प्रेरक हिंदी कहानी Pdf | Motivational Stories in Hindi pdf

नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Motivational Stories in Hindi pdf देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से इसे डाउनलोड कर सकते हैं और यहां से चंद्रकांता उपन्यास Pdf डाउनलोड कर सकते हैं।

 

 

 

 

Motivational Stories in Hindi pdf

 

 

 

 

 

 

 

 

पराग  अपने गांव जाना चाहते थे उन्हें अपना पुश्तैनी घर नए ढंग से बनवाने का विचार था रात्रि को कार्तिक जब दुकान और कम्पनी से लौट कर घर आया तब पराग ने उससे कहा कि  हम अपने गांव -कीरत पुर -जा रहे हैं वहां हम अपने पुरखों का पुराना घरनए ढंग से बनवाने की सोच रहे हैं उसी दौरान दो -चार लोंगो से मुलाकात भी हो जाएगी।

 

 

 

 

कार्तिक बोला -उस मकान में रहने वाला तो कोई है नहीं,आप उसमे पैसा क्यों लगाना चाहते है ?पराग बोले -तुम अभी नवयुवक हो दूसरी बात यह है कि – तुम एक व्यापारी हो इसलिए तुम्हें मकान में पैसा लगाना उचित नहीं मालूम पड़ता है जब कि वह  हम लोगो के पुरखो की निशानी है उसके साथ बहुत सी यादें जुडी हुई हैं, हम उन यादों को अपने जीवित रहते हुए सहेज कर रखना चाहते हैं  दूसरी बात यह है कि  कोई भी व्यक्ति कहीं से भी थका हारा आता है तो उसे अपने घर में ही संतुष्टि प्राप्त होती है।

 

 

 

 

अगर व्यापारिक तौर पर देखोगे तब भी वह फायदे का सौदा है उसे बनवाने में ५०  लाख रूपये लगेंगे लेकि १० -१५ साल में उससे हमें दो गुना प्राप्त हो जायेगा।

 

 

 

 

कार्तिक बोला -लेकिन पिता जी ! हम अपने व्यापार में ५० लाख रुपया लगा देंगे तो वह हमें २ साल में ही उससे दो गुना प्राप्त हो जाएगा। पराग बोले -व्यापारिक ढंग से तुम्हारा नजरिया सही है ,लेकिन सामाजिक ढंग से बिल्कुल गलत है ,क्यों कि देहात और समाज में ऐसे बहादुर आदमियों की कोई कमी नहीं है ,जो सबके सामने ही यह बात कहा देंगे कि ,अगर इनके पास पैसा है तो अपना माकन क्यों नहीं बनवाते हैं? शहर में कौन देखने जाता है ,वहां तो सभी लोग रुपया कमाते हैं ,तब उन्हें तुम क्या जबाव दोगे ?

 

 

 

 

पराग बोले अगर गांव ,देहात में तुम्हारी अचल संपत्ति है तो वहां जाने पर सभी लोग तुम्हारे सामने -झुके ,रहेंगे भले ऊपरी तौर पर ही सही ,लेकिन यहाँ शहर में तुम्हारे पास १० करोड़ की संपत्ति क्यों  न हो ,यहाँ तुम्हारे सामने कोई भी नहीं -झुकेगा -?क्यों कि  शहर में अगर तुम्हारे पास १० करोड़ हैं तो तुम्हारे आस -पास में ही कोई २० कोई ३० करोड़ का मालिक है ?

 

 

 

 

जबकि गांव में ५० लाख का मकान बनवाने पर ,वहां तक पहुंचने में किसी को कम से कम २० साल अवश्य ही लगेंगे। कार्तिक बोला -आप मकान बनवाना चाहते है तो बनवाइए ,हमें आप से वहस नहीं करना है ,मैं दूकान और कम्पनी की तरफ जा रहा हूँ। पराग बोले -हमारी एक बात और सुन लो ! यदि कोई भी व्यक्ति सक्षम रहते हुए भी अपनी संपत्ति की की तरफ से लापरवाह रहता है ,तो उसके संपत्ति के अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह (?)लग जाता है।

 

 

 

 

क्योकि शहर हो या गांव समाज के लोग १ -१ इंच करते हुए दुसरे की संपत्ति को खुद में समाहित कर लेते हैं ?पराग का इतना लंबा वक्तव्य सुनने के बाद कार्तिक बोला -आप सीधे तौर पर क्यों नहीं कहते हैं कि मुझे गांव का मकान बनवाना है ?

