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Das Bodh Pdf In Hindi Download
पुस्तक का नाम | Das Bodh Pdf |
पुस्तक के लेखक | स्वामी रामदास |
भाषा | हिन्दी |
फॉर्मेट | |
साइज | 26.9 Mb |
पृष्ठ | 386 |
श्रेणी | धार्मिक |
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सिर्फ पढ़ने के लिये
सुखिया की गाय नियत समय पर एक बछड़े को जन्म दिया। सुखिया बहुत आनंदित था। वह चार दिन के बछड़े को लेकर भविष्य की योजना बनाने लगा। जब बछड़ा दो साल का हो जायेगा तो उसे किसी बैल के साथ जुए में डालकर हल के साथ चलना सिखाऊंगा।
फिर उसे बैलगाड़ी में चलने के लिए लगा दूंगा जिससे फसल के साथ ईंट की ढुलाई हो सकेगी और ईंट ढुलाई से आमदनी बढ़ जाएगी। तभी सुखिया की गाय रंभाने लगी उसे बछड़े को दूध पिलाने का समय हो गया था। सुखिया के ख़याली पुलाव बनाने में व्यवधान उत्पन्न हो गया।
वह उठकर अपनी गाय के पास जाकर उसके पीठ पर हाथ फेरने लगा। चार दिन का बछड़ा रस्सी से बंधा होने पर भी रस्सी के बंधन से आजाद होकर दूध पीने के लिए अपनी मां के पास जाने के लिए उछल कूद मचा रहा था। सुखिया अपनी मंडई के भीतर से एक छोटी से बाल्टी लेकर आया।
उसे गाय के समीप रखते हुए चार दिन के बछड़े की रस्सी खोलने लगा। बछड़ा उछल कूद मचाते हुए सुखिया के संभालने में नहीं आ रहा था। थोड़े से प्रयास के बाद सुखिया ने बछड़े की रस्सी को खोल दिया। बछड़ा बिजली की जैसी तेज गति से अपनी मां के पहुँच गया और दूध पीने लगा।
दूध निकलकर बछड़े के मुंह में भर गया। सुखिया समझ गया कि अब गाय अपने से दूध छोड़ रही है। अतः सुखिया ने बछड़े को दूध पीने से अलग करते हुए गाय के पास ही खूंटे से बांधने का प्रयास किया लेकिन बछड़ा फिर एक झटका देते हुए दूध पीने के लिए पहुँच गया।
इस बार सुखिया ने जोर लगाकर बछड़े को गाय के समीप ही एक खूंटे से बाँध दिया। गाय अपने बच्चे को दुलारते प्यार के साथ जीभ से उसके शरीर के ऊपर कंघी करते हुए उसके बालो को सवांरने लगी। सुखिया दूध निकाल रहा था। बछड़ा बीच-बीच में झटका देकर सुखिया के दूध निकालने के कार्य में व्यवधान उत्पन्न करता था।
मानो कह रहा हो कि इस दूध पर मेरा अधिकार है इसे तुम क्यों ले जा रहे हो? गाय बछड़े के शरीर पर अपनी जीभ से कंघी करते हुए उसे समझाने का प्रयास करती और कहती यही तो हमे भोजन और पानी देते है अतः इस दूध पर इनका भी अधिकार बनता है।
इस तरह से गाय के समझाने पर बछड़ा शांत हो जाता था। सुखिया ने दूध निकालने के बाद गाय के बछड़े को खूंटे से आजाद कर दिया। बछड़ा दूध पीने के लिए दौड़ पड़ा। उसे दूध पीते हुए ऐसा लग रहा था मानो उसे कुबेर का खजाना मिल गया हो।
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