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Ayurveda Philosophy In Hindi

 

 

पुस्तक का नाम  Ayurveda Philosophy In Hindi
पुस्तक के लेखक  चंद्रशेखर पाठक 
भाषा  हिंदी 
साइज  20.2 Mb 
पृष्ठ  235 
श्रेणी  आयुर्वेद 
फॉर्मेट  Pdf 

 

 

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सिर्फ पढ़ने के लिये

 

 

 लेकिन शंकराचार्य जी ने उन सभी बौद्धो को शास्त्रार्थ में पराजित करके पुन: स्थापना वैदिक धर्म की स्थापना की। शंकराचार्य जी ने अपने कार्यकाल में दशनामी संप्रदाय की भी स्थापना की थी, जो निम्नलिखित हैं:- गिरि, पर्वत और सागर, भृगु को इनका ऋषि माना जाता है।

वहीँ पुरी, भारती और सरस्वती के ऋषि शांडिल्य कै बताया जाता है। उसके बाद काश्यप को वन और अरण्य के ऋषि माना जाता है। उसके बाद अवगत को तीर्थ और आश्रम के ऋषि माना जाता हैं। इन सबके अतिरिक्त शंकराचार्य की 14 से ज्यादा ज्ञात आत्मकथाएं भी हैं, जिनमें उनके जीवन को दर्शाया गया है।

उनके कुछ आत्मकथाओं का नाम गुरुविजय, शंकरभ्युदय और शंकराचार्यचरित करके है। विद्वानों का मानना है कि जब आदि शंकराचार्य जी की उम्र 32 वर्ष की हुई तब उन्होंने हिमालय से अपना सेवानिवृत्त किया और फिर केदारनाथ के पास एक गुफा में चले गए।

ऐसा कहा जाता है कि जिस गुफा में वे प्रवेश किए थे, वहां वे दुबारा दिखाई नहीं दिए और यही कारण है, कि वह गुफा उनका अंतिम विश्राम स्थल माना जाता है। आदि शंकराचार्य ने हिंदू धर्म को महत्वता प्रदान करने वाले एवं हिंदू धर्म के प्रचार प्रसार में अपने जीवन को व्यतीत कर दिए। ऐसे महापुरुष एवं अलौकिक पुरुष का जयंती इस वर्ष 28 अप्रैल को मनाया जाएगा।

 

 

 

शंकराचार्य जी एक ऐसे सन्यासी थे जिन्होंने बहुत कम उम्र में वेदों और उपनिषदों का ज्ञान ले लिया था। उन्हंं भगवान शिव का साक्षात अवतार भी माना जाता था। शंकराचार्य जी के जन्म तारीख को लेकर विद्वानों में काफी भेद देखने को मिलता है हालांकि आज के इतिहासकार के अनुसार शंकराचार्य जी का जन्म 788 में हुआ था।

 

 

 

शंकराचार्य जी नाबूदरी ब्राह्मण थे। शंकराचार्य जी के गुरु का नाम गोविंदाभागवात्पद था। जन्म की तरह ही शंकराचार्य जी की मृत्यु को लेकर भी काफी भेद विद्वानों के मत में देखने को मिलता है हालांकि अभी के इतिहासकारों के अनुसार उनकी मृत्यु 820 ईस्वी में केदारनाथ के गुफा में हुई थी।

 

 

 

शंकराचार्य जी का जन्म केरल के कलादी गाँव में हुआ था। शंकराचार्य जी की माता का नाम आर्यम्बा और पिता का नाम शिवगुरु था। शंकराचार्य का जन्म केरल राज्य में हुआ, गोविंदाभागवात्पद। पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य भारत के एक युगदृष्टा मनीषी थे जिन्होने अखिल भारतीय गायत्री परिवार की स्थापना की।

 

 

 

उन्होंने अपना जीवन समाज की भलाई तथा सांस्कृतिक व चारित्रिक उत्थान के लिये समर्पित कर दिया। उन्होंने आधुनिक व प्राचीन विज्ञान व धर्म का समन्वय करके आध्यात्मिक नवचेतना को जगाने का कार्य किया ताकि वर्तमान समय की चुनौतियों का सामना किया जा सके।

 

 

 

उनका व्यक्तित्व एक साधु पुरुष, आध्यात्म विज्ञानी, योगी, दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक, लेखक, सुधारक, मनीषी व दृष्टा का समन्वित रूप था। जन्म: २० सितम्बर १९११, जन्म स्थल : आँवलखेड़ा, आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत, पिता : श्री पं.रूपकिशोर जी शर्मा जी, पत्नी: श्रीभगवती देवी, मृत्यु: २ जून १९९०। 

 

 

 

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