गीता प्रेस गोरखपुर Pdf | 10 + Gita Press Gorakhpur in Hindi Pdf

प्रिय पाठकों, अब हम इस पोस्ट में आपके लिये Gita Press Gorakhpur in Hindi Pdf लेकर आये हैं, जिसे आप नीचे की लिंक से डाउनलोड कर सकते हैं और यहां से Shivji Ki Aarti in Hindi Pdf Download कर सकते हैं।

 

 

 

Gita Press Gorakhpur Hindi Pdf

 

 

 

 

 

 

 

 

Gita Press Gorakhpur in Hindi Pdf

 

 

 

 

अर्जुन कहता है – जो लोग कुल परंपरा को विनष्ट करते है और इस तरह से अवांछित सन्तानो को जन्म देते है। उनके  से समस्त प्रकार की सामुदायिक योजनाए तथा पारिवारिक कल्याण कार्य विनष्ट हो जाते है।

 

 

 

उपरोक्त शब्दों का तात्पर्य – समाज के अनुत्तरदायी सदस्यों द्वारा समाज में अव्यवस्था का निर्माण हो जाता है और सनातन धर्म के परंपरा के विखंडन से उस समाज में अव्यवस्था फैलती है।

 

 

 

 

सनातन धर्म या वर्णाश्रम धर्म द्वारा निर्धारित मानव समाज के चारो वर्णो के लिए सामुदायिक योजनाए तथा पारिवारिक कल्याण कार्य इसलिए नियोजित होते है कि मनुष्य चरममोक्ष प्राप्त कर सके।

 

 

 

ऐसे अनुत्तरदायी सदस्य नायक अंधे कहलाते है और जो लोग इनका अनुगमन करते है वह निश्चय ही कुव्यवस्था की ओर अग्रसर होते है। जिसके फलस्वरूप जीवन के मूल उद्देश्य विष्णु को भूल जाते है।

 

 

 

 

43- आचार्यो का अनुगमन – अर्जुन कहता है – हे प्रजापालक कृष्ण ! मैंने गुरु परंपरा से सुना है जो लोग कुल धर्म का विनाश करते है वह सदैव नरक में वास करते है।

 

 

 

उपरोक्त शब्दों का तात्पर्य – वर्णाश्रम धर्म की एक पद्धति के अनुसार मृत्यु के पूर्व मनुष्य को अपने पाप कर्मो के लिए प्रायश्चित करना पड़ता है। अर्जुन अपने तर्कों को अपने निजी अनुभव पर न आधारित करके आचार्यो से जो सुन रखा है उसपर आधारित करता है। वास्तविक ज्ञान प्राप्त करने की यही विधि है।

 

 

 

 

जिस व्यक्ति ने पहले से ज्ञान प्राप्त कर रखा है उस व्यक्ति की सहायता के बिना कोई भी वास्तविक ज्ञान तक नहीं पहुंच सकता है। जो लोग पापात्मा है उन्हें इस विधि का अवश्य ही उपयोग करना चाहिए। ऐसा किए बिना मनुष्य निश्चित ही नरक भेजा जाएगा। जहां उसे अपने पाप कर्मो के लिए कष्टमय जीवन व्यतीत करना होगा।

 

 

 

 

44- जघन्य पाप कर्म – अर्जुन कहता है, ओह ! कितने आश्चर्य की बात है हम सब जघन्य पाप कर्म करने के लिए उद्यत हो रहे है। राज्यसुख भोगने की इच्छा से प्रेरित होकर हम अपने ही संबंधियों को मारने पर तुले हुए है।

 

 

 

 

उपरोक्त शब्दों का तात्पर्य – भगवान का साधु भक्त होने के कारण अर्जुन सदाचार के प्रति जागरूक है। अतः वह ऐसे कार्यो से बचने का प्रयत्न करता है। स्वार्थ वशीभूत होकर मनुष्य अपने सगे भाई बाप या मां के वध जैसे पाप कर्मो में प्रवृत्त हो सकता है। विश्व के इतिहास में ऐसे अनेक उदाहरण प्राप्त होते है।

 

 

 

 

45- अर्जुन का प्रतिरोध न करना (मोह में) – अर्जुन कहता है – यदि शस्त्रधारी धृतराष्ट्र के पुत्र मुझ निहत्थे तथा रणभूमि में प्रतिरोध न करने वाले को मारे तो यह मेरे लिए श्रेयस्कर होगा।

 

 

 

 

उपरोक्त शब्दों का तात्पर्य – अर्जुन ने इसपर तनिक भी विचार नहीं किया कि दूसरा पक्ष (कौरव) युद्ध के लिए कितना उद्यत हो रहा है। क्षत्रियो के युद्ध नियमो के अनुसार ऐसी प्रथा है कि निहत्थे तथा विमुख शत्रु पर आक्रमण न किया जाय। किन्तु अर्जुन निश्चय कर चुका था कि शत्रु इस विषम अवस्था में उसपर आक्रमण करे लेकिन वह युद्ध नहीं करेगा। इन सब लक्षणों का कारण उसकी दयार्द्रता है जो भगवान के महान भक्तो में पायी जाती है।

 

 

 

 

Gita press Gorakhpur books in Hindi pdf free download

 

 

 

1- सुंदरकांड 

 

 

 

Sunderkand in Hindi Gita Press Pdf Download

2 – स्तोत्र रत्नावली pdf 

 

 

 

Stotra Ratnavali Pdf Gita Press Pdf Hindi
स्तोत्र रत्नावली pdf Download

 

 

3-सरल हवन विधि गीता प्रेस 

 

 

Havan vidhi Gita press Pdf
सरल हवन विधि गीता प्रेस Pdf Download

 

 

 

4- पतंजलि योग दर्शन Pdf

 

 

 

 

Patanjali Yog darshan Gita Press Pdf
Patanjali Yog darshan Gita Press Pdf यहां से डाउनलोड करे।

 

 

 

 

रुद्रष्टाध्यायी Download Now
श्रीमद्भागवत गीता Download Now
श्रीमद देवी भागवत पुराण  Download Now
सुंदर समाज का निर्माण  Download Now
वीर बालक  Download Now

 

 

 

 

 

 

Note- इस पोस्ट में दिये किसी भी Pdf File या Pdf Book का इस वेबसाइट के ऑनर से कोई सम्बन्ध नहीं है। अगर इस पोस्ट में दिए गए किसी भी Pdf Book या Pdf File से किसी को भी कोई परेशानी है तो इस मेल हमारे इस आईडी newsbyabhi247@gmail.com पर संपर्क कर सकते है। हम तुरंत ही उस पोस्ट को अपने साइट से हटा देंगे। 

 

 

 

मित्रों यह पोस्ट Gita Press Gorakhpur in Hindi Pdf जरूर आपको पसंद आई होगी, तो मित्रों को भी इस वेबसाइट के बारे में जरूर बतायें।

 

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *