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Kabir Ke Dohe Download
काल करै सो आज कर, आज करे सो अब। पल में परलय होयगी, बहुरि करेगा कब।।
अर्थ-
कबीर दास जी मनुष्य को चेतावनी देते हुए कहते है – कि जो काम कल करना है, उसे आज ही कर लो टाल मटोल करना ठीक नहीं है और जो काम आज करना है उसे तुरंत यानी अभी कर डालो क्योंकि समय कम है और काल रूप में पलभर में कभी भी प्रलय हो सकती है तो वापस अपने काम कब करोगे।
14- ज्यों तिल माही तेल है, ज्यों चकमक में आग। तेरा साईं तुझमे ही है, जाग सके तो जाग।।
अर्थ-
कबीर दास जी तिल और चकमक पत्थर का उदाहरण देकर कहते है कि जैसे तिल से तेल छुपा हुआ है और चकमक (एक प्रकार का पत्थर जिससे आग पैदा होती है) में आग छुपी हुई है। उसी प्रकार से ईश्वर हमारे अंदर ही छुपा हुआ है और जागते हुए अर्थात मोहमाया से दूर रहते हुए उसे ढूंढ सको तो ढूंढ लो।
15- जहां दया तहां धर्म है, जहां लोभ वहां पाप। जहां क्रोध तहां काल है, जहां क्षमा तहां आप।।
अर्थ-
कबीर दास जी मनुष्य को दया धर्म से जुड़ने के लिए इशारा कर रहे है और क्रोध लोभ को छोड़ने के लिए कहते है, कि जहां दया होती है वही धर्म निवास करता है लेकिन लोभ अथवा लालच जहां रहता है।
तो मनुष्य लोभ के कारण ही पाप करने पर मजबूर हो जाता है अतः लोभ नहीं करना चाहिए, क्रोध तो काल का दूसरा स्वरुप है। क्रोध के वश में होने पर मनुष्य किसी के जीवन का अंत कर सकता है।
अतः लोभ और क्रोध से सदा ही बचना चाहिए और क्षमा तो मनुष्यो का भूषण होता है। क्षमाशील व्यक्ति तो भगवान का रूप है अतः जहां क्षमा है वहां भगवान का वास रहता है।
पुस्तक का नाम | Kabir Ke Dohe in Hindi Pdf |
पुस्तक के लेखक | कबीर दास |
भाषा | हिंदी |
श्रेणी | धार्मिक, बुक |
फॉर्मेट | |
साइज | 1 Mb |
पृष्ठ | 17 |
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