गोपी गीत पाठ Pdf | Gopi Geet Path Pdf

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इस पुस्तक के बारे में——

 

 

हे सखी! जब सायंकाल हो जाता है, गाये ब्रज में आने लगती है, उनके पीछे-पीछे ग्वाल बालो के साथ बांसुरी बजाते हुए श्री कृष्ण और बलराम ब्रज में प्रवेश करते है, तब उनकी स्नेह भरी चितवन का रस जो लेता है उसी का जीवन सफल है। कितना विचित्र वेष रहता है उनका – आम्र मंजरियां, कोमल कोमल पल्लव, पुष्पों के स्तबक और कमलो की माला।

 

 

 

गोप बालको के बीच गाते हुए वे एक श्रेष्ठ नट के समान जान पड़ते है। गोपियों! जिस वंशी की ध्वनि सुनकर वापियों को रोमांच हो आता है उनमे कमल खिलने लगते है, वृक्षों से आंसू बहने लगते है उस बांसुरी ने कौन सी तपस्या की है? उलटे वह तो गोपियों का अधिकार छीन लेती है।

 

 

 

हो न हो उसका कोई महान पुण्य अवश्य है। जब श्री कृष्ण बांसुरी बजाते है तब उसकी स्वर में ताल मिलाकर मयूर नृत्य करने लगते है, वन्य हिंसक जीव भी अपना स्वभाव त्यागकर प्रेम में मुग्ध हो जाते है। उनके चरण चिन्हो से चर्चित वृन्दावन धाम सम्पूर्ण भूमंडल में यश का विस्तार कर रहा है।

 

 

 

उनका मधुमय संगीत और उनके मधुर मनोहर रूपलावण्य का अवलोकन कर दिव्य देवांगनाएँ अपनी सुध-बुध खो बैठती है। गौए अपने कानो को खड़ा करके उस पीयूष रस का पान करती है। बछड़े अपने मुंह मे लिए हुए दूध को न उगल पाते है और न निगल ही सकते है।

 

 

 

Gopi Geet Path Pdf Hindi

 

 

 

 

 

 

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