सम्पूर्ण भविष्य पुराण Pdf | Bhavishya Purana Hindi Pdf

आज इस पोस्ट में हम आप लोगो के लिए Ikshvaku Ke Vanshaj in Hindi Pdf लेकर आये है आप इसे नीचे दी गयी लिंक से डाउनलोड कर सकते है साथ में आप Champak Stories in Hindi Pdf पढ़ सकते है।

 

 

 

 

Bhavishya Purana Hindi Pdf

 

 

 

 

 

 

 

 

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जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि इसमें आने वाले समय की घटनाओं का वर्णन होगा। इस पुराण से ही पता चलता है कि  जन्म से बहुत पहले ही सबके  बारे में लिखा जा चुका था। इस पुराण में भारत वर्ष का समस्त वर्तमान और आधुनिक इतिहास का वर्णन मिलता है।

 

 

 

 

 

भविष्य पुराण में महर्षि वेद व्यास ने सभी धर्मों के बारे में और तमाम चीजों के बारे में बहुत ही पहले लिख दिया था। भविष्य पुराण 18 पुराणों में अपना महत्व पूर्ण स्थान रखता है। इसमें धर्म सदाचार अनेकों आख्यान तीर्थ नीति उपदेश दान की महत्ता के साथ ही ज्योतिष विद्या और आयुर्वेद का विस्तृत एवं चयनित व्याख्या की गयी है।

 

 

 

 

भविष्य पुराण के अनुसार इसके श्लोकों की कुल संख्या 50,000 होनी चाहिए। लेकिन वर्तमान में कुल 14,000 श्लोक ही उपलब्ध है। इस पुराण में विक्रम बैताल कथा, सामुद्रिक लक्षण, आराधना, शांति और नित्य कर्म संस्कार का वर्णन मिलता है।

 

 

 

 

 

इस पुराण में भगवान सूर्य नारायण की महिमा उनके स्वरूप और उपासना का विस्तृत उल्लेख मिलता है। इसलिए ही इसे “सौर पुराण” भी कहते है।

 

 

 

 

 

भविष्य पुराण में व्रत संबंधी बातों का भी उल्लेख मिलता है। इतने विस्तार से व्रतों का वर्णन किसी भी स्वतंत्र व्रत संग्रह और धर्म शास्त्र में भी नहीं मिलता है।

 

 

 

 

 

इस पुराण को आधार बनाकर ही इतिहास कारों ने इतिहास का वर्णन किया है। इसमें मध्य कालीन हिन्दू सम्राट हर्ष वर्धन और अनेक हिन्दू राजाओं के साथ ही मुस्लिम शासकों का भी उल्लेख मिलता है।

 

 

 

2- इस पुराण में भविष्य में होने वाली घटनाओ का उल्लेख किया गया है। इसमें सूर्य की उपासना और उसके महत्व का जैसा व्यापक वर्णन भविष्य पुराण में प्राप्त होता है वैसा कही अन्यत्र उपलब्ध नहीं है। यह पुराण बहुत प्राचीन नहीं है। इसमें दो हजार वर्ष का अत्यंत सटीक वर्णन प्राप्त होता है। भविष्य पुराण चार खंडो में विभक्त है 1- ब्राह्म पर्व, 2- मध्यम पर्व, 3- प्रतिसर्ग पर्व, 4- उत्तर पर्व।

 

 

ब्राह्म पर्व

 

 

व्यास के शिष्य महर्षि सुमन्तु और राजा शतानीक के संवाद से ब्राह्म पर्व का शुभारंभ होता है। इसमें ओंकार और गायत्री मंत्र के जप का महत्व, अभिवादन की विधि माता-पिता तथा गुरु की महिमा का वर्णन इत्यादि प्राप्त होते है।

 

 

 

मध्यम पर्व

 

 

इस पर्व में मुख्य रूप से चार मास का उल्लेख प्राप्त होता है 1- चंद्र मास, 2- सौर मास, 3- नक्षत्र मास, 4- श्रावण मास। शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से अमावस्या तक चंद्र मासा कहा जाता है। अश्विन नक्षत्र से रेवती नक्षत्र पर्यन्त नक्षत्र मास कहलाता है। सूर्य द्वारा एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने के समय को सौर मास कहा जाता है। किसी तिथि को लेकर तीस दिन बाद आने वाली तिथि के समय को श्रावण मास कहा जाता है।

 

 

प्रतिसर्ग पर्व

 

 

 

इसमें आधुनिक घटनाओ का क्रमानुसार वर्णन प्राप्त होता है यथा ईशा मसीह का जन्म और उनकी भारत यात्रा, महारानी विक्टोरिया का राज्या रोहन, सतयुग के राजवंशो तथा त्रेतायुग के सूर्यवंशी तथा चंदवंशी राजाओ का वर्णन इत्यादि प्राप्त होता है।

 

 

उत्तर पर्व

 

 

भग ब्राह्मणो द्वारा रचना और पारायण ही भविष्य पुराण की विशेषता है। भविष्य पुराण में तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था का उल्लेख प्राप्त होता है। इसमें ऐसे कई उदाहरण प्राप्त होते है जो शूद्र कुल में जन्म लेने के बाद भी अपनी विद्वता से पूजनीय बन गए। भविष्य पुराण में उल्लिखित है कि सामाज में वर्ण व्यवस्था भग ब्राह्मणो के द्वारा स्थापित की गयी है।

 

 

 

 

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