कुएं का राज नॉवेल | Ibne Safi Novels in Hindi Pdf

नमस्कार मित्रो आज के इस पोस्ट में हम आप लोगो के लिए Ibne Safi Novels in Hindi Pdf लेकर आया हूँ आप इसे नीचे दी गयी लिंक से डाउनलोड कर सकते है साथ में आप James Hadley Chase Novels in Hindi Pdf भी पढ़ सकते है।

 

 

 

Ibne Safi Novels Pdf

 

 

 

 

 

 

 

 

एक नाई था वह बहुत लालची स्वभाव का था। उसका भरण पोषण ठीक ढंग से हो जाता था लेकिन वह स्वभाव से लालची होने के कारण बहुत परेशान रहता था तथा अपना पैतृक धंधा भी ठीक ढंग से नहीं कर पाता था। वह नाई सोचता था कैसे बहुत धनवान बन जाऊं जिससे हमारे पास बहुत सारे नौकर चाकर हो जाए तथा सभी लोग हमे नमस्कार करने लगे।

 

 

 

 

जिस गांव में नाई रहता था उस गांव में एक दिन बहुत बड़े महात्मा जी आये हुए थे। वह सभी लोगो को उनके कल्याण के लिए कई तरह के उपाय बताते थे। नाई को भी यह बात मालूम हुई तो वह भी महात्मा जी के पास गया और उनसे प्रार्थना किया कि वह उसे कोई ऐसा उपाय बताये जिससे वह सबसे ज्यादा धनवान बन जाए।

 

 

 

 

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महात्मा बोले – पुत्र! मैं तुम्हे एक ऐसा उपाय बताता हूँ। अगर तुम हमारी कही हुई बातो पर विश्वास करोगे तो अवश्य ही तुम्हारा कल्याण होगा। नाई बोला – मैं अवश्य ही आपकी बताई हुई बातों पर विश्वास करूँगा। महात्मा ने नाई को चार मिट्टी का दीपक देते हुए कहा।

 

 

 

यह चार मिट्टी का दीपक है। इसमें से एक दीपक प्रज्वलित करके पहले पूर्व की दिशा में जाना। जाते समय जहां दीपक बुझ जाए उसी स्थान को खोदना तुम्हे वहां अवश्य ही धन सम्पदा प्राप्त होगी। अगर उस प्राप्त हुई धन सम्पदा से तुम्हारे आवश्यकता की पूर्ति नहीं हुई तब पुनः एक दीपक प्रज्वलित करके पश्चिम दिशा में प्रस्थान करना।

 

 

 

वह दीपक जहां बुझ जाए वहां की जमीन खोदना निश्चित रूप से तुम्हे वहां पहले से अधिक धन की प्राप्ति होगी फिर भी तुम्हे ऐसा प्रतीत हो कि वह प्राप्त धन तुम्हारी आवश्यकता से कम है तब फिर से एक दीपक प्रज्वलित करना तथा दक्षिण दिशा की तरफ प्रस्थान करना।

 

 

 

जहां पर दीपक बुझ जाए वही पर जमीन खोद लेना वहां तुम्हारी आवश्यकता पूर्ति करने के लिए धन की प्राप्ति होगी लेकिन मेरी एक बात याद रखना उत्तर दिशा की तरफ प्रस्थान करने की कोशिस नहीं करना वरना तुम्हे पछताने के अलावा कुछ भी प्राप्त नहीं होगा।

 

 

 

महात्मा इतनी बात कहकर उस गांव से चले गए। नाई महात्मा की बात सुनकर बहुत प्रसन्न हुआ और उतावलेपन में धन प्राप्ति के लिए उसकी जिज्ञासा बढ़ने लगी। वह प्रथम में एक दीपक प्रज्वलित किया फिर पूर्व दिशा की तरफ बढ़ गया।

 

 

 

एक स्थान पर पहुंचने के बाद दीपक बुझ गया। नाई वहां जमीन खोदने लगा। उसे एक मिट्टी के घड़े में सोने की मोहरे दिखाई पड़ी। नाई बहुत प्रसन्न हुआ और खुद से बोला – अब हमे पश्चिम दिशा की तरफ चलना चाहिए वहां से लौटकर इस प्राप्त धन को अपने साथ ले जाऊंगा।