 

 

 

 

इतना समय खर्च करने की क्या जरूरत थी ?पराग बोले -तुम एक व्यापारी हो ,लेकिन मैंने भी व्यापार किया है ,व्यापारी होते हुए भी हमने अपने पारम्परिक मुल्य और धरोहरों के ऊपर ध्यान रखते हुए अपने व्यापार को आगे बढ़ाया है ,हमारे नहीं रहने पर तुम्हे हमारी बातों का मुल्य अच्छी तरह से समझ में आएगा।

 

 

 

 

कार्तिक दुकान और कंपनी की तरफ चला गया। पराग अपने गांव जाने की तैयारी करने लगे। पराग के साथ केतकी भी गांव जाने के लिए तैयार थी। कार्तिक आज जल्दी आ गया था क्यों की उसे अपने माता -पिता को गांव छोड़ने के लिए स्टेशन जाना था ?

 

 

 

 

पारग और केतकी शयन यान एस ९ में यात्रा कर रहे थे रेलगाड़ी वर्धवान और आसनसोल के बीच से गुजरती जा रही थी ,तभी एक भिखारन लड़की उनके पास आ कर  २० रूपये के लिए याचना करने लगी ,पराग उसे २० रूपये देते हुए गौर से देखने लगे तो वह भिखारन लड़की बोली -क्या देख रहें हैं बाबा ?

 

 

 

 

पराग ने बिना किसी लाग -लपेट के कहा -तुम भिखारी नहीं लग रही हो ,इसलिए मैं तुम्हारे चेहरे  की तरफ देखकर सच्चाई जानने का प्रयास कर रहा हूँ। पराग के इस प्रकार अचानक किये गए प्रश्न से वह भिखारन लड़की एक दम से चौक गई। पराग फिर उस भिखारन लड़की से बोले -अगर तुम्हारे पास समय हो तब मैं तुमसे कुछ पूछना चाहता हूँ। वह भिखारन लड़की बोली -समय तो नहीं है बाबा !लेकिन मैं आप का आग्रह नहीं टाल सकती हूँ।

 

 

 

 

आप को जो पूछना है वह जल्दी से पूछ लीजिये क्यों कि  अगला स्टेशन वर्धमान आने वाला है ?हमे वही उत्तर  कर दूसरी गाड़ी से वापस हुगली जाना होगा। पराग बोले -बेटा यह बताओ क्या आप हुगली में रहते हो ?वह भिखारन लड़की बोली -हम चितपुर रोड के बगल में जो नीली कोठी है वही रहते है।

 

 

 

 

पराग बोले -चित पुर रोड पर ही -मधुकर ट्रेडर्स -के नाम से एक कपड़े की दुकान है क्या आप यह दुकान जानती हो ?भिखारन लड़की ने ,हाँ ,में सिर हिलाया। पराग बोले-तुम्हें इस तरह भिखारियों का मुखौटा लगा कर  भीख मांगने की क्या जरूरत है ?

 

 

 

वह भिखारन लड़की अब पराग से कुछ भी छिपाना उचित नहीं समझा ,उसने कहा -मेरा नाम रचना दास है ,मैं उसी नीली कीठी में रहती हूँ चितपुर रोड के एस.वी.आई. की शाखा में मैनेजर हूँ ,हमारे साथ ही उस कोठी में हमारे बाबा और आजी रहते हैं।

 

 

 

 

हमारे माता -पिता पहले ही भगवान के पास चले गए ,एक साधू ने उन्हें किसी बात पर चिढ कर  शाप दे दिया था और साथ ही उस नीली कोठी को भी शापित कर दिया था।

 

 

 

 

उसी शाप के कारण  ही उसमे रहने वाले किसी एक सदस्य को यह भिखारी का कार्य अवश्य करना पड़ेगा और उससे प्राप्त आय को भिखारियों की सेवा में ही समर्पित करना होगा।

 

 

 

 

हमारे माता -पिता ने साधू द्वारा बताया यह कार्य नहीं किया परिणाम स्वरूप उन्हें इस दुनिया से जाना पड़ा। हमारे आजी  -बाबा वृद्ध हो चुके हैं ,इस लिए यह दायित्व मुझे ही पूरा करना पड़ता है। मैं बैंक में मैनेजर हूँ ,इस लिए यह मुखौटा लगाना पड़ता है पराग बोले -बेटा ,आप भिखारन और मैनेजर के रूप में कैसे ताल -मेल बैठाते हो ?

