Hindi Sahitya Ka Itihas Pdf / हिंदी साहित्य का इतिहास Pdf

नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Hindi Sahitya Ka Itihas Pdf देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से Hindi Sahitya Ka Itihas Pdf Download कर सकते हैं और आप यहां से Ravan Samhita Pdf कर सकते हैं।

 

 

 

Hindi Sahitya Ka Itihas Pdf Download

 

 

पुस्तक का नाम  Hindi Sahitya Ka Itihas Pdf
पुस्तक के लेखक  रामचंद्र शुक्ल 
फॉर्मेट  Pdf 
भाषा  हिंदी 
साइज  39.4 Mb 
पृष्ठ  804 
श्रेणी  साहित्य 

 

 

 

Hindi Sahitya Ka Itihas Pdf
Hindi Sahitya Ka Itihas Pdf यहां से डाउनलोड करे।

 

 

 

Hindi Sahitya Ka Itihas Pdf
Shivraj Vijayam Pdf यहां से डाउनलोड करे।

 

 

 

 

 

 

 

 

Note- इस वेबसाइट पर दिये गए किसी भी पीडीएफ बुक, पीडीएफ फ़ाइल से इस वेबसाइट के मालिक का कोई संबंध नहीं है और ना ही इसे हमारे सर्वर पर अपलोड किया गया है।

 

 

 

यह मात्र पाठको की सहायता के लिये इंटरनेट पर मौजूद ओपन सोर्स से लिया गया है। अगर किसी को इस वेबसाइट पर दिये गए किसी भी Pdf Books से कोई भी परेशानी हो तो हमें [email protected] पर संपर्क कर सकते हैं, हम तुरंत ही उस पोस्ट को अपनी वेबसाइट से हटा देंगे।

 

 

 

सिर्फ पढ़ने के लिये 

 

 

 

रज, तम आदि गुणों का किया हुआ सन्निपात किसे नहीं हुआ? ऐसा कोई नहीं है जिसे मान और मद ने अछूता छोड़ा हो। ममता ने किसके यश का नाश नहीं किया? मत्सर ने किसको कलंक नहीं लगाया? शोक रूपी पवन ने किसे नहीं हिला दिया? चिंता रूपी साँपिन ने किसे नहीं खा लिया?

 

 

 

 

जगत में ऐसा कौन है जिसे माया न व्यापी हो? मनोरथ कीड़ा है, शरीर लकड़ी है। ऐसा धैर्यवान कौन है, जिसके शरीर में यह कीड़ा न लगा हो? पुत्र की, धन की, लोक प्रतिष्ठा की इन तीन प्रबल इच्छाओ ने किसकी बुद्धि को बिगड़ नहीं दिया। यह सब प्रकार माया का बहुत बड़ा परिवार है।

 

 

 

 

यह अपार है इसका वर्णन कौन कर सकता है? शिव जी और ब्रह्मा जी भी जिससे डरते है तब दूसरे जीव तो किस गिनती में है? माया की प्रचंड सेना संसार भर में छायी हुई है काम, क्रोध और लोभ उसके सेनापति है और दंभ, कपट, पाखंड योद्धा है। वह माया रघुवीर की दासी है। यद्यपि समझ लेने पर वह मिथ्या है किन्तु वह श्री राम जी की कृपा के बिना छूटती नहीं। हे नाथ! मैं यह प्रतिज्ञा करके कहता हूँ।

 

 

 

 

जो माया सारे जगत को नचाती है। जिसके चरित्र को कोई भी नहीं लख पाया। हे खगराज गरुण जी! वही माया श्री राम जी की भृकुटि के इशारे पर अपने परिवार सहित नटी की तरह नाचती है। श्री राम जी वही सच्चिदानंद घन है जो अजन्मा, विज्ञान स्वरुप, रूप और बल के धाम, सर्वव्यापक एवं सर्वरूप, अखंड, अनंत, सम्पूर्ण, अमोघशक्ति और छः ऐश्वर्यो से युक्त भगवान है।

 

 

 

 

वह माया के गुणों से रहित, निर्गुण, महान, वाणी और इन्द्रियों से परे, सब कुछ देखने वाले, निर्दोष, अजेय, ममता रहित, निराकार, मोह रहित, नित्य, माया रहित, सुख की राशि। प्रकृति से परे, सर्वसमर्थ प्रभु, सदा सबके हृदय में बसने वाले, इच्छा रहित, विकार रहित, अविनाशी ब्रह्म है। यहां श्री राम जी के मोह का कारण ही नहीं है क्या अंधकार का समूह कभी सूर्य के सामने जा कसता है।

 

 

 

 

भगवान प्रभु श्री राम जी ने भक्तो के लिए राजा का शरीर धारण किया और साधारण मनुष्यो की भांति अनेक परम पावन चरित्र किए। जैसे कोई खेल दिखाने वाला नट अनेक वेश धारण करके नृत्य करता है और वही भेष के अनुरूप ही भाव दिखलाता है पर वह स्वयं उसमे से कोई नहीं हो जाता है।

 

 

 

 

जो ज्ञानियों में और भक्तो में शिरोमणि है एवं त्रिभुवन पति भगवान के वाहन है उन गरुण को भी माया ने मोह लिया। फिर भी नीच मनुष्य मूर्खता वश घमंड किया करते है। यह माया जब शिव जी और ब्रह्मा जी को भी मोह लेती है तब दूसरा बेचारा क्या चीज है? जी में ऐसा समझकर ही मुनि लोग उस माया के स्वामी भगवान का भजन करते है।

 

 

 

 

मित्रों यह पोस्ट Hindi Sahitya Ka Itihas Pdf आपको कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में जरूर बतायें और Hindi Sahitya Ka Itihas Pdf की तरह की पोस्ट के लिये इस ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करें और इसे शेयर भी करें।

 

 

 

Leave a Comment