नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Jyotish Ke Mool Siddhant Pdf देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से Jyotish Ke Mool Siddhant Pdf Download कर सकते हैं और आप यहां भारतीय ज्योतिष शास्त्र pdf भी डाउनलोड कर सकते है।
Jyotish Ke Mool Siddhant Pdf / ज्योतिष के मूल सिद्धांत पीडीएफ
ज्योतिष के मूल सिद्धांत Pdf Download
सिर्फ पढ़ने के लिए
राम मनुष्य है ऐसा बोलते हुए अरे अभिमानी! तेरी जीभे नहीं गिर पड़ती? हे दशकंध वह मनुष्य कैसे है? अरे अरे जड़! बीस आँखे होने पर भी तू अँधा है। तेरे जन्म को धिक्कार है। श्री राम जी तेरे सोनित के प्यासे है। वह प्यासे ही न रह जाय। इस डर से अरे कड़ी बकवाद करने वाले राक्षस मैं तुझे छोड़ देता हूँ।
चौपाई का अर्थ-
पर क्या करूँ? श्री रघुनाथ जी ने मुझे आज्ञा नहीं दिया है। तेरी लंका गूलर के फल के समान है। तुम सब कीड़े उसके भीतर अज्ञान वश निडर होकर बस रहे हो। मैं बंदर हूँ मुझे इस फल को खाते क्या देर थी? पर उदार श्री राम जी ने मुझे ऐसी आज्ञा नहीं दी है।
अंगद की युक्ति सुनकर रावण मुसकराते हुए बोला – अरे बहुत झूठ बोलना तूने कहां से सीखा? बालि ने तो कभी ऐसा गाल नहीं मारा। जान पड़ता है तू तपस्वियों से मिलकर लबार हो गया है।
ऐसे ऐश्वर्य और प्रभावशाली ससुर, उनकी राजधानी अयोध्या का निवास, प्रिय कुटुंबी, और माता के समान सासुएँ – यह सभी मुझे श्री रघुनाथ जी के चरण कमल के बिना कभी सुखदायक नहीं लगते है।
4- दुर्गम रास्ते, जंगली की धरती, पहाड़, हाथी, सिंह, अथाह तालाब और नदियां, भील, कोल, हिरन और पक्षी, प्राणपति रघुनाथ जी के साथ रहते हुए मुझे सुख प्रदान करते है।
98- दोहा का अर्थ-
अतः सास और ससुर के पांव पकड़कर मेरी तरफ से विनती करियेगा कि वह मेरा कुछ भी सोच न करे मैं वन में सरल रूप से सुखी हूँ।
चौपाई का अर्थ-
1- वीरो में अग्रणी तथा मेरे प्राणनाथ मेरे प्रिय देवर साथ है, इससे मेरे मन में रास्ते की थकावट, भ्रम, और दुःख कुछ भी नहीं है। आप मेरे लिए भूल कर भी सोच न करे।
मित्रों यह पोस्ट Jyotish Ke Mool Siddhant Pdf आपको कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में जरूर बतायें और इस तरह की पोस्ट के लिये इस ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करें और इसे शेयर भी करें।