Dhruvswamini Pdf / ध्रुवस्वामिनी Pdf Download

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सिर्फ पढ़ने के लिये 

 

 

 

सुमन बोली – हां यह वही मिलन है। रानी परी सुलेखा बोली – इसने यहां तक आने में अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना किया है। इसे हम लोग अपने साथ कुछ समय के लिए परीलोक ले चलेंगे। सुमन बोली – बिना महारानी की आज्ञा से क्या संभव हो सकता है।

 

 

 

 

रानी परी बोली – इस किन्नर के पास असीमित शक्तियां है उनका प्रयोग करके यह हम लोगो के साथ रह सकता है और हम लोग भी इसे महारानी से छुपाते हुए इस किन्नर को बचाने का प्रयास अवश्य करेंगे। पानी से निकलकर कच्छप किन्नर के पास आ गया था।

 

 

 

 

उधर सभी परियां परीलोक में पहुँच गयी। महारानी परी सुमन और रानी परी को सभी परियो के साथ नहीं देखने पर पूछ बैठी – सुमन और रानी परी कहाँ है? सभी परियां एक साथ ही बोली – महारानी! सुमन और रानी परी जब स्नान करने के लिए स्वर्ण सरोवर के भीतर गयी तभी अकस्मात स्वर्ण सरोवर का जल और सरोवर के किनारे के सभी वृक्ष सामान्य स्थिति में आ गए।

 

 

 

 

सुमन पारीऔर रानी परी जल से बाहर आने के पश्चात शक्तिहीन हो चुकी थी और परीलोक आने में समर्थ नहीं हो सकी आप उन दोनों की सहायता करिये महारानी। महारानी परी बोली – मैं उन दोनों की सहायता अवश्य ही करुँगी। किन्नर के स्वरुप में मिलन से कच्छप बोला – स्वामी! आपके ऊपर महारानी परी की आँखे लगी हुई है अतः आपको सावधान रहना होगा।

 

 

 

 

किन्नर बोला – तुम चारो के रहते हुए मुझे किसी प्रकार की चिंता नहीं है। तुम चारो लोग समय के अनुसार हरामी सुरक्षा के लिए निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हो। किन्नर के इतना कहते ही कच्छप ने अपना प्रभाव दिखाया। किन्नर धीरे-धीरे प्रकाश पुंज बनकर गायब हो गया।

 

 

 

 

किन्नर के गायब होते ही सुमन परी और रानी परी सुलेखा की शक्ति भी गायब हो गयी। परीलोक से रानी परी यह सब देख रही थी। उसने अपनी शक्ति संपन्न छड़ी उठाया और सुवर्ण सरोवर की तरफ चल पड़ी। परियो की महारानी कुमुद सरोवर के समीप आकर देखा सुमन और सुलेखा दोनों सामान्य अवस्था में सरोवर के एक किनारे पर खड़ी थी।

 

 

 

 

महारानी कुमुद ने अपनी छड़ी से सुलेखा और सुमन के शरीर को छूने के साथ ही कुछ स्पष्ट रूप से पढ़ती जा रही थी लेकिन सुमन और सुलेखा के ऊपर इन सब क्रिया कलाप से कुछ भी प्रभाव नहीं पड़ा। दोनों पहले की तरह सामान्य थी।

 

 

 

 

महारानी कुमुद कई बार वही क्रिया कर चुकी थी लेकिन कुछ भी सफलता प्राप्त नहीं हुई। महारानी कुमुद ने सुमन और सुलेखा से कहा – हमारा प्रयास सफल नहीं हो सका लेकिन जो कोई भी तुम लोगो के साथ ऐसा व्यवहार किया है वह तुम लोगो को इस सरोवर से लेकर अन्यत्र नहीं जा सकता है।

 

 

 

 

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