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Kalyan Gita Press PDF
संसार में जिनका अस्तित्व है, जो अपने अस्तित्व से सुशोभित है, उनमे से जो सत्तारूप से प्रकाशित होता है, चेतना में चैतन्यरूप से शोभा पाता है तथा आनंद की अनुभूति करने वालो में अमंद आनंद बनकर छा रहा है वह धर्म साक्षात् भगवान नंदनंदन का रूप है।
मैं उन धर्म देवताओ को सादर प्रणाम करता हूँ जो अपना रक्षण या पालन किये जाने पर समस्त जीवो की रक्षा करता है अपने को क्षति पहुंचाए जाने पर उन क्षति पहुंचाने वालो को क्षीण कर देता है तथा अपने ऊपर आघात होने पर उन धर्म द्रोहियो का भी सर्वनाश कर डालता है।
जिसके बिना कही कोई भी वस्तु टिक नहीं सकती वह धर्म साक्षात् भगवान है। सबको धारण करने वाले उन भगवान धर्म की सदा ही विजय होती है। जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारो पुरुषार्थो का मूल है। परलोक में गए हुए जीव का जो एकमात्र बंधु है जो अपना सेवन किये जाने पर सेवक के लिए मंगलमय फल प्रदान करता है।
तथा जो सब ओर से रक्षा करने वाला अभेद्य उत्तम कवच है उस धर्म का मैं वरण करता हूँ। जिसका आश्रय लेकर ही ब्रह्मा जी इस सारे जगत की सृष्टि करते है जिनके बल से ही विष्णु भगवान सम्पूर्ण विश्व का भरण पोषण करते है तथा महादेव जी जिनकी शक्ति से ही मृत्यु पर विजय पाकर समस्त संसार के संहार कार्य में समर्थ होते है डाउनलोड करने के लिए नीचे दी गयी बटन पर क्लिक करे।
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