 

 

 

 

भिखारन लड़की बोली -बाबा ,हमने अपने हेड आफिस में पहले ही बता दिया है कि मैं १२ बजे से ३ब्ज़े तक ही बैंक में कार्य करूगी ,इस दौरान हमारा कोई भी कार्य अधूरा नहीं रहेगा ,बैंक को अपना कार्य पूर्ण होने से मतलब है इस लिए आफिस में बड़े साहब ने हमे मंजूरी दे दिया।

 

 

 

 

पराग बोले -बेटा ,क्या ऐसा नहीं हो सकता कि  आप यह भिखारी वाला कार्य छोड़ कर  अपने वेतन के पैसे से भिखरियों की सेवा करो ?भिखारन लड़की बोली -ऐसा करने के लिए हमने बहुत प्रयास किया लेकिन शाप के कारण कोई न कोई व्यवधान अवश्य उत्पन्न हो जाता है।

 

 

 

 

कभी -कभी मुझे कहीं  पर भीख नहीं मिलती तब पूरा पैसा अपने वेतन से भिखारियों की सेवा में अर्पित करना पड़ता है ,जब तक २० रूपये की भिक्षा नहीं मिलती है तब तक सारा रुपया -पैसा व्यर्थ रहता है इसलिए हमें भिक्षा मांगना पड़ता है।

 

 

 

 

बात -चीत करते हुए वर्धमान स्टेशन आ गया था -वह भिखारन लड़की बोली -बाबा -आपसे बात करने की बहुत इच्छा है लेकिन क्या करूं ,हमे वापस भी लौटना है ?उसने एक कार्ड निकाल कर पराग को दिया और बोली -बाबा -आप को जब भी आवश्यकता हो तब आप १ से ३ बजे के बीच में चितपुर रोड की बैंक शाखा में हमसे अवश्य ही मुलाकात कर  लेना इतना कह कर  वह भिखारन लड़की रेलगाड़ी से उतर गई।

 

 

 

 

 

रचना दास अपने मन में सोच रही थी कि  आज पहली बार कोई उसकी जिंदगी के विषय में पूछ रहा था ,नहीं तो कितने लोग उसे भिखारन के रूप में दुत्कार दिया करते थे। कुछ समय के बाद रेलगाड़ी धीरे -धीरे स्टेशन से सरकते हुए चलने लगी ,उसी प्रकार पराग की सोच भी चलती जारही थी ,पराग को लगा शायद उनकी तलाश रचना पर ही पूरी होगी।

 

 

 

 

पराग सोचते जा रहे थे अगर किसी दूसरे ने उनके दरवाजे पर दस्तक दे दिया तब वह क्या करेंगे ? फिर उन्होंने खुद ही निर्णय किया कि दायित्व और कर्मठता में से किसी एक को ही चुनना होगा और तराजू का पलड़ा कर्मठता की तरफ ज्यादा ही झुका हुआ था क्यों कि  -दायित्व की एक सीमा होती है लेकिन कर्मठता असीम होती है ?

 

 

 

 

दायित्व अपनी सीमा में खुद को साबित कर सकता है ,लेकिन कर्मठता सीमा के अंदर और सीमा के बाहर खुद को साबित करने के लिए सदैव तैयार रहता है और इसका उदाहरण परोक्ष रूप से रचना और कार्तिक थे।

 

 

 

 

६-पराग अपने गांव कीरत पुर पहुंच गए थे ,उन्हें देख कर विरजू की छोटी लड़की जो अब ५ साल की हो गई थी ,वह चिल्लाने लगी ,बाबा आए -बाबा आए !

