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Gorakhnath Shabar Mantra Pdf Download


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सिर्फ पढ़ने के लिये
हम लोग किसी का गला तो नहीं दबाते किसी का शाप तो नहीं लेते। इस तरह वह अपने मन को ढांढस देकर वह फिर बरामदे में आ गयी तो पिंकी ने अपने जीजा के विषय में पूछते हुए उसके ऊपर दया दृष्टि से देखते हुए कहा – जीजा जी की कुछ तरक्की हुई कि नहीं बहन! या अभी तक गिने गिनाये रुपयों पर ही कलम घिस रहे है?
पिंकी की बात को सुनकर प्रिया का चेहरा तमतमा उठा। वह बोली – ओह रे दिमाग! यह तो अपनी बहन को ही व्यंग कस रही है। ऐसा लगता है मानो इसका पति लाट साहब ही तो है। प्रिया अकड़कर पिंकी से बोली – तरक्की हो चुकी है अब वह हजार के ग्रेड में है।
आजकल यह भी गनीमत है नहीं तो अच्छे-अच्छे एम. ए. पास को देखती हूँ तो कोई टके को नहीं पूछता एड़िया घिसते रहते है। तेरा शौहर तो अब बी.ए. में पढ़ता होगा। पिंकी ने नाक सिकोड़ते हुए कहा – पढ़कर सिर्फ औकात खराब करना था।
इसलिए तो उन्होंने पढ़ना ही छोड़ दिया बहन! अब तो वह एक कम्पनी में एजेंट हो गए है। उन्हें ढाई हजार रूपये माहवार मिलते है और कमीशन ऊपर से। पचास रूपये रोज खर्च के लिए मिलते है। यह समझ लो बहन कि पांच हजार का औसत पड़ जाता है।
ऊँचे ओहदे के लिए अच्छी हैसियत भी तो चाहिए कि नहीं। साढ़े तीन हजार बेदाग घर पर दे देते है। डेढ़ हजार तो उनका अपना खर्च है बहन! ढाई हजार में घर का खर्च आराम से चल जाता है। एक हजार रुपये मुझे मिल जाते है। एम. ए. पास करके वह क्या करते।
प्रिया अपनी छोटी बहन पिंकी के इस कथन को शेख चिल्ली की दास्तान से अधिक महत्व नहीं देना चाहती। मगर पिंकी की बातो से इतना विश्वास झलक रहा था कि वह उसकी बातो से प्रभावित हो रही थी। यदि उसे बिलकुल पागल नहीं होना है।
पिंकी की बातो से उसके मुख पर पराजय और खिन्नता का भाव साफ झलक रहा था। जिरह करके उसे अपने मन को यह विश्वास दिलाना ही पड़ेगा कि इसके काव्य में एक चौथाई से ज्यादा सत्य नहीं है। प्रिया का दिल धड़क रहा था। कही यह कथा सत्य निकली तो वह पिंकी को अपना मुंह कैसे दिखाएगी।
एक चौथाई तक सहन करना ठीक है। वह उससे अधिक सहन नहीं कर सकती है। उसे डर है कि कही उसकी आँखों से आंसू नहीं निकल जाए। आत्मा की हत्या करके कितनी बड़ी रकम क्यों न मिले उसके लिए असह्य है। कहां एक हजार और कहां पांच हजार।
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