नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Jyotish Shastra देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से Jyotish Shastra Pdf Download कर सकते हैं और आप यहां से वैदिक एस्ट्रोलॉजी बुक्स Pdf भी डाउनलोड कर सकते हैं।
Jyotish Shastra Pdf
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में भाग्य जानने के अलग-अलग तरीके है। कहा जाता है कि भारत में 150 से अधिक ज्योतिष विद्या प्रचलित है परन्तु हम आपको कुछ प्रसिद्ध ज्योतिष विद्या के बारे में बताने जा रहे है।
1- कुंडली ज्योतिष- यह कुंडली आधारित ज्योतिष विद्या है। इसके तीन भाग है सिद्धांत ज्योतिष, संहिता ज्योतिष और होरा शास्त्र। इस विद्या के माध्यम से जन्म के समय अंतरिक्ष में ग्रह, तारा, नक्षत्र की गणना की जो स्थिति होती है उससे कुंडली बनाई जाती है।
2- लाल किताब- यह विद्या ज्यादातर उत्तराखंड, हिमाचल और कश्मीर में प्रचलित है। इस विद्या को बहुत ही कठिन माना जाता है। इसमें बगैर कुंडली देखे ही भविष्य की जानकारी दी जाती है।
3- गणित ज्योतिष- इसे अंक विद्या भी कहा जाता है। इसमें जन्म, तारीख, माह, वर्ष आदि जोड़कर भाग्य अंक निकाला जाता है और यह विद्या बहुत ही सटीक जानकारी देती है।
ज्योतिष शास्त्र Pdf Download
सिर्फ पढ़ने के लिए
नगर में बहुत संख्या में रखवालो को देखकर हनुमान जी ने मन में विचार किया कि अत्यंत छोटा सा रूप धारण करके रात्रि के समय ही नगर में प्रवेश करना चाहिए।
चौपाई का अर्थ-
हनुमान जी ने मसक के समान छोटा सा रूप धारण करके नर रूप में लीला करने वाले भगवान श्री राम जी का स्मरण करके लंका में गए। लंका द्वार पर ही एक लंकिनी नाम की राक्षसी रहती थी।
वह बोली – मेरा निरादर करके बिना मुझसे पूछे ही कहाँ जा रहा है। हे मुर्ख! क्या तू मेरे भेद को नहीं जानता है? जहां तक जितने चोर है वह सब मेरे आहार है।
महाकपि हनुमान जी ने उसे एक मुठिका मारा, वह वमन करती हुई पृथ्वी पर लुढ़क गयी। वह लंकिनी फिर अपने आप को संभाल कर उठी और डरती हुयी हाथ जोड़कर विनती करने लगी।
वह बोली रावण को जब ब्रह्मा जी ने वर दिया था। तब चलते समय उन्होंने मुझे राक्षसों के विनाश की पहचान बता दिया था। जब तू कपि के मारने पर विकल हो जाएगी तो ऐसा समझ लेना कि अब राक्षसों का संहार होने वाला है। हे तात! मेरे बहुत ही पुण्य है जो श्री राम जी के दूत को नयन से देख सकी।
4- दोहा का अर्थ-
हे तात! स्वर्ग और मोक्ष के सब सुख को तराजू के एक पलड़े में रखा जाय तो वह सब मिलकर भी दूसरे पलड़े पर रखे हुए सुख के बराबर नहीं हो सकते है जो क्षण मात्र के सत्संग से होता है।
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