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Hanuman Shabar Mantra Book PDF Download


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सिर्फ पढ़ने के लिये
ब्राह्मणो! शुद्ध स्थान से निकाली हुई मिट्टी को यत्नपूर्वक लाकर बड़ी सावधानी के साथ शिव लिंग का निर्माण करे। ब्राह्मण के लिए श्वेत, क्षत्रिय के लिए लाल, वैश्य के लिए पीली और शूद्र के लिए काली मिट्टी से शिव लिंग बनाने का विधान है अथवा जहां जो मिट्टी मिल जाय उसी से शिव लिंग बनाये।
शिव लिंग बनाने के लिए प्रयत्न पूर्वक मिट्टी का संग्रह करके उस शुभ मृत्तिका को अत्यंत शुद्ध स्थान में रखे। फिर उसकी शुद्धि करके जल से सानकर पिंडी बना ले और वेदोक्त मार्ग से धीरे-धीरे सुंदर पार्थिव लिंग की रचना करे। उस पार्थिव लिंग के पूजन की जो विधि है उसे मैं विधान पूर्वक बता रहा हूँ तुम सब लोग सुनो।
ॐ नमः शिवाय इस मंत्र का उच्चारण करते हुए समस्त पूजन सामग्री का प्रोक्षण करे उसपर जल छिड़के। इसके इत्यादि मंत्र से क्षेत्रसिद्धि फिर इस मंत्र से जल का संस्कार करे। इसके बाद नमस्ते रूद्र इस मंत्र से स्फटिकाबंध बनाने की बात कही गयी है।
नमः शंभवाय इस मंत्र से क्षेत्रशुद्धि और पंचामृत का प्रोक्षण करे। तत्पश्चात शिव भक्त पुरुष नमः पूर्वक नील ग्रावीय मंत्र से शिव लिंग की उत्तम प्रतिष्ठा करे। इसके बाद वैदिक रीति से पूजन कर्म करने वाला उपासक भक्ति पूर्वक एतत्ते रुद्रावसं इस मंत्र से रमणीय आसन दे।
मा नो महान्तम इस मंत्र से आवाहन करे। या ते रूद्र इस मंत्र से भगवान शंकर को आसन पर समासीन करे। यामिषु इस मंत्र से शिव के अंगो में न्यास करे। अध्यवोचत इस मंत्र से प्रेम पूर्वक अधिवासन करे। इस मंत्र से शिव लिंग में इष्ट देवता शिव का न्यास करे।
इस मंत्र उपसर्पण करे। इसके बाद इस मंत्र से इष्टदेव को पाद्य समर्पित करे। रूद्र गायत्री से अर्घ्य दे। त्र्यंबकं मंत्र से से आचमन कराये। पयः पृथिव्यां इस मंत्र से दुग्धस्नान कराये। दधिक्राव्णो इस मंत्र से दधिस्नान कराये। इस मंत्र से घृत स्नान कराये।
मधु वाता मधुमान्नो इन ऋचाओं से मधुस्नान और शर्करा स्नान कराये। इन दुग्ध आदि पांच वस्तुओ को पंचामृत कहते है। अथवा पाद्य समर्पण के लिए कहे गए नमोअस्तु नीलग्रीवाय इत्यादि मंत्र द्वारा पंचामृत से स्नान कराये। तदनन्तर मा नस्तोके इस मंत्र से प्रेम पूर्वक भगवान शिव को कटिबंध अर्पित करे।
नमो घृष्णवे इस मंत्र का उच्चारण करके आराध्य देवता को उत्तरीय धारण कराये। या ते हेति इत्यादि चार ऋचाओं को पढ़कर वेदज्ञ भक्त प्रेम से विधि पूर्वक भगवान शंकर के लिए वस्त्र समर्पित करे। .इसके बाद नमः श्वभ्यः इत्यादि मंत्र को पढ़कर शुद्ध बुद्धिवाला भक्त पुरुष भगवान को प्रेम पूर्वक गंध चढ़ाये।
नमस्तक्षभ्यो इस मंत्र से अक्षत अर्पित करे। नमः पार्याय इस मंत्र से फूल चढ़ाये। नमः पर्णाय इस मंत्र से विल्वपत्र समर्पण करे। नमः कपर्दिने च इत्यादि मंत्र से विधि पूर्वक धूप दे। नम आशवे इस ऋचा से शास्त्रोक्त विधि के अनुसार दीप निवेदन करे। तत्पश्चात नमो ज्येष्ठाय इस मंत्र से उत्तम नैवेद्य अर्पित करे।
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