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Bhagat Singh Ki Jivani Pdf Download

 

 

 

पुस्तक का नाम  Bhagat Singh Ki Jivani Pdf
पुस्तक के लेखक  वीरेंद्र सिंधु 
फॉर्मेट  Pdf 
साइज  3.6 Mb 
पृष्ठ  83 
भाषा  हिंदी 
श्रेणी  आत्मकथा 

 

 

 

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सिर्फ पढ़ने के लिए

 

 

 

रानी परी सुलेखा और सुमन परी के साथ किन्नर ज्योति स्वरूपा का रूप धारण किए हुए मिलन तीनो आकाश मार्ग से परीलोक की यात्रा पर निकल पड़े। ज्योति स्वरूपा किन्नर आकाश मार्ग से यात्रा के दौरान बहुत रोमांचित थी। रोमांचित क्यों नहीं होती?

 

 

 

 

आकाश मार्ग से जाते हुए तारामंडल के बीच ज्योति स्वरूपा को बहुत सुखद लग रहा था। उसके पास चार सिद्ध शक्तियां थी। उसे रानी परी सुलेखा और सुमन परी का साथ प्राप्त करना था जो स्वयं भी शक्ति से पूर्ण थी अतः ज्योति स्वरूपा की यात्रा निर्विघ्न सम्पन्न हो गयी।

 

 

 

 

परीलोक में ज्योति स्वरूपा के समान कोई नहीं था सिर्फ तीन परियो को छोड़कर। उन तीन परियो के नाम महारानी कुमुद, रानी परी सुलेखा और सुमन परी थे। परीलोक में आने पर ज्योति स्वरूपा का भव्य स्वागत हुआ। सुमन परी और रानी परी के साथ ज्योति स्वरूपा नित्य ही चौपड़ खेला करती थी।

 

 

 

 

प्रतिदिन महारानी कुमुद के दरबार में दो घंटे का नृत्य संगीत का कार्यक्रम होता था। एक दिन चौपड़ खेलते हुए निश्चित समय पर रानी परी सुलेखा के साथ सुमन परी उठ गयी और बोली – हम लोगो का समय हो गया है दरबार में जाने के लिए।

 

 

 

 

ज्योति स्वरूपा बोली – आज मैं भी तुम लोगो के साथ महारानी कुमुद के दरबार में चलूंगी। सुमन परी बोली – अवश्य! तुम भी हमारे साथ चलो लेकिन वहां अपनी शक्तियों का दुरूपयोग नहीं करना। ज्योति स्वरूपा बोली – मैं अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कभी नहीं करती हूँ बल्कि स्वयं इन शक्तियों ने मुझे सुरक्षित किया है।

 

 

 

 

सुमन परी रानी परी सुलेखा के साथ ज्योति स्वरूपा किन्नर भी महारानी कुमुद के राज दरबार में पहुँच गयी। रानी परी सुलेखा महारानी कुमुद के बगल में एक आसन पर जाकर बैठ गयी। नृत्य संगीत का कार्यक्रम शुरू हो गया। बाद्ययंत्रो का बादक अपनी कला दिखाने लगे।

 

 

 

 

एक परियो का जोड़ा नृत्य प्रस्तुत कर रहा था। बाद्य और नृत्य के संगम से परियो की सभा में आनंद व्याप्त हो गया। निश्चित अवधि के बाद बाद्ययन्त्र बंद हो गए और परी के जोड़े की नृत्य प्रस्तुति भी रुक गयी। पुनः हल्की ध्वनि के साथ बाद्ययंत्रो की प्रस्तुति शुरू हो गई।

 

 

 

 

इस बार सुमन परी को अपना नृत्य प्रस्तुत करना था। सुमन परी ज्योति स्वरूपा किन्नर की तरफ देखते हुए नृत्य की प्रस्तुति देने के लिए उठी। नृत्य करते हुए सबकी तरफ देखते हुए सुमन की नजरे ज्योति स्वरूपा के ऊपर आकर रुक जाती थी।

 

 

 

 

मानो वह ज्योति स्वरूपा को लक्ष्य करके ही नृत्य कर रही है। ज्योति स्वरूपा किन्नर के रूप में मिलन को भी अपने जीवन में आज ही इतना अनोखा नृत्य देखने का आनंद प्राप्त हो रहा था। एक निश्चित समय पर नृत्य समाप्त हो गया। सुमन परी ज्योति स्वरूपा को लेकर अपने भवन में आ गयी थी।

 

 

 

 

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