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Dhanvantari Mantra Download
शङ्खं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्भिः ।
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमम्भोजनेत्रम् ।
कालाम्भोदोज्ज्वलाङ्गं कटितटविलसच्चारुपीताम्बराढ्यम् ।
वन्दे धन्वन्तरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम् ॥
अच्युतानन्त गोविन्द विष्णो नारायणाऽमृत
रोगान्मे नाशयाऽशेषानाशु धन्वन्तरे हरे ।
आरोग्यं दीर्घमायुष्यं बलं तेजो धियं श्रियं
स्वभक्तेभ्योऽनुगृह्णन्तं वन्दे धन्वन्तरिं हरिम् ॥
धन्वन्तरेरिमं श्लोकं भक्त्या नित्यं पठन्ति ये ।
अनारोग्यं न तेषां स्यात् सुखं जीवन्ति ते चिरम् ॥
मंत्र
ओं नमो भगवते वासुदेवाय धन्वन्तरये अमृतकलशहस्ताय वज्रजलौकहस्ताय सर्वामयविनाशनाय त्रैलोक्यनाथाय श्रीमहाविष्णवे स्वाहा ।
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