गुप्त ज्ञान इन हिंदी Pdf | Gupt Gyan Hindi Pdf

आज इस पोस्ट में हम आप लोगो के लिए Gupt Gyan Hindi Pdf लेकर आया है आप इसे नीचे दी गयी लिंक से डाउनलोड कर सकते है साथ में आप Chintamani Bhag 1 Pdf पढ़ सकते है।

 

 

 

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बेंगलोर में प्रताप भारती व्यवसाय ठीक चल रहा था ,लेकिन जब से उन्होंने (सरोज सेवा केंद्र )की स्थापना किया था तब से उनके व्यापर में बहुत अधिक उछाल आ गया था। प्रताप भारती को कई प्रकार के कपड़े तैयार करने वाली कम्पनी से कपड़े धुलाई और प्रेस करने के बहुत सारे ऑर्डर मिले थे ,और उनका व्यापर बहुत तीब्र गति पकड़ चुका था।

 

 

 

शायद यह हनुमान जी की कृपा और -सरोज सेवा केन्द्र के लाभार्थीयो का आशीर्वाद था ,एक कहावत है की पुण्य जड़ पाताल तक जाती है अर्थात भगवान की असीम कृपा बरसने लगती है। प्रताप भारती के व्यवसाय में और आदमीयो की जरूरत थी ,उन्होंने अपने दोस्त -रघुराज सोनकर -के पास फोन किया -दूसरी तरफ से रघुराज बोल रहे थे।

 

 

 

प्रताप ने पूछा -कैसे चल रहा है -सरोज सेवा केन्द्र -रघुराज ने कहा ,ठीक चल रहा है ,लेकिन कोई व्यक्ति अपनी लड़की के शादी के लिए सहायता मांगने आता है तब शर्मिंदा होना पड़ता है। क्यों की शादी में लगने वाला बजट अपने पास नहीं है ?दूसरी तरफ से प्रताप बोले -कम से कम कितना बजट होना चाहिए -सरोज सेवा केंद्र में !रघुराज ने कहा -दस लाख के आस -पास तो होना ही चाहिए , क्यों कि  हमने एक नियम बनाया हुआ है ?

 

 

 

प्रत्येक साल दो लड़कियों की शादी के लिए अनुदान देंगे शादी के लिए एक लाख ,गरीब लड़के और लड़कियो  की पढ़ाई के लिए  साल में एक लाख ,मंदिर और दीन -दुखियों की सहायता के लिए एक साल में एक लाख,और दैवीय आपदा के लिए एक लाख,इस तरह से सब मिला कर पांच लाख रूपये एक साल में खर्च होंगे और बाकी पैसा -सरोज सेवा केन्द्र -के बैंक खाते में जमा रहेगा।

 

 

 

रघुराज बोले -ठीक है ,मैं अगले महीने आ रहा हूँ ,हमारे व्यवसाय में ७५ आदमियों की तुरन्त आवश्यकता है ,आप अपने जान -पहचान वलो से कह दीजियेगा कि ,बेंगलोर जाने वालो के लिए २५ हजार रुपया महीना तथा रहना और खाना कम्पनी की तरफ से मिलेगा ,एक बात और है रघु भाई -आप के लिए पचास हजार रुपया अलग से मिलता रहेगा। इसके बाद फोन बंद हो गया।

 

 

 

सुखिया के लड़के पंकज को रघुराज ने एकअस्पताल में भर्ती करा दिया था और रोज जा कर उसका हाल -चाल पूछते थे। ,जो भी दवा डा.लिखता रघुराज उसे फौरन उपलब्ध कराते थे। आज पंकज को सातवे दिन अस्पताल से छुट्टी मिलने वाली थी  ,सुखिया तो सात दिन से ही अस्पताल में अपने लड़के के पास था। घर पर सुखिया की औरत अपनी सात साल की लड़की मोनी के साथ रह कर अपने लड़के पंकज के लिए व्यग्र थी ,लेकिन इतना भरोसा था कि  पंकज का पिता सुखिया उसके साथ ही था और रघुराज का साथ भी सुखिया को मिला था।

 

 

 

डा.नवीन की तरफ से रघुराज को दवा इत्यादि को लेकर दस हजार का बिल मिला था। रघुराज ने दशहजार रुपया डा. नवीन को देकर सुखिया और पंकज के साथ अस्पताल के बाहर आ गए। उन्होंने एक टेम्पो रिजर्व कराया ,पंकज और सुखिया को लेकर उसके घर तक छोड़ आये ,अपने लड़के को सकुशल देख कर सुखिया की औरत भगवान का धन्यवाद करने लगी ,सुखिया तो रघुराज को इस तरह से देख रहा था जैसे उसके सामने -रघुराज -नहीं साक्षात भगवान ही मनुष्य रूप में खड़े हैं। वह रघुराज से बोला -मैं आपका यह उपकार कैसे चुकाऊंगा ?

 

 

 

रघुराज ने कहा -समय आनेदो ,मैं तुम्हें स्वयं ही बताऊंगा कि इस उपकार की भरपाई कैसे करना है ?यह पांच हजार रुपया और रखलो पंकज और अपने परिवार की देख -भाल अच्छे से करना इतना कहते हुए रघुराज सोनकर अपने घर चले गए। गंगापुर से एक आदमी रघुराज सोनकर से मिलने के लिए आया उसका नाम सुदेश था ,रघुराज उसकी कुशल -क्षेम पूछ ही रहा था की उसी समय कंचन ने पानी और बिस्किट लाकर रख दिया ,सुदेश को रघुराज ने जलपान के लिए कहा तब सुदेश पानी पीने लगा ,कुछ देर वाद कंचन ने चाय लाकर रख दिया रघु और सुदेश दोनों चाय पीने लगे।

 

 

 

रघु ने सुदेश से पूछा -किस कारण से आना हुआ है ?सुदेश बोला -लड़की की शादी करनी है ,क्या कुछ सहायता मिल सकती है ?रघुराज ने पूछा -कितना रुपया आप को चाहिए और कब ?सुदेश ने कहा -तीस हजार रुपया हो जाय तो हमे राहत मिल जाएगी। रघुराज ने उसे रुपया दे दिया तो सुदेश खुश हो करअपने घर चला गया दस दिन बादउसकी लड़की की शादी थी।

 

 

 

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पुस्तक का नाम  Gupt Gyan Hindi Pdf
पुस्तक के लेखक  परमहंस परिव्राजकाचार्य 
भाषा  हिंदी 
साइज  6.87 Mb 
पृष्ठ  657 
फॉर्मेट  Pdf 
श्रेणी  साहित्य 

 

 

 

 

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