नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Charitraheen Novel in Hindi Pdf देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से Charitraheen Novel in Hindi Pdf Download कर सकते हैं और आप यहां से दुर्गा सप्तशती Pdf Download कर सकते हैं।

 

 

 

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सिर्फ पढ़ने के लिए

 

 

 

 

राजा से पहले दीनू बोल पड़ा – आप सिर्फ दो लोग है और इतना सारा भोजन बनाया गया है उसका क्या होगा? हरी अपने पुत्र मिलन की तरफ देखने लगे तब मिलन दीनू से बोला – आप भोजन की व्यवस्था करिये हम दो लोगो को और बुला देंगे।

 

 

 

 

दीनू बोला – भोजन तैयार है आप लोग चलकर भोजन करिये आप लोगो को शर्त याद है कि नहीं उस शर्त का पालन भी करना पड़ेगा। मिलन तीन बार ताली बजाया – वहां दो नवयुवक उपस्थित हो गए। मिलन दीनू से बोला – आप पहले इन दो युवको के लिए भोजन की व्यवस्था करो इसके बाद हम लोग भोजन करेंगे।

 

 

 

दोहा का अर्थ-

 

हे विश्वनाथ! आपकी कृपा से मैं अब कृतार्थ हो गयी। मुझमे दृढ राम भक्ति उत्पन्न हो गयी और मेरे सम्पूर्ण क्लेश मिट गए।

 

 

चौपाई का अर्थ-

 

 

 

शंभु उमा का यह कल्याणकारी संवाद सुख उत्पन्न करने वाला और शोक का नाश करने वाला है। जन्म-मरण का अंत करने वाला, संदेहो का नाश करने वाला, भक्तो को आनंद देने वाला और संत पुरुषो को प्रिय है। संसार में जितने भी राम के उपासक है उनको तो राम कथा के समान कुछ भी प्रिय नहीं है।

 

 

 

 

श्री रघुनाथ जी की कृपा से मैंने वह सुंदर और पवित्र करने वाला चरित्र अपनी बुद्धि के अनुसार गाया है। तुलसीदास जी कहते है – इस कलिकाल में योग, यज्ञ, जप, तप, व्रत और पूजन आदि कोई दूसरा साधन नहीं है। बस श्री राम जी का ही स्मरण करना, श्री राम जी का ही गुण गाना और निरंतर श्री राम जी के गुणों को सुनना चाहिए।

 

 

 

 

पतितो को भी पवित्र करना जिनका महान स्वभाव है ऐसा कवि, वेद, संत और पुराण गाते है। रे मन! कुटिलता त्यागकर उन्ही का भजन कर। श्री राम जी को भजने से किसने परम गति प्राप्त नहीं किया?

 

 

 

 

छंद का अर्थ-

 

 

 

अरे मुर्ख मन! सुन पतितो को भी पावन करने वाले श्री राम जी का भजन करके किसने परमगति नहीं प्राप्त किया? गणिका, अजामिल, व्याध, गीध, गज आदि बहुत से बुरे लोगो को भी उन्होंने भव सागर से पार उतार दिया। आभीर, यवन, किरात, खस आदि जो अत्यंत पाप रूप है वह भी केवल एक बार उनका नाम लेकर पवित्र हो जाते है।

 

 

 

 

उन श्री राम जी को मैं नमस्कार करता हूँ। जो मनुष्य रघुवंश के भूषण श्री राम जी का यह चरित्र कहते है सुनते है और गाते है वह कलियुग के पाप और मन के मैल को धो कर बिना परिश्रम ही श्री राम जी के परम धाम को चले जाते है। अधिक क्या जो मनुष्य पांच-सात चौपाइयों को भी मनोहर जानकर अथवा रामायण की चौपाइयों को कर्तव्य का श्रेष्ठ पंच व निर्णायक जानकर उनको हृदय में धारण कर लेते है।

 

 

 

 

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