनुष्यो का बल अत्यंत क्षीण होता है एवं शरद और बसंत ऋतुओ में आदान और विसर्ग काल के गुणों की संचित सामाग्री की मध्यावस्था होने से प्राणियों में मध्य बल रहता है।
किस ऋतु में किस रस का सेवन अच्छा है? अर्थात हेमंत, शिशिर और वर्षा ऋतु में मधुर, अम्ल और लवण इन तीनो रसो का विशेष सेवन करना चाहिए। वसंत ऋतु में कटु, तिक्त और कसाय रसो का सेवन विशेष लाभप्रद है। ग्रीष्म ऋतु में प्रायः तिक्त और कसाय रस का सेवन करना चाहिए। इस किताब को पूरा पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर करे।
Arogya Manjari PDF In Hindi Download
पुस्तक का नाम | आरोग्य मंजरी Pdf |
भाषा | हिंदी |
साइज | 78 Mb |
पृष्ठ | 39 |
लेखक | वेदप्रकाश शास्त्री |
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