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पुस्तक का नाम | भक्त पंचरत्न Pdf |
लेखक | हनुमान प्रसाद |
पेज | 124 |
साइज | 2.6Mb |
भाषा | हिंदी |
Bhakta Pancharatna PDF
सुलक्षणा पुत्र वधु को पाकर कमला के कलेजे की कलियाँ खिल उठी। वह मानो स्वर्ग सुख का दृश्य देखने लगी। इस समय कमला सातो प्रकार के सुख से सुखी थी, परन्तु विधाता का विधान कुछ और ही था। कुछ वर्षो तक लगातार अकाल पड़े। कृष्णचन्द्र बड़े दयालु थे।
उन्होंने लगान वसूल करना तो छोड़ ही दिया। पर अपने पास जो कुछ था वह सब भी किसानो की सेवा में लगा दिया। घर खाली हो गया। मनुष्य इज्जत आबरू के लिए एक बार जो खर्च लगाना आरंभ कर देता है बुरी स्थिति में उससे कम लगाने में उसे बड़ा संकोच होता है।
इसी प्रकार कृष्णचन्द्र के भी खर्च ज्यों का त्यों लगता रहा। जमींदारी पर ऋण हो गया। लगातार की चिंताओं ने कृष्णचन्द्र के स्वास्थ्य को बड़ा धक्का पहुँचाया। वह बीमार हो गए और एक दिन अपने को मरण शय्या पर पड़े हुए समझकर उन्होंने प्यारे पुत्र रघुनाथ को पास बुलाया और उसकी गोद में अपना मस्तक रखकर कातर स्वर में कहने लगे।
मेरे लाल रघुनाथ! मैं जाता हूँ मेरी एक बात रखना जहां तक हो सके मेरा ऋण चुकाना। देखना कभी किसी को धोखा देने की भावना मन में न जाग उठे। भगवान तुम्हारा कल्याण करेंगे। कृष्णचन्द्र ने इतना कहकर सदा के लिए आंखे मूंद ली। पतिप्राणा कमला ने पुत्र से विदा ग्रहण कर स्वामी का सहगमन किया। पुस्तक को डाउनलोड करने के लिए नीचे दी गयी बटन को दबाये।
Bhakta Pancharatna PDF In Hindi Download
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