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Bharadwaj Samhita Pdf / भारद्वाज संहिता पीडीएफ
पुस्तक का नाम | भारद्वाज संहिता |
पुस्तक के लेखक | खेमराज श्रीकृष्णदास, सरयूप्रसाद मिश्र |
श्रेणी | ज्योतिष, धार्मिक |
फॉर्मेट | |
pdf साइज | 14 MB |
कुल पृष्ठ | 222 |
पुस्तक की भाषा | संस्कृत |
गुरु गीता इन हिंदी पीडीएफ Download
सिर्फ पढ़ने के लिए
समुद्र ने भयभीत होकर प्रभु के चरण पकड़कर कहा – हे नाथ! मेरे सब अवगुण को क्षमा कीजिए। हे नाथ! आकाश, वायु, जल और पृथ्वी इन सबकी करनी स्वभाव से ही जड़ है।
आपकी प्रेरणा से माया ने इन्हे शृष्टि के लिए उत्पन्न किया है। सब ग्रंथो ने यही गाया है। जिसके लिए स्वामी की जैसी आज्ञा है वह उसी प्रकार से रहने में सुख प्राप्त करता है।
प्रभु ने अच्छा किया जो मुझे शिक्षा दी किन्तु मर्यादा भी आपके द्वारा ही बनाया हुआ है। प्रभु के प्रताप से मैं सूख जाऊंगा और सेना पार उतर जाएगी इससे मेरी बड़ाई नहीं रहेगी। तथापि प्रभु की आज्ञा का उल्लंघन नहीं हो सकता है ऐसा वेद गाते है। अब आपको जो अच्छा लगे मैं तुरंत ही वही करूँ।
59- दोहा का अर्थ-
समुद्र के अत्यंत विनीत वचन सुनकर कृपालु श्री राम जी ने मुसकराकर कहा – हे तात! जिस प्रकार वानरों की सेना पार उतर जाय वह उपाय बताओ।
चौपाई का अर्थ-
समुद्र ने कहा – हे नाथ! नील और नल दो वानर भाई है। उन्होंने लड़कपन में ऋषि से आशीर्वाद प्राप्त किया था। उसके स्पर्श कर लेने से ही भारी-भारी पहाड़ भी आपके प्रताप से समुद्र पर तैर जायेंगे।
मैं भी प्रभु की प्रभुता को हृदय में धारण करके अपने बल के अनुसार सहायता करूँगा। हे नाथ! इस प्रकार समुद्र बँधाइये जिससे तीनो लोक में आपके सुंदर यश का गान हो।
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