हिंदी कहानी Pdf | 7 + Hindi Kahani Pdf Download

मित्रों इस पोस्ट में Hindi Kahani Pdf in Hindi दिया गया है। आप नीचे की लिंक से Hindi Kahani Book फ्री डाउनलोड कर सकते हैं और आप यहां से Panchatantra Stories Hindi Pdf Download कर सकते हैं।

 

 

 

Hindi Kahani Pdf Download

 

 

 

 

 

 

 

 

लालची कुत्ता हिंदी कहानी 

 

 

 

किसी का भी जीवन अगर सरल और सहज ढंग से चल रहा है तब उसे और ज्यादा लालच नहीं करनी चाहिए कि उसका वर्तमान ही नष्ट होने लगे क्योंकि सभी लोग जानते है कि ‘लालच एक बुरी बला’ है जो अंततः अपने जाल में फसाकर उसका वर्तमान भी नष्ट कर देती है।

 

 

 

 

 

इसलिए सभी को मिलकर ऐसी स्थिति का निर्माण करना चाहिए कि खुद भी परेशानी से सुरक्षित रहे और दूसरो की सुरक्षा भी हो सके। लेकिन मानव का स्वभाव ही ऐसा है कि उसकी पिपासा शांत होने का नाम ही नहीं लेती है। हम अपनी अति पिपासा के ऊपर नियंत्रण रखकर ही अपना और अन्य की भलाई में योगदान कर सकते है।

 

 

 

 

गोमांगो और अलवर्ट दोनों जिगरी दोस्त हुआ करते थे। लेकिन दोनों की विचार धाराए अलग-अलग होते हुए भी दोनों की दोस्ती बनी हुई थी। लेकिन लालच की खटाई एक दिन दोस्ती के दूध में पड़ गई और दूध फट गया।

 

 

 

 

 

गोमांगो अपने अपने खेतो में फूलो की खेती करता था। उसने मेहनत और तकनीक से अपने व्यापार को बहुत बढ़ा लिया था। उसके व्यापार से बहुत सारे लोग जुड़े हुए थे और सभी को रोजी रोटी मिली हुई थी।

 

 

 

 

अलवर्ट भी किसान था। उसने अपने खेत के बड़े भू भाग पर फलो के पेड़ लगाए थे जिसमे कई तरह के फलो का शुमार था। उसका भी व्यापार अच्छे से चल रहा था।

 

 

 

 

एक दिन उसके मन में लालच आ गया। अलवर्ट ने सोचा क्यों न मैं भी फूलो का व्यवसाय शुरू कर दूँ। इससे हमे और ज्यादा फायदा मिलेगा और मैं गोमांगो से व्यापार की दौड़ में बहुत ही आगे निकल जाऊंगा।

 

 

 

 

गोमांगो से अलवर्ट ने अपनी इच्छा बताई और कहा, “मैं भी तुम्हारी तरह फूलो का व्यापार करना चाहता हूँ।”

 

 

 

 

“लेकिन तुम एक व्यापार तो पहले से ही कर रहे हो। तुम्हारा यह फलो का व्यापार भी अच्छा चल रहा है। तुम क्यों फिर फूलो का व्यापार करना चाहते हो ?” गोमांगो ने अलवर्ट से कहा।

 

 

 

 

अलवर्ट ने कहा, “क्या हमारा यह विचार तुम्हे अच्छा नहीं लगा ?”

 

 

 

 

गोमांगो ने अलवर्ट से कहा, “इसमें अच्छा लगने और खराब लगने की बात नहीं है। मैं तो एक मित्र होने के नाते ही तुमसे कह रहा था कि दोनों व्यापार एक साथ ही नहीं संभाल पाओगे। दो नाव पर शैर कभी नहीं किया जा सकता है।”

 

 

 

 

लेकिन अलवर्ट ने गोमांगो की सलाह नहीं मानी और फूलो का भी व्यापार चालू कर दिया। अलवर्ट के विचार गलत थे। वह गोमांगो को हानि पहुंचाने के उद्देश्य के साथ फूलो का व्यापार चालू किया था।

 

