बहुत दूर कितना दूर होता है pdf | Bahut Door Kitna Door Hota Hai Pdf

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Bahut Door Kitna Door Hota Hai Pdf

 

 

 

 

 

 

रानी अपनी मां के साथ रहती थी। उसके पिता का देहांत हो चुका था। रानी की मां उसका बहुत ख्याल रखती थी लेकिन रानी अपने घर की हालत से संतुष्ट नहीं थी उसे बढ़िया भोजन तथा बढ़िया कपड़ा चाहिए था। वह घर के काम में अपनी मां का हाथ नहीं बटाती थी। उसे मेहनत करना बिलकुल पसंद नहीं था।

 

 

 

रानी की मां उसे समझाती थी कि बिना मेहनत किए कही कुछ भी नहीं मिलता है। पर रानी के मन में उसकी मां की कही बात समझ में नहीं आती थी। वह सोचती रहती थी कि जब बिना मेहनत किए ही इतने सुंदर-सुंदर फूल खिलते है और पेड़ पौधे उगते है तो हमे बिना मेहनत किये अच्छी वस्तु क्यों नहीं मिलती है।

 

 

 

उसकी मां उसे बहुत समझाने का प्रयास करती तथा अपनी सामर्थ्य के अनुसार रानी के लिए सभी वस्तुए उपलब्ध कराने का प्रयास करती थी पर रानी समझने के लिए तैयार ही नहीं थी। एक दिन रानी अपनी मां से अच्छे कपड़ो के लिए बहस करने लगी और नाराज होकर घर से निकल गई।

 

 

 

रानी के घर से कुछ दूर पर एक नदी बहती थी। रानी जब अपनी मां से नाराज होती तब उस नदी के किनारे एक चट्टान पर आकर बैठ जाती थी यहां उसकी उलझन दूर हो जाती थी लेकिन आज रानी जैसे ही उस नदी के किनारे आकर चट्टान पर बैठी ही थी कि उसकी नजर एक खूबसूरत फूल और उसके पत्तो पर जाकर अटक गयी।

 

 

 

रानी को उस फूल और पत्तो के ऊपर छोटे-छोटे जीव मनुष्य की शक्ल में दिखाई दे रहे थे। उनके शरीर पर पंख उगे हुए थे और उस पंख की सहायता से वह जीव बहुत आराम से हवा में तैर रहे थे। वह जीव ही शायद परी थे। रानी उन परियो से बात करना चाहती थी।

 

 

 

लेकिन रानी को देखकर एक नाविक नाव लेकर आया वह भी परियो के जैसा ही था। वह जोर से चिल्लाया भागो-भागो यहां कोई मनुष्य आ गया है। नाविक की आवाज सुनकर सभी परियां फूलो से उड़कर उस नाव पर सवार हो गयी। नाविक नाव लेकर चला गया। रानी भी उस नाव और परियो को पकड़ने के लिए नदी के पानी में कूद गयी।

 

 

 

रानी नाव की दिशा में बढ़ती जा रही थी। नदी के दूसरे किनारे पर रानी पहुँच गयी लेकिन उसे कही पर भी नाव और परियो का नामोनिशान नहीं दिखाई दे रहा था। वह पानी से बाहर निकल आयी। उसे बहुत भूख लगी थी वह सोचने लगी कि घर से आकर उसने बड़ी गलती कर दी है।

 

 

 

रानी को कुछ दूरी पर कई सारे फूलो का समूह दिखा ऐसा लगता था कि यह कोई फूलो का बगीचा है। वह फूलो के समूह के पास गयी। उसे दूसरी तरफ कुछ विचित्र सी आवाज सुनाई दे रही थी। रानी जब फूलो के पौधों को हटाकर देखा तब उसे दूसरी तरफ वही नन्ही परियां और वह परियो का नाविक दिखाई दिया।

 

 

 

वह एक दूसरी परी से सब कुछ बता रहे थे। वह लोग जिसे सब कुछ बता रहे थे। वह भी एक परी थी लेकिन उसके सिर के ऊपर फूलो का मुकुट और हाथ में एक छड़ी दिखाई पड़ रही थी। शायद वह परियो की रानी थी। वहां सभी छोटी परियां और नाविक उसकी आज्ञा का पालन कर रहे थे।

 

 

 

मुकुट वाली परी अपने साथ सबको लेकर वहां आ गयी जहां रानी छुपकर उन सभी को देख रही थी। मुकुट वाली परी ने रानी से पूछा – यहां क्या रही बेटी? रानी को परी की बात समझ में आ रही थी। मुकुट वाली परी ने अपने हाथ की छड़ी रानी के ऊपर घुमा दिया।

 

 

 

अब उसे सभी परियो की बात समझ में आने लगी। रानी बोली – मैं यहां आप लोगो को देख रही थी और आप लोगो के साथ ही रहना चाहती हूँ। रानी सभी परियो से लंबी थी। मुकुट वाली परी ने अपनी छड़ी उसके ऊपर घुमा दिया। रानी भी सभी परियो के जैसी छोटी हो गयी।

 

 

 

सभी परियो और रानी को लेकर मुकुट वाली परी ने फूल से बने हुए दरवाजे के अंदर से प्रवेश किया। सब लोग अब परीलोक में आ गए थे। मुकुट वाली परी ने एक परी से कहा – तुम इस लड़की के लिए शरबत लाओ। एक परी ने रानी को शरबत लाकर दिया। वह शरबत बहुत स्वादिष्ट था।

 

 

 

उसे पीने के बाद रानी की भूख और प्यास मिट गयी। मुकुट वाली परी ने दूसरी परी से कहा – इसे ले जाकर फूलो से भरी बाग़ की सैर करा दो। वह परी रानी को लेकर फूलो की बाग़ में आ गयी। बाग़ में बहुत सुंदर फूल उगे हुए थे। रानी सभी सुंदर फूलो को देखते हुए प्रसन्न होकर दौड़ रही थी।

 

 

 

रानी के साथ आयी हुई परी रानी के पीछे-पीछे उड़ रही थी। कुछ देर फूलो से भरी बाग़ में घूमने के बाद रानी उस परी के साथ परियो के दरबार में वापस लौट आयी। मुकुट वाली परी ने पूछा – तुम्हारा नाम क्या है बेटी? रानी बोली – मेरी मां ने मेरा नाम रानी रखा हुआ है।

 

 

 

रानी मुकुट वाली परी से बोली – आपके बाग़ में इतने सुंदर फूल खिले है इन्हे कौन उगाता है क्या यह स्वयं उग जाते है? मुकुट वाली परी बोली – बेटी! स्वयं कुछ भी नहीं होता है परिश्रम करना पड़ता है। हमारी परियो में माली परी है वह सभी फूलो की देखभाल करते है।

 

 

 

जो मनुष्य को दिखाई नहीं पड़ते है इसलिए मनुष्य समझता है कि यह फूल बिना किसी के देखभाल किए ही सुंदर हो जाते है। मैं कल तुम्हे नीलू परी के साथ घूमने के लिए भेज दूंगी तुम स्वयं अपनी आँखों से देख लेना। मुकुट वाली परी ने नीलू परी से कहा – रानी के लिए शरबत लाकर दे दो।

 

 

 

नीलू परी ने शरबत लाकर रानी को दे दिया। शरबत पीते ही रानी की भूख प्यास मिट गयी। वह तरोताजा हो गयी। दूसरे दिन रानी को लेकर नीलू परी फूल के बगीचे की सैर कराने आ गयी। रानी देख रही थी कई सारी माली परियां फूलो में पानी दे रही थी तथा बगीचे की साफ सफाई कर रही थी।

 

 

 

रानी की समझ में आ गया कि इतनी सारी सुविधा और सम्पन्नता होते हुए भी परियां मेहनत कर रही है तो उसे भी मेहनत करनी चाहिए। उसे भी अपने मां के कार्य में सहायता करनी चाहिए। रानी को अपने घर और मां की याद आने लगी। वह सोचने लगी हमारा घर और धरती सुंदरता में कही भी कम नहीं है।

 

 

 

रानी नीलू परी के साथ परियो के दरबार में वापस लौट आयी। मुकुट वाली परी ने उसे अपने पास बैठाया और बोली – तुमने देखा माली परी किस प्रकार से फूलो की देखभाल करती है। रानी बोली – हां, मैंने माली परियो को बहुत तल्लीन होकर फूलो की रखवाली और साफ सफाई करते हुए देखा तथा मैं भी अपने घर जाकर इसी प्रकार से मेहनत करके घर को सुंदर बनाउंगी।

 

 

 

मुकुट वाली परी ने रानी को एक छड़ी देते हुए कहा – जब भी तुम्हे हमसे मिलने की इच्छा हो तब यह छड़ी लेकर नदी के पास आ जाना वहां से सभी परियां तुम्हे लेकर हमारे पास आ जाएँगी। मुकुट वाली परी ने नाविक परी को आदेश दिया कि रानी को सकुशल उसके घर पहुंचा दे।

 

 

 

नाविक ने रानी को नदी के दूसरे किनारे पर सकुशल लाकर छोड़ दिया। रानी अपनी मां के हर कार्य में सहयोग करने लगी। रानी के अंदर परिवर्तन देखकर उसकी मां को बहुत आश्चर्य हुआ रानी ने सारा वृतांत अपनी मां को सुना दिया।

 

 

 

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