मित्रों इस पोस्ट में Gita Bhakti Yog 12th Chapter PDF दिया जा रहा है। आप नीचे की लिंक से Gita Bhakti Yog 12th Chapter PDF Download कर सकते हैं और आप यहां से Ghat Ramayan PDF Hindi Download कर सकते हैं।
Gita Bhakti Yog 12th Chapter PDF
कर्मयोग और ज्ञानयोग दोनों नाशवान संसार से ऊँचे उठने के लिए अर्थात उससे सर्वथा संबंध विच्छेद करने के लिए है। इनमे दूसरो के हित के लिए निष्काम कर्म करके संसार से ऊँचे उठने को कर्मयोग कहते है और अपने विवेक को महत्व देकर संसार से ऊँचे उठने को ज्ञानयोग कहते है।
एकमात्र भगवान पर निर्भर रहना भक्तियोग है इसलिए भगवान ने गीता में दो ही निष्ठा बतलाई है कर्मयोग और ज्ञानयोग। भक्तियोग को भगवान ने निष्ठा नहीं बतलाया क्योंकि यह साधक की स्वयं की निष्ठा नहीं है। भक्तियोग का साधक भगवन्निष्ठ होता है।
उसकी निष्ठा, आश्रय, भरोसा केवल भगवान ही होते है। भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन साथ-साथ ही रहते थे। साथ-साथ रहने पर भी भगवान ने अर्जुन को कभी उपदेश नही दिया और अर्जुन ने कभी पूछा भी नहीं। जब युद्ध के समय अर्जुन किंकर्तव्यविमूढ़ हो गए, उलझन में पड़ गए तब उन्होंने भगवान के शरण होकर अपने कल्याण की बात पूछी।
इसी से गीता का उपदेश आरंभ हुआ। अंत में भगवान ने केवल अपने शरण हो जाने की बात कही। इसपर अर्जुन ने “मैं आपकी आज्ञा का पालन करूँगा” ऐसा कहकर भगवान की पूर्ण शरणगति को स्वीकार कर लिया। इसी से गीता का उपदेश समाप्त हुआ। डाउनलोड करने के लिए नीचे दी गयी बटन पर क्लिक करे।
Gita Bhakti Yog 12th Chapter PDF Download
Note- हम कॉपीराइट का पूरा सम्मान करते हैं। इस वेबसाइट Pdf Books Hindi द्वारा दी जा रही बुक्स, नोवेल्स इंटरनेट से ली गयी है। अतः आपसे निवेदन है कि अगर किसी भी बुक्स, नावेल के अधिकार क्षेत्र से या अन्य किसी भी प्रकार की दिक्कत है तो आप हमें abhishekpandit8767@gmail.com पर सूचित करें। हम निश्चित ही उस बुक को हटा लेंगे।
मित्रों यह पोस्ट Gita Bhakti Yog 12th Chapter PDF आपको कैसी लगी जरूर बताएं और इस तरह की दूसरी पोस्ट के लिए इस ब्लॉग को सब्स्क्राइब जरूर करें और इसे शेयर भी करें और फेसबुक पेज को लाइक भी करें, वहाँ आपको नयी बुक्स, नावेल, कॉमिक्स की जानकारी मिलती रहेगी।