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History of Indian Philosophy PDF
पुस्तक का नाम | भारतीय दर्शन शास्त्र का इतिहास Pdf |
पुस्तक के लेखक | डा० न० के० देवराज |
भाषा | हिंदी |
साइज | 223.1 Mb |
पृष्ठ | 560 |
भारतीय दर्शन का दुखवाद उस वियोगिनी के आसुंओ की तरह है जिसे अपने प्रियतम के आने का दृढ विश्वास है परन्तु जो वियोग की अवधि निश्चित रूप से नहीं जानती। यही नहीं भारत की दार्शनिक वियोगिनी यह भी जानती है कि वह अपने प्रयत्नों से धीरे-धीरे वियोग की घडियो को कम कर सकती है।
संसार अपने साधारण रूप में दुखमय है किन्तु दुःख ही जीवन की अंतिम नियति नहीं है। इस दुःख का कारण है इसके निवारण और आनंद की प्राप्ति का एक साधन है। अज्ञान समस्त दुखो का मूल है। ज्ञान द्वारा आनंद की प्राप्ति की जा सकती है।
आनंदनमय आदर्श और साधना द्वारा उसकी प्राप्ति में भारतीय दर्शन का अखंड विश्वास है अतः दुःख की भावना में जन्म लेने पर भी उसे आशावादी होने का श्रेय देना होगा। लौकिक क्षेत्रो में भी प्राचीन भारतीयों ने जैसे विशाल साम्राज्यों तथा अन्य विभूतियों का निर्माण किया।
उन्हें देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि उनमे प्रयत्नशीलता कर्मण्यता अथवा जीवनोचित उमंग या उत्साह की कोई कमी थी। जिस प्रकार सभी दर्शन संसार को दुखमय मानते है उसी प्रकार इस दुखमय संसार से मुक्ति को सभी अपना परम लक्ष्य भी मानते है। डाउनलोड करने के लिए नीचे दी गयी बटन पर क्लिक करे।
History of Indian Philosophy PDF Download
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