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7 + Jasoosi Novels in Hindi Pdf
सिर्फ पढ़ने के लिए
जरूर पढ़ सकते हो लेकिन लेकिन तुम अभी छोटे हो तथा तुम्हे अभी एक साल और इंतजार करना पड़ेगा और यह कॉपी और कलम हमे दे दो क्योंकि विवेक और नरेश दोनों इसके लिए परेशान होंगे। तभी विवेक आया और कहने लगा मां यह नोट बुक तो नरेश का है और यह पेन तो मेरा है मैं इसके लिए परेशान हो रहा था।
तभी नरेश बाहर से विवेक को आवाज लगाने लगा विवेक से पहले ही सुधीर नोट बुक लेकर दौड़ता हुआ आया और कहने लगा नरेश भैया यह अपनी किताब ले लो मैं अब आप लोगो को परेशान नहीं करूँगा लेकिन आप लोग भी मुझे पढ़ाया करिये।
विवेक के साथ नरेश पढ़ाई की बाते करने लगा दोनों दोस्त पढ़ाई के विषय में इतना व्यस्त हो गए कब दस बजा उन्हें पता ही नहीं लगा। रघु जब अपने काम पर जाने लगा निकला तब इन लोगो को मालूम हुआ कि दस बज गए है। कंचन ने नरेश से कहा – बेटा भोजन का समय हो गया है अब भोजन करके ही जाना।
तभी सुधीर भी नरेश के पास आकर कहने लगा नरेश भैया आज मैं भी आप लोगो के साथ भोजन करूँगा। फिर तीनो भोजन का आनंद लेने लगे। मालती ने राजीव से कहा – आज नरेश बिना बताये ही इतने सबेरे कहां चला गया। वह नरेश के लिए परेशान हो रही थी।
तभी रजनी ने कहा – मां मैंने नरेश भैया को उस तरफ जाते हुए देखा था। वह कह रहे थे मैं अभी आ रहा हूँ। मालती सोच ही रही थी तभी नरेश अपने हाथ में नोट बुक लेकर आ गया। राजीव ने उससे पूछा कहां चले गए थे इतने सबेरे। नरेश बोला मैं अपने दोस्त विवेक के घर गया था।
उसका छोटा भाई है सुधीर वह विवेक को बहुत परेशान करता है और आज तो उसने हमे भी खूब परेशान किया यह नोट बुक दे ही नहीं रहा था। बहुत प्रयास करने के बाद ही दिया और हम लोगो से कहा कि मुझे भी पढ़ाओ। इतना छोटा बच्चा पढ़ने की जिद कर रहा है रजनी ने पूछा।
हां रजनी वह बहुत ही नटखट है तुम उससे मिलोगी तब तुम्हे मालूम होगा। रजनी ने कहा तब मैं उससे अवश्य ही मिलूंगी। अच्छा तुम लोग भोजन करो मैं तुम्हारे पिता के साथ ही उनके कार्य में सहयोग करुँगी मालती बोली। नरेश ने कहा – नहीं मां मैं भोजन करके आया हूँ।
कंचन चाची ने बहुत बढियां भोजन बनाया था। लेकिन मैं अकेले भोजन नहीं कर सकती हूँ किसी न किसी को हमारे साथ आना पड़ेगा रजनी बोली। न चाहते हुए भी नरेश को भोजन के लिए रजनी के साथ जाना ही पड़ा।
जासूसी उपन्यास pdf Download
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