नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Mehndi Design With Images PDF देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से Mehndi Design With Images PDF Download कर सकते हैं और यहां से Mayavi Shabar Mantra Pdf कर सकते हैं।
Mehndi Design With Images PDF
पुस्तक का नाम | Mehndi Design With Images PDF |
पुस्तक के लेखक | विनेश |
भाषा | हिंदी |
साइज | 2.7 Mb |
पृष्ठ | 52 |
श्रेणी | साहित्य |
फॉर्मेट |
मेहंदी की किताब Pdf Download



Note- इस वेबसाइट पर दिये गए किसी भी पीडीएफ बुक, पीडीएफ फ़ाइल से इस वेबसाइट के मालिक का कोई संबंध नहीं है और ना ही इसे हमारे सर्वर पर अपलोड किया गया है।
यह मात्र पाठको की सहायता के लिये इंटरनेट पर मौजूद ओपन सोर्स से लिया गया है। अगर किसी को इस वेबसाइट पर दिये गए किसी भी Pdf Books से कोई भी परेशानी हो तो हमें newsbyabhi247@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं, हम तुरंत ही उस पोस्ट को अपनी वेबसाइट से हटा देंगे।
सिर्फ पढ़ने के लिये
किसी भी स्त्री का शरीर मैंने स्पर्श नहीं किया। धर्मशास्त्र में व्यभिचार की बड़ी निन्दा की गयी है, इसलिए इस तरह का पाप नहीं कर सकता। मेरा उद्देश्य तो विधिपूर्वक विवाह करके पुत्र उत्पन्न करना है और उसी हेतु मैं अपनी स्त्री के साथ सम्भोग करूँगा। इसके अतिरिक्त परायी स्त्री से विषय-भोग करना पाप है।
‘‘हे शुभे! तुम उसकी ओर मुझे प्रवृत्त न करो।’’ यह सुनकर वृद्धा ने कहा, ‘‘हे महर्षि! यह तो आप जानते ही हैं कि स्त्रियाँ स्वभाव से ही कामातुर होती हैं। उनको पुरुष का संसर्ग देवताओं की आराधना से भी कहीं अधिक प्रिय और सुखकर होता है।
तुम पतिव्रता की बातें करते हो तो हे स्वामी! सच तो यह है कि हजारों स्त्रियों में कहीं एक पतिव्रता स्त्री दिखाई पड़ती है और सती तो लाखों में एक होती है। जब स्त्रियों का कामोन्माद चढ़ जाता है तो वे इसके सामने पिता, माता, भाई, पति, पुत्र आदि किसी की भी परवाह नहीं करती हैं और अपनी काम-वासना की तृप्ति के उपाय सोचा करती हैं।
यहाँ तक कि कुछ भी करके वे अपनी इच्छा पूरी करके ही मानती हैं। ‘‘हे भगवन्! काम के वश होकर ही स्त्री कुलटा हो जाती है।’’ वृद्धा की बात सुनकर अष्टावक्र मन ही मन धिक्कार रहे थे लेकिन फिर भी अपने को दृढ़ रखकर उन्होंने अविचलित भाव से उत्तर दिया।
‘‘हे देवी! मनुष्य जिस विषय का स्वाद जानता है उसी के लिए उसकी तीव्र इच्छा होती है। मैं तो विषय-भोग जानता ही नहीं, फिर मैं किसी भी हालत में तुम्हारी इच्छा पूरी नहीं कर सकता।” वृद्धा ने कहा, ‘‘यह न कहें नाथ! आप यहाँ कुछ दिन ठहरिए, तब अपने आप ही आपको सम्भोग-सुख का स्वाद मिल जाएगा। तब मैं और आप पूर्ण सुख के साथ रहा करेंगे।’’
इस पर अष्टावक्र ने कहा, ‘‘हे देवी! जोतुम कह रही हो वह सम्भव नहीं है।’’ यह कहने के पश्चात् महर्षि अष्टावक्र सोचने लगे कि यह वृद्धा इस तरह काम से पीड़ित क्यों है। तभी उनके हृदय में संशय जागा कि हो सकता है कि यह कुछ समय पूर्व इस प्रासाद की अधिष्ठात्री देवी कोई युवती हो और किसी शाप के कारण इस तरह कुरूप वृद्धा हो गयी हो।
यह संशय पैदा होते ही उन्होंने उसकी कुरूपता और वृद्धावस्था का कारण पूछना चाहा लेकिन उचित न समझ नहीं पूछा। एक दिन बीत गया। सन्ध्या होने पर वृद्धा ने आकर कहा, ‘‘हे महर्षि! वह देखिए, सूर्य अस्त हो रहा है। अब आपकी क्या आज्ञा है?’’
मित्रों यह पोस्ट Mehndi Design With Images PDF आपको कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में जरूर बतायें और Mehndi Design With Images PDF की तरह की पोस्ट के लिये इस ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करें और इसे शेयर भी करें।