 

 

 

जबकि गोमांगो ने अलवर्ट को हानि से बचने के लिए सचेत किया था। अब गोमांगो अपने फूल के व्यापार पर अधिक ध्यान देने लगा था।

 

 

 

 

कारण कि उसका दोस्त ही उसको टक्कर देने के लिए मैदान में कूद पड़ा था। अलवर्ट को गोमांगो के हर राज की जानकारी थी लेकिन उसने लालच में आकर भूल कर दिया था।

 

 

 

 

जिसका परिणाम यह हुआ कि वह दो नाव पर बैठने की कोशिश में डूबने लगा था क्योंकि वह न तो अपने पहले वाले व्यापार (फलो के व्यापार) पर ठीक से ध्यान दे पा रहा था और न ही फूलो के व्यापार पर ही ठीक से ध्यान दे पा रहा था।

 

 

 

 

उसके विपरीत गोमांगो अपने फूलो के व्यापार पर और अधिक ध्यान देने से एकदम मजबूत होकर खड़ा था। अलवर्ट धीरे-धीरे एकदम ही डूबता गया। दोनों मित्रो के बीच कड़वाहट तो बढ़ ही गई थी जिससे चाहकर भी गोमांगो अलवर्ट की कोई मदद नहीं कर सका।

 

 

 

 

पानी का पर्याय कुछ भी नहीं 

 

 

 

हर मनुष्य, पशु, पक्षी, जीव, जंतु को पानी का महत्व ज्ञान है। मनुष्य तो सभी जीव धरियो में श्रेष्ठ प्राणी है। उसे तो पानी का महत्व भली-भांति ज्ञात है। चाहे वह पीने वाला पानी हो या मर्यादा वाला पानी मानव के जीवन में दोनों ही प्रकार के पानी का महत्व है। मनुष्य को छोड़कर अन्य प्राणी तो पीने के योग्य पानी से अपने प्राणो की रक्षा कर लेते है।

 

 

 

 

लेकिन मनुष्य के जीवन में एक अन्य पानी का भी बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। उस प्रतिष्ठित पानी के अभाव में मनुष्य की मर्यादा भंग हो जाती है और वह उसकी रक्षा के लिए अपने प्राणो की आहुति तक दे सकता है। उस प्रतिष्ठित मर्यादित पानी की छोटी सी कहानी की झलक है।

 

 

 

 

दो मित्र थे। दोनों की समाज में प्रतिष्ठा थी। एक का नाम हेनरी था और दूसरे का नाम डेविड था। हेनरी समाज के सभी लोगो के बीच खूब इज्जत पाता था और डेविड भी लोगो का चहेता था।

 

 

 

 

दोनों के कारण अलग थे। हेनरी सभी के बीच खर्च करके अपनी प्रतिष्ठा अर्जित करता था और डेविड की इज्जत उसके घर के कारण से होती थी क्योंकि जो कोई भी किसी कार्य से डेविड के घर चला जाता था तो डेविड घर में रहे या नहीं आगंतुक की मान मर्यादा का डेविड के घर वाले सदैव ध्यान रखते थे।

 

 

 

 

लेकिन हेनरी के साथ ऐसा नहीं था। अगर हेनरी के नहीं रहने पर कोई उसके घर पहुंच जाता तब वहां आगंतुक के मान मर्यादा का पानी निचोड़ने में देर नहीं होती थी। इसी बात का दोनों मित्रो में अंतर था।

 

 

 

 

कई लोगो ने हेनरी से कह भी दिया था कि तुम्हारे में और डेविड में अंतर है और उसी अंतर को परखने के लिए एक दिन हेनरी बिना बताए ही डेविड के घर जा पहुंचा और अपनी पहचान भी गुप्त रखा था।

 

 

 

 

हेनरी जब डेविड के घर पहुंचा तो वहां उसका बहुत अच्छे से स्वागत हुआ इतना स्वागत कि उसकी मर्यादा का पानी और बढ़ गया।

 

 

 

एक दिन डेविड घूमते हुए हेनरी के घर जा पहुंचा। वहां तो हेनरी था ही नहीं जब तक डेविड के पानी को उतारने का प्रयास होता डेविड वहां से निकल चुका था।