 

 

 

 

वृजेश उपनाम विरजू ने पूछा कौन बाबा आए हैं बेटा ?विरजू की लड़की चुनमुन बोली -हमे नहीं पता ,मैं तो इतना जानती हूँ कि  पहले जो आए थे वही बाबा आए हुए हैं। विरजू अपनी गाय को चारा डाल कर आया तो देखा कि  पराग और केतकी दोनों अपने घर के दरवाजे पर खड़े हैं ,विरजू दौड़कर वहां आया ,पराग और केतकी को प्रणाम करते हुए उनके हाथ से चावी ले कर दरवाजे पर लगा हुआ ताला खोलने लगा। पराग और केशरी दोनों अपने घर के दरवाजे पर बैंठे हुए आराम करने लगे ,थोड़ी देर बाद विरजू अपने घर से जलपान की व्यवस्था कर लाया था ,केतकी और पराग दोनों जलपान करने लगे।

 

 

 

 

पराग बोले -विरजू भाई ! यह अपना घर बहुत पुराना हो गया है ,सोच रहा हूं की अब इसे नए ज़माने के हिसाब से बनवा दूँ जो देखने भी अच्छा लगे और बहुत दिन के लिए फुर्सत भी मिल जाएगी। विरजू बोला -आप ठीक सोच रहे हैं पराग भाई ! इससे एक पंथ दो काज हो जाएगा क्यों कि घर बन जाने से कार्तिक के विवाह में भी कोई बाधा नहीं आएगी और एक अचल सम्पत्ति भी तैयार हो जाएगी जो सदैव आप का साथ देती रहेगी।

 

 

 

 

 

पराग बोले -विरजू भाई !आप की नजर में कोई राज मिस्त्री है जो घर बनाने के लिए ठेका ले सकता है ,क्यों कि हमारे पास समय का आभाव है ?दूसरी बात यह है कि  अब दौड़ -भाग वाला कार्य हमसे नहीं हो पाता है और यह सारी जिम्मेदारी आपको देखनी पड़ेगी।

 

 

 

 

लेकिन पराग भाई ,,,,,,यह लेकिन वेकिन कुछ नहीं ,मैं आप की उलझन समझता हूँ ,पराग विरजू की बात को अधूरी करते हुए बोले ,आप यही कहना चाहते है कि  मैं एक खेती करने वाला आदमी हूँ ,मैं इतनी बड़ी जिम्मेदारी को नहीं पूरा कर सकता। पराग की बात सुन कर विरजू कुछ नहीं बोला ,क्यों की वास्तव में पराग उसकी उलझन समझ गए थे ?पराग बोले -मैं आज ही अपनी ननिहाल लोचन खेड़ा जा रहा हूँ ३ दिन बाद ही लौटूंगा ,३ दिन में आप किसी अच्छे राज मिस्त्री को ढूँढ़ कर उसे घर बनाने का ठेका दे दो ,अरे विरजू भाई !

 

 

 

 

आप का घर भी तो एक दम जर्जर हो गया है उसे भी तो बनवाना पड़ेगा ,नहीं तो कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है। एक बात और ,घर बनाने के लिए किसी ऐसे राज मिस्त्री को ठेका देना जो दोनों ही घरों को समय से बना कर पूर्ण कर सके।

 

 

 

 

आप को रूपये -पैसे की चिंता नहीं करनी है ,आप को केवल दोनों घरों की देख -रेख करना है ,रह गई आप के खेती करने की बात ,तो उसके लिए एक नौकर रख लो जो आप की खेती का सारा कार्य करेगा तथा गाय  की देख -भाल करेगा यहाँ गांव में तो १० हजार महीने पर आदमी कार्य करने के लिए अवश्य मिल जायेंगे विरजू कहने लगा -पराग भाई !यहां गांव में ५ हजार में बहुत सुविधा पूर्वक आदमी मिल जायेगा जो अपनी खेती के कार्य के साथ ही हमारी खेती का भी सारा कार्य कर लेगा और गाय की देख -भाल भी करता रहेगा। पराग ने कहा -अच्छा विरजू यह बताओ कि दोनों घर एक साथ पूर्ण करने में एक साथ कितने रूपये की आवश्यकता पड़ेगी ?

 

 

 

 

कुछ देर सोचने के बाद विरजू बोला -पराग भाई !इस महंगाई के दौर में दो घर सम्पूर्ण रूप से बनवाने में कम से कम ४० -४५ लाख तो अवश्य ही लगेंगे।  विरजू ने सोचा था कि पराग भाई शायद इतना वजट सुन कर चौक जायेंगे ,लेकिन पराग के चेहरे पर जरा भी शिकन नहीं थी।

 

 

 

 

पराग बोले -विरजू भाई !मैं आपको ५० लाख का वजट दे रहा हूँ ,जिसमे आप जो नौकर रखेंगे उसका भी वजट शामिल है ,लेकिन दोनों घर बहुत ही सुंदर बनना चाहिए। इतना कहते हुए पराग ,केतकी के साथ लोचन खेड़ा गांव के लिए चल दिए।

