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Durga Chalisa Pdf in Hindi
दुर्गा माता जगत जननी है ,उनका स्मरण मात्र ही सभी संकटों से छुटकारा दिलाने के लिए पर्याप्त है। जब कोई भी असहाय अवस्था में है तो उसे सर्व प्रथम अपने (माँ ,माई ,आई ,जननी )की ही याद आती है। अगर बालक छोटा है तो तुरंत ही माँ उसकी सहायता के लिए दौड़ पड़ती है। अगर बालक बड़ा या वयस्क है तो भी माँ अपने आशीर्वाद से उसके लिए -सुरक्षा कवच-का निर्माण कर उसे निर्भय बना देती है।
जब माँ अपने पुत्र का इतना ध्यान रखती है तो ,पुत्रों के लिए भी अपनी माँ के प्रति कर्तव्य का निर्वहन करना ही चाहिए ,चाहे वह स्तुति के रूप में हो ,या फिर आरती के द्वारा ,या फिर पूजा और चालीसा के द्वारा हो ,माता का सम्मान अवश्य करना चाहिए ?इससे मानव का संपूर्ण कल्याण होगा ,इसमें संदेह नहीं है। माता भगवती की पूजा में -दुर्गा चालीसा -का पाठ अवश्य ही करना चाहिए इससे कई तरह के फायदे होते हैं।
१- रोज दुर्गा चालीसा का पाठ करने से मन का भटकाव रुक जाता है ,और परम् शांति मिलती है।
२-दुर्गा चालीसा के पाठ से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
३-दुर्गा चालीसा का पाठ नवरात्रि के समय अथवा प्रत्येक शुभ अवसर पर किया जा सकता है ,इससे आध्यात्मिकता के साथ ही भौतिक खुशियां भी प्राप्त होती हैं।
४-दुर्गा चालीसा के पाठ से माता कृपा प्राप्त होती है और दुश्मन को परास्त करने में सहायता मिलती है।
५-दुर्गा चालीसा के पाठ से परिवार की सुरक्षा होती है और आर्थिक परेशानी का भी शमन होता है।
६-माँ दुर्गा की कृपा से मनुष्य को भक्ति ,ज्ञान ,वैभव की प्राप्ति होती है।
७-माँ भगवती की कृपा से पूरे परिवार को अनेक प्रकार से सुरक्षा मिलती है तथा नकारात्मक शक्तिओं का क्षय होता है।
८-दुर्गा चलिसा के पाठ से समाज में मान -सम्मान प्राप्त हो कर वित्तीय स्थिति प्रगाढ़ होती है।
९-दुर्गा चालीसा के नित्य पाठ से माता दुर्गा अपने भक्त के इर्द -गिर्द (सुरक्षा कवच)का निर्माण कर देती हैं जिससे भक्त की सदैव सुरक्षा होती है।
दुर्गा चालीसा Pdf Download


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सिर्फ पढ़ने के लिये
भयानक पक्षी के लिए उड़ना संभव नहीं था। वह दर्द से तड़पते हुए नीचे की तरफ आने लगा। कछुआ मिलन के साथ वर्फीली नदी के किनारे गिर पड़ा। मिलन उस भयानक पक्षी से आजाद हो गया था लेकिन वह भयानक पक्षी कछुआ की पकड़ से आजाद न हो सका।
वह कछुआ से बोला – मैंने तुम्हारे मालिक को आजाद कर दिया अब तुम मुझे छोड़ दो। कछुआ बोला – मैं तुम्हे छोड़ देता हूँ लेकिन तुम अपने मालिक से जाकर कह दो एक कछुआ तुमसे दो-दो हाथ करना चाहता है। मेरु नामक वह भयानक पक्षी घायल अवस्था में ही अपने मालिक हारु के पास गया।
हारु घायल अवस्था में अपने पास मेरु को आया हुआ देख बोला – मुझे इस हालत में पहुंचाने वाला एक विशालकाय कछुआ है। उसने आपको भी दो-दो हाथ करने के लिए कहा है। मदांध होकर हारु की सोचने की क्षमता नष्ट हो गयी वह अपने अनुचर मेरु से बोला – एक कछुआ मुझसे लड़ने की हिम्मत कैसे कर सकता है?
मैं उस कछुआ को अवश्य ही दंड दूंगा तुम हमारे साथ अभी चलो। हारु अपनी शक्ति से एक भयंकर तूफान बर्फीली नदी की तरफ छोड़ दिया। उस भयंकर तूफान के बीच मिलन घिर गया। मिलन के पास जो मत्स्य पत्थर था। वह कछुआ से बोला – कछुआ भाई! इस बार मैं इस हारु और मेरु को देखूंगा अगर मैं कमजोर पडूंगा तब आप हमारी सहायता करना।
मत्स्य पत्थर एक छोटी मछली बनकर उस तूफान का भक्षण करने लगा। हारु उस बर्फीली नदी के पास गया और देखा मिलन के ऊपर तूफान का कुछ भी असर नहीं है लेकिन एक छोटी सी मछली अपने भीतर तूफान को समाहित कर रही है।
क्रोध की अधिकता के कारण हारु की आँखों से असीमित संख्या में छोटे और भयानक जीव निकलने लगे। वह सब मिलन की घेरा बंदी करने लगे तथा उनका आकार बड़ा होने लगा। मत्स्य पत्थर से असीमित संख्या में छोटी मछलियां निकलकर उन भयानक जीव जन्तुओ का भक्षण करने लगी।
भक्षण करने के साथ ही सभी मछलियों का आकार बड़ा होते जा रहा था। हारु अपनी शक्ति का जितना भी प्रयोग करता उसे मत्स्य पत्थर वाली मछली विफल कर देती थी। अपनी पराजय देखकर हारु अपने अनुचर मेरु के साथ मंदक पर्वत पर भाग गया।
हारु के भागने पर मछली बोली – कछुआ भाई! आप मिलन की सुरक्षा करना मैं उन दोनों को सबक सिखाकर ही लौटूंगी। मछली अमोघ शक्ति की भांति हारु और मेरु के पीछे लग गयी। हारु जैसे ही मंदक पर्वत पर गया उसी पल बड़े आकार की मछली हारु की तरफ बड़ी भयानक मुखाकृति के साथ उपस्थित हो गयी।
हारु और मेरु उस भयानक मुखाकृति वाली मछली को देखकर मंदक पर्वत से भागकर एक कंदरा में जाकर छिप गये लेकिन उन्हें क्या पता था कि सेर को सवासेर मिल जायेगा। कंदरा में छिपे हुए हारु और मेरु अपनी उखड़ी हुई सांसो पर नियंत्रण का प्रयास कर ही रहे थे।
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