 

 

 

 

रास्ते में हेनरी और डेविड की मुलाकात हो गई तब हेनरी ने झेंपते हुए क्षमा मांगा और कहा, “मैं अभी आपके घर से ही आ रहा हूँ। वास्तव में लोगो का कहना सही है आपके मर्यादा का पानी बहुत उत्तम है।”

 

 

 

मोहनपुर हिंदी कहानी 

 

 

Hindi Kahani Book Free
Hindi Kahani Book Free

 

 

 

 

मोहनपुर गांव में एक विद्यालय था। वहां सभी बच्चो को उत्तम शिक्षा प्रदान की जाती थी। एक बार बहुत सूखा पड़ गया था। सरकार की तरफ से पानी के संरक्षण का प्रस्ताव पास हो चुका था।

 

 

 

 

सभी गांव और कस्बो में पानी की बचत करने के उद्देश्य से अभियान चलाया जाता था। मोहनपुर गांव में जो विद्यालय था उसके प्रधानाचार्य चंद्रिका प्रसाद थे। अपने नाम के एकदम अनुरूप ही थे।

 

 

 

 

हमेशा शांत रहकर ही अपना कार्य करते थे। उन्हें भी भीषण सूखे का अंदाजा हो गया था। उन्होंने उस भयंकर सूखे से लड़ने के लिए पहले से ही तैयारी कर लिया था।

 

 

 

 

चंद्रिका प्रसाद का आदेश था कि शाम को छुट्टी होने के समय सभी बच्चो की पानी की बोतल से बचा हुआ पानी एक बड़े से टब में जमा करवाया जाय।

 

 

 

 

चंद्रिका प्रसाद के आदेश का पालन बखूबी हो रहा था। स्कूल से छूटने के बाद बचे हुए पानी को बच्चे अक्सर ही फेक देते थे। लेकिन अब उस पानी का सार्थक उपयोग हो रहा था।

 

 

 

 

विद्यालय बड़ा था। वहां छात्र भी अधिक थे। इसलिए शाम के समय एक सौ से डेढ़ सौ लीटर पानी रोज एकत्रित हो जाता था। उस पानी का उपयोग स्कूल में लगे पौधों के काम आता था और उस बचे हुए पानी से अन्य जीव जन्तुओ की प्यास बुझ जाती थी।

 

 

 

 

जहां भयंकर सूखे के कारण अन्य पेड़ पौधे सूखने की कगार पर थे कितने सूख चुके थे। तब मोहनपुर गांव का विद्यालय दूर से ही हरियाली की छटा बिखेर रहा था और वहां हमेशा ही पक्षियों का कलरव गूंजता रहता था।

 

 

 

 

 

एक बार मोहनपुर गांव में तहसीलदार आए हुए थे। सबको पानी की बचत से सूखे का सामना करने के लिए कहने लगे। लेकिन मोहनपुर की हरियाली देखकर दंग रह गए क्योंकि मोहनपुर गांव के लोग भी चंद्रिका प्रसाद के बताए हुए रास्ते पर चलकर सूखे को पराजित कर रहे थे।

 

 

 

 

चंद्रिका प्रसाद के प्रयास से ही मोहनपुर गांव और वहां का स्कूल सूखे जैसी भीषण समस्या को पराजित कर सके थे। इसलिए पानी का क्षरण नहीं संरक्षण करना आवश्यक है।

 

 

 

हिंदी कहानी Pdf Download

 

 

 

हिंदी कहानी Pdf Download

 

 

 

 

मित्रों यह पोस्ट Hindi Kahani Pdf in Hindi आपको कैसी लगी जरूर बताएं और इस तरह की दूसरी पोस्ट के लिए इस ब्लॉग को सब्स्क्राइब जरूर करें और इसे शेयर भी करें और फेसबुक पेज को लाइक भी करें, वहाँ आपको नयी बुक्स, नावेल, कॉमिक्स की जानकारी मिलती रहेगी।

 

 

 

 

Leave a Comment