 

 

 

उसने सोने की मोहरो से भरे घड़े के ऊपर घास फूस रखकर मिट्टी से ढंक दिया पुनः एक दीपक प्रज्वलित करके पश्चिम दिशा की तरफ चल दिया। एक स्थान पर पहुंच जाने के पश्चात दीपक बुझ गया। नाई उस स्थान को खोदने लगा। जमीन खोदते ही उसे सोने की टोकरी में बहुत से स्वर्ण आभूषण प्राप्त हुए।

 

 

 

पर नाई को संतुष्टि नहीं हुई। उसका धन की प्राप्ति की इच्छा बढ़ती ही जा रही थी। नाई सोचने लगा क्यों न एक बार दक्षिण दिशा की तरफ जाकर देखूं वहां से लौटकर इस धन को पुनः अपने साथ ले जाऊंगा। नाई ने तीसरा दीपक प्रज्वलित किया और दक्षिण दिशा की तरफ प्रस्थान कर गया।

 

 

 

एक स्थान पर जाकर तीसरा दीपक भी बुझ गया। लालच के वशीभूत होकर नाई उस स्थान को खोदने लगा कुछ समय के उपरांत उसे एक बक्से में हीरे जवाहरात के आभूषण प्राप्त हुए। इन आभूषणों को देखकर नाई बहुत प्रफुल्लित हुआ उसका लालच सुरसा के मुख की भांति बढ़ता गया।

 

 

 

वह संतुष्ट नहीं हुआ। उस नाई के पास एक दीपक और एक दिशा बाकी थी। पर महात्मा ने उसे उत्तर दिशा में जाने के लिए मना कर रखा था पर नाई का लालच उसे उत्तर दिशा की तरफ जाने के लिए प्रेरित करने लगा अतः नाई महात्मा की बात का उल्लंघन करके उत्तर दिशा की प्रज्वलित दीपक लेकर चल दिया।

 

 

 

एक निश्चित स्थान पर पहुंच जाने के पश्चात दीपक बुझ गया नाई को एक भव्य सुवर्ण महल दिखाई पड़ा। वह जिज्ञासा वस उस महल में चला गया पर वहां कोई भी नहीं दिखा। नाई महल के अंदर चला गया वहां एक घर में अपार धन सम्पदा रखी हुई थी।

 

 

 

वही पर एक आदमी बैठकर चक्की पीस रहा था। नाई उस आदमी के समीप गया और पूछा आप यहां पर चक्की क्यों पीस रहे है? वह आदमी बोला – मुझे बहुत प्यास लगी है पहले तुम यहां आकर इस चक्की को चलाओ मैं पानी पीने के बाद तुम्हे सब कुछ बताता हूँ।

 

 

 

नाई जाकर चक्की पीसने लगा। वह आदमी पानी पीने के बाद आया और बोला – आज से तुम्हे यहां चक्की चलाना पड़ेगा। इतना कहकर वह आदमी जाने लगा। तब नाई बोला – तुम अपनी चक्की संभालो मैं यहां चक्की नहीं चलाऊंगा।

 

 

 

वह आदमी बोला – आज से यह महल तुम्हारा है तथा चक्की बंद होने से यह महल गिर जायेगा फिर तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी अतः तुम्हे चक्की चलाते रहना होगा। नाई बोला कि हमे यहां से मुक्ति कब मिलेगी। वह आदमी बोला – तुम्हारी तरह से जब कोई लालची व्यक्ति यहां आकर चक्की चलायेगा तभी तुम्हारी मुक्ति संभव है अन्यथा नहीं।

 

 

 

मैं भी तुम्हारी तरह धनवान बनने के लालच में यहां आकर फंस गया था। अब नाई के पास चक्की पीसते रहने के और किसी दूसरे लालची व्यक्ति के आने का इंतजार करने के अलावा कोई मार्ग नहीं था।

 

 

 

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