नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Ayurveda Books Pdf Hindi देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से Ayurveda Books Pdf Hindi Download कर सकते हैं और आप यहां से Manovigyan Book In Hindi कर सकते हैं।
Ayurveda Books Pdf Hindi Download
Note- इस वेबसाइट पर दिये गए किसी भी पीडीएफ बुक, पीडीएफ फ़ाइल से इस वेबसाइट के मालिक का कोई संबंध नहीं है और ना ही इसे हमारे सर्वर पर अपलोड किया गया है।
यह मात्र पाठको की सहायता के लिये इंटरनेट पर मौजूद ओपन सोर्स से लिया गया है। अगर किसी को इस वेबसाइट पर दिये गए किसी भी Pdf Books से कोई भी परेशानी हो तो हमें [email protected] पर संपर्क कर सकते हैं, हम तुरंत ही उस पोस्ट को अपनी वेबसाइट से हटा देंगे।
सिर्फ पढ़ने के लिये
काल, कर्म, गुण, दोष और स्वभाव से उत्पन्न कुछ भी दुःख तुमको नहीं व्यापेगा। अनेक प्रकार के सुंदर श्री राम जी के रहस्य जो इतिहास और पुराणों में वर्णित और लक्षित है। तुम उन सबको बिना परिश्रम के ही जान जाओगे। श्री राम जी के चरणों में तुम्हारा नित्य और नया प्रेम हो।
अपने मन में तुम जो कुछ भी इच्छा करोगे श्री हरि की कृपा से उसकी पूर्ति दुर्लभ नहीं होगी। हे धीर बुद्धि गरुण जी! सुनिए, मुनि का आशीर्वाद सुनकर आकाश में गंभीर ब्रह्मवाणी हुई कि हे ज्ञानी मुनि! तुम्हारा वचन सत्य हो। यह कर्म, मन और वचन से मेरा भक्त है।
आकाशवाणी सुनकर मुझे बहुत हर्ष हुआ। मैं प्रेम में मग्न हो गया और मेरा सब संदेह जाता रहा। तदनन्तर मुनि की विनती करके आज्ञा लेकर उनके चरण कमल में सिर नवाकर मैं हर्ष सहित इस आश्रम में आया। प्रभु श्री राम जी की कृपा से मैंने दुर्लभ वर प्राप्त कर लिया।
हे पक्षीराज! मुझे यहां निवास करते हुए सत्ताईस कल्प बीत गए। मैं यहां सदा श्री रघुनाथ जी के गुणों का गान किया करता हूँ और चतुर पक्षी उसे आदर पूर्वक सुनते है। अयोध्यापुरी में जब भी भक्तो के हित के लिए श्री रघुवीर मनुष्य शरीर धारण करते है।
तब-तब मैं श्री राम जी की नगरी में जाकर रहता हूँ और प्रभु की शिशु लीला देखकर सुख प्राप्त करता हूँ फिर हे पक्षीराज! श्री राम जी के शिशु रूप को अपने हृदय में रखकर मैं अपने आश्रम में आ जाता हूँ। जिस कारण से मैंने कौए की देह प्राप्त किया वह सारी कथा आपको सुना दिया। हे तात! मैंने आपके सब प्रश्नो के उत्तर कहे। आहा! राम भक्ति की बहुत भारी महिमा है।
मुझे यह अपना काक शरीर इसलिए प्रिय है कि इसमें मुझे श्री राम जी के चरणों का प्रेम प्राप्त हुआ। इस शरीर से ही मैंने अपने प्रभु के दर्शन प्राप्त किए और मेरे सब संदेह दूर हो गए। मैं हठ करके भक्ति पक्ष पर अड़ा रहा जिससे महर्षि लोमस ने मुझे शाप दिया। परन्तु उसका फल यह हुआ कि जो मुनि लोगो को भी दुर्लभ है वह वरदान मैंने प्राप्त किया। भजन का प्रताप तो देखिए।
आकाशवाणी के द्वारा शिव जी के वचन सुनकर गुरु जी हर्षित होकर ‘ऐसा ही हो’ यह कहकर मुझे बहुत समझाकर और शिव जी के चरणों को हृदय में रखकर अपने घर गए। काल की प्रेरणा से मैं विंध्याचल मी जाकर सर्प हुआ। फिर कुछ काल बीतने पर बिना कष्ट के ही मैंने वह शरीर त्याग दिया।
मित्रों यह पोस्ट Ayurveda Books Pdf Hindi आपको कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में जरूर बतायें और Ayurveda Books Pdf Hindi की तरह की पोस्ट के लिये इस ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करें और इसे शेयर भी करें।