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Mukhakriti Vigyan Pdf Hindi


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सिर्फ पढ़ने के लिये
शांत वेश है, पर उनकी करनी बहुत ही कठोर है। उनके स्वरुप का वर्णन नहीं किया जा सकता है। मानो सब राजाओ के बीच में वीर रस मुनि के वेश में आ गया हो।
चौपाई का अर्थ-
1- परशुराम जी का भयानक वेश देखते ही सब राजा भय से व्याकुल हो गए और उठकर खड़े हो गए, पश्चात में अपने-अपने पिता के नामो सहित अपना नाम कहते हुए दंडवत प्रणाम करने लगे।
2- परशुराम जी हित समझकर भी सरलता से किसी की तरफ अगर देख लेते है तो वह समझता है मानो मेरी आयु पूरी हो गई। फिर जनक ने आकर सिर नवाया और सीता को बुलाकर प्रणाम कराया।
3- परशुराम जी ने सीता जी को आशीर्वाद दिया, सखियां हर्षित हुई और सीता को वह अपने समाज में लेकर गई। फिर विश्वामित्र जी आकर मिले और उन्होंने दोनों भाइयो को उनके चरण कमलो पर प्रणाम कराया।
4- विश्वामित्र जी ने कहा यह राम और लक्ष्मण राजा दशरथ के पुत्र है। उनकी सुंदर जोड़ी को देखकर परशुराम जी ने आशीर्वाद दिया। कामदेव के मद को दूर करने वाले श्री राम जी के अपार रूप को देखकर उनके नेत्र थकित (स्तंभित) हो रहे