 

 

 

 

५० लाख का वजट गांव में रहने वाले किसी भी आदमी को चकित करने के लिए पर्याप्त था। विरजू तो जैसे संज्ञा शून्य हो गया था। उसी समय वहां विरजू की लड़की चुनमुन आ गई और बोली ,बापू !चलो गाय का दूध निकाल दो ,विरजू चुनमुन के साथ चला गया।

 

 

 

 

विरजू घर पहुंचा तो उसे देख कर काली गाय रंभाने लगी ,विरजू ने गाय को चारा डाल दिया और गाय के बछड़े को छोड़ दिया जो दौड़ते हुए गया और गाय का दूध पीने लगा ,वह काली गाय चारा खाना छोड़ कर  अपने बच्चे को दुलार करने लगी।

 

 

 

 

तभी चुनमुन बोली-बापू !यह तो गाय का सारा दूध पी जायेगा ,हमारे लिए तो कुछ भी नहीं छोड़ेगा ,विरजू हँसते हुए बछड़े को गाय से अलग कर दिया फिर दूध निकलने लगा। गाय का दूध निकाल कर  विरजू घर में ले गया वहां उसकी पत्नी प्रभा चौके में रसोई बना रही थी ,वहीं से बोली -आज तो आपने बहुत देर लगा दिया ,पराग भाई और केतकी भाभी कहाँ हैं ?मैं उन लोंगो के लिए भोजन का प्रबंध कर रही हूँ। विरजू बोला ,उन लोंगो के लिए अभी भोजन की व्यवस्था मत करो।

 

 

 

 

पराग भाई अपनी पत्नी के साथ लोचन खेड़ा अपनी ननिहाल गए हैं और तीसरे दिन ही आएंगे। लेकिन मैं तुम्हें एक खुश खबरी सुनाने वाला हूँ। पराग भाई अपना घर नए ढंग से बनवाएंगे ,प्रभा बोली -ठीक तो है जो अपना घर बनवा लेंगे ,क्यों की यहां तो सभी के घर खंडहर बन चुके है ?

 

 

 

 

विरजू बोला -उन्होंने अपने घर के साथ -साथ हमारा भी घर बनवाने के लिए कह दिया है और जानती हो उन्होंने दोनों घर के लिए कितना वजट बनाया है ?प्रभा बोली -जरा हमे भी तो बताओ उन्होंने कितना वजट बनाया है ,मैं इसलिए पूछ रही हूँ कि एक घर बनवाने में ही किसी को भी पसीना आ जाता है तो भी उन्होंने दो घर बनवाने की बात कही है।

 

 

 

 

 

विरजू बोला -पराग भाई ने दो मकान बनाने के लिए ५० लाख का वजट रखा है ,मैंने उनसे ४० -४५ लाख बताया था ,तब उन्होंने कहा कि दोनों मकान बनाने के लिए हमने ५० लाख का वजट रखा है ,अगर जरूरत पड़ी तो वजट और भी बढ़ा सकते हैं।

 

 

 

 

 

इस सभी कार्य की जिम्मेदारी उन्होंने हमे ही सौप दिया है ,हमारे खेती और गाय के लिए कोई व्यवधान पैदा न होने पाए इस लिए उन्होंने मुझे अपने लिए एक नौकर भी रखने के लिए कह दिया है ,मैं आज ही बगल के गांव से एक आदमी लेकर आऊंगा जो हमारी खेती और गाय की देख -भाल करेगा।

 

 

 

 

 

यह सब सुन कर प्रभा को विश्वाश नहीं हो रहा था वह विरजू से बोली -यह तो किसी सपने जैसा लग रहा है। विरजू बोला -अभी तो सपना है लेकिन यह जल्द ही सच्चाई बन जायेगा ,क्यों कि – मैं अभी जाकर रामचरन राज मिस्त्री से मकान के ठेके को लेकर बात करूंगा और वह राज मिस्त्री रामचरन के पास चला गया।

 

 

 

Motivational Stories in Hindi pdf Download

 

 

 

 

Motivational Stories in Hindi pdf

 

 

 

Motivational Stories in Hindi pdf

 

 

 

 

मित्रों यह पोस्ट Motivational Stories in Hindi pdf आपको कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं और इस तरह की पोस्ट के लिए इस ब्लॉग को सब्स्क्राइब जरूर करें।

 

 

 

 

Leave a Comment