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Durga Saptashati in Hindi Pdf
दुर्गा सप्तशती का पाठ करना सदैव ही शुभ फल देता है परन्तु नियमित रूप से नवरात्रि के समय यदि दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाय तब वह उत्तम फल प्रदान करने वाला होता है।
दुर्गा सप्तशती के पाठ से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है और नकारात्मक ऊर्जा का बहिर्गमन होकर घर में खुशहाली तथा धन धान्य सौभाग्य की वृद्धि निरंतर होती रहती है। दुर्गा सप्तशती के पाठ से माता भगवती की प्रसन्नता के साथ ही उनकी कृपा साधक के ऊपर बनी रहती है। साधक की सभी मनोकामना माता भगवती की कृपा से पूर्ण होती है।
पाठ करते समय ध्यान रखने योग्य बाते
दुर्गा सप्तशती के पाठ का श्री गणेश करते समय कुछ बातो का अवश्य ध्यान रखना चाहिए। नवार्ण मंत्र, कीलक, अर्गला स्तोत्र का क्रमवार पाठ करने के पश्चात ही दुर्गा सप्तशती के पाठ का श्री गणेश करना चाहिए। इस प्रकार से पाठ करने पर माता भगवती प्रसन्न होती है और पाठ का पूर्ण फल साधक को प्राप्त होता है।
दुर्गा सप्तशती पाठ के तीन प्रकार
दुर्गा सप्तशती पाठ करते समय उसमे लिखे हुए मंत्रो के अर्थ को भली प्रकार समझना चाहिए फिर पाठ की शुरुआत करनी चाहिए। इस पाठ को तीन प्रकार से किया जाता है। तेज आवाज में बोलने के साथ, मंद स्वर में, मन के अंदर पाठ करना।
तेज आवाज में मंत्र के उच्चारण की तीव्रता होती है जो दूसरों को भी स्पष्ट रूप से सुनाई पड़ती है।
मंद स्वर में सिर्फ अधरों का कम्पन होने से पाठ का पता लग जाता है।
मन के अंदर ही पाठ करने से कुछ भी ध्वनि उत्पन्न नहीं होती है और साधक मौन रखकर पाठ करता है। इसमें अधरों का कम्पन भी नहीं होता है। इन तीनो में से पहले वाला तरीका ही उत्तम माना जाता है। सप्तशती के मंत्रो के अर्थ को समझकर पाठ करना उत्तम माना जाता है।
शब्द के स्पष्ट उच्चारण पर ध्यान देना
दुर्गा सप्तशती के पाठ करते समय शब्द के उच्चारण का ध्यान देना चाहिए कि वह त्रुटिपूर्ण न होने पाए और मंत्र शब्द का उच्चारण स्पष्ट रूप से होता रहे। कई लोग तेजी के साथ पाठ करते है ऐसा करना निषेध माना गया है। पाठ को मध्यम स्वर के साथ पढ़ने का विधान है।
पुस्तक को उचित आसन दे
प्रायः देखने में आता है कि सभी हाथ मे लेकर ही धार्मिक पुस्तक को पढ़ते है जबकि यह अनुचित है। विशेषकर जब कोई पूजा पाठ करते समय पुस्तक को भी आसन देना चाहिए यह आसन चौकी, या पुस्तक स्टैंड हो सकता है। चौकी या पुस्तक स्टैंड पर रखकर ही दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए।
पाठ करते समय ध्यान देने योग्य बाते
नवरात्रि अथवा किसी भी दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय बीच में रुकना नहीं चाहिए तथा पाठ अधूरा छोड़कर उठना भी नहीं चाहिए। दुर्गा सप्तशती में तीन खंड और तेरह अध्याय है यदि एक बार में पूरा पाठ करना संभव न हो सके तो एक बार में एक खंड का पाठ भी किया जा सकता है।
इसमें प्रथम खंड, मध्यम खंड और उत्तर खंड है। दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय बीच में बोलने का प्रयास नहीं करना चाहिए। समुचित नियम के साथ पाठ करने पर माता भगवती की कृपा अवश्य प्राप्त होती है। पाठ करने में त्रुटि होना स्वाभाविक है इसलिए पाठ के अंत में माता भगवती से अपनी त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थना आवश्यक है।
दुर्गा सप्तशती Pdf Download
पुस्तक का नाम | Durga Saptashati in Hindi |
भाषा | हिंदी |
साइज | 0.59 Mb |
पृष्ठ | 240 |
श्रेणी | Dharmik Book Pdf |


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