नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Bajrang Baan Pdf देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से Bajrang Baan Pdf Download कर सकते हैं और आप यहां से Radheshyam Ramayan Pdf Hindi कर सकते हैं।
Bajrang Baan Pdf Download


Note- इस वेबसाइट पर दिये गए किसी भी पीडीएफ बुक, पीडीएफ फ़ाइल से इस वेबसाइट के मालिक का कोई संबंध नहीं है और ना ही इसे हमारे सर्वर पर अपलोड किया गया है।
यह मात्र पाठको की सहायता के लिये इंटरनेट पर मौजूद ओपन सोर्स से लिया गया है। अगर किसी को इस वेबसाइट पर दिये गए किसी भी Pdf Books से कोई भी परेशानी हो तो हमें newsbyabhi247@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं, हम तुरंत ही उस पोस्ट को अपनी वेबसाइट से हटा देंगे।
सिर्फ पढ़ने के लिये
तभी उन दोनों को लगा कोई उन की पीठ पर कुछ रगड़ रहा है। मारु ने जैसे ही पीछे घूमकर देखा उसे भयानक मुखाकृति वाली मछली दिखाई पड़ी जो अपनी पूंछ और मुंह को उनकी पीठ पर रगड़ने का प्रयास कर रही थी। ‘भागो’ की आवाज निकालता हुआ मेरु कंदरा से बाहर निकल गया।
मछली हारु को अपनी गिरफ्त में लेने ही वाली थी लेकिन बहुत फुर्ती के साथ हारु कंदरा के बाहर भाग निकला। भागते हुए हारु एक बड़े पत्थर से कंदरा के मुंह को ढक दिया था। उसे लगा कि मछली को कंदरा के अंदर बंद कर देने से मछली उसका पीछा छोड़ देगी।
लेकिन मछली इस समय अमोघ शक्ति बन गयी थी अतः उसके निष्फल होने का सवाल ही नहीं उठता था। हारु मेरु भाग रहे थे उनके पीछे मछली लग गयी थी। बहुत हास्य की स्थिति उत्पन्न हो गयी थी। वह दोनों जहां भी जाते वहां मछली उपस्थित रहती थी।
हारु बोला – मेरु अब हम लोगो को कंचन गिरि पर ही शरण लेनी पड़ेगी। शायद वहां हम लोगो को इस मछली से सुरक्षा प्राप्त हो जाए क्योंकि वहां कंचन गिरि पर हमारे गुरु मत्स्यानंद रहते है? वही हमारी रक्षा कर सकते है। मत्स्यानंद मत्स्य रानी भाई थे जो कंचन गिरि पर रहकर साधना करते थे।
उन्होंने हारु को अपना शिष्य बनाया हुआ था। अप्पनइ शक्ति से मदांध होकर हारु मिलन को साधारण मानव समझकर उसे परेशान करने की गलती कर बैठा था। कछुआ तो ठीक था लेकिन यह मछली तो उसे किसी भी प्रकार से छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं थी।
हारु अपने अनुचर मेरु के साथ कंचन गिरि पर स्थापित एक बहुत बड़े आकार की मत्स्याकृति कंदरा में जाकर घुस गया। कंदरा के भीतर मणि और बहुमूल्य रत्नो से उजाला फैला हुआ था। हारु अपने अनुचर मेरु के साथ अपने गुरु के चरणों पर शरणागत होते हुए बोला – महाराज! आप उस अमोघ मछली से हमारी रक्षा कीजिए।
मत्स्याकृति कंदरा के बाहर हारु और मेरु का पीछा करते हुए मछली आकर कंदरा के दरवाजे पर दस्तक देने लगी। मत्स्यानंद अपने अनुचर से बोले – जाओ बाहर जो कोई भी दस्तक दे रहा है उसे बुलाकर हमारे सामने लाओ। मत्स्यानंद ने आँखे बंद किया तो उन्हें सब कुछ मालूम हो गया।
वह हारु और मेरु को समझाते हुए बोले – तुम लोग एक मनुष्य को साधारण समझकर उसे परेशान करने की कोशिस की है जबकि वह मनुष्य असाधारण शक्तियों का मालिक है। उसकी सहायता कई अदृश्य शक्तियां एक साथ कर रही है।
उसकी रखवाली करने वाला कछुआ बहुत ही सम्पन्न है और यह मछली तुम लोगो का पीछा करते हुए यहां तक पहुँच चुकी है। मत्स्यानंद का अनुचर अपने साथ एक मछली को लेकर आया जिसकी आकृति छोटी थी लेकिन हारु और मेरु को वह छोटी मछली बहुत भयानक लग रही थी।
मित्रों यह पोस्ट Bajrang Baan Pdf आपको कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में जरूर बतायें और Bajrang Baan Pdf की तरह की पोस्ट के लिये इस ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करें और इसे शेयर भी करें।