नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Gulshan Nanda Novels In Hindi Pdf देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से Gulshan Nanda Novels In Hindi Pdf Download कर सकते हैं और आप यहां से Sawal Hi Jawab Hai Book Pdf In Hindi कर सकते हैं।

 

 

 

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गुनाह के फूल नॉवेल Pdf यहां से डाउनलोड करे।

 

 

 

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काली घाटी नॉवेल Pdf By गुलशन नंदा यहां से डाउनलोड करे।

 

 

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सिर्फ पढ़ने के लिए

 

 

 

बिना किसी के सहयोग मैं इतना सारा काम नहीं कर सकता हूँ। उस पचास हजार रुपये में बीस हजार रुपया रघु के लिए होगा और तीस हजार रुपया सामाजिक कार्य के लिए रहेगा।

 

 

 

 

तभी डा. निशा भारती बोली यह आपने बहुत ही उत्तम कार्य किया है पिता जी। आज के सातवे दिन मैं फिर आऊंगा तब सरोज सेवा केंद्र का रजिस्ट्रेशन करवा दूंगा ताकी कोई कानून की समस्या न पैदा हो सके। इसके माध्यम से हम अपने गांव के विकास में थोड़ा सा योगदान दे सकते है।

 

 

 

 

अच्छा यह बताओ विपिन आजकल कहाँ है वह तुम्हारे पास क्यों नहीं आता है। निशा बोली उनके पास समय का बहुत ही अभाव है। वह सुबह और शाम को दस लड़को को निःशुल्क फौजी की ट्रेनिंग कराते है ताकी पढ़े लिखे नौजवान अपने पैरो पर खड़े हो सके तथा देश की सेवा भी करते है।

 

 

 

 

प्रताप और भारती की बात सुनकर दीपक को बहुत ही ग्लानि का अनुभव हो रहा था कि इतने महान विचार वाले मनुष्यो के बीच में मैं कितना तुच्छ हूँ जो पीते हुए अपना जीवन बर्बाद कर रहा हूँ। उसने तुरंत ही अपने मन में निर्ण य कर लिया कि आज के बाद कभी उसको हाथ भी नहीं लगाएगा उसका हृदय परिवर्तन हो चुका था।

 

 

 

 

निशा अपने पिता के साथ सरिता और दीपक को लेकर घर आ गयी थी। विपिन अपने कमरे में बैठकर टीवी पर समाचार देख रहा था तभी निशा के साथ प्रताप को देखकर चौंक पड़ा और उन्हें प्रणाम करते हुए पूछा आप कब आये तो प्रताप बोले मैं शाम को ही आ गया था।

 

 

 

 

वहां निशा के पास क्लिनिक पर ही रुक गया था। सरिता कोमल के पास जाकर बताने लगी कि नाना जी आये है तो बाहर निकल कर आयी और प्रताप को पिता जी कहकर प्रणाम करने लगी। तभी निशा कोमल से बोली भोजन थोड़ा बढ़ाकर बनाओ क्योंकि पिता जी के साथ ही दीपक के लिए भी चाहिए।

 

 

 

 

निशा कोमल को बता रही थी कि कैसे दीपक घायल अवस्था में पड़ा था और सरिता ने उसे बताया तब निशा उसे उपचार के बाद आज ही अस्पताल से लेकर घर आयी। रसोई में निशा भी कोमल का हाथ बटाने लगी। प्रताप विपिन बातें करने लगे दीपक चुप होकर बैठा था।

 

 

 

 

उसके पास कहने के लिए कुछ नहीं था। दूसरे दिन प्रताप बंगलोर जाने से पहले निशा से बोले कि अगर किसी महीने में पैसा रघुराज के पास नहीं दे पाऊं तो तुम उसका सहयोग कर देना इस बात निशा और विपिन दोनों राजी हो गए।

 

 

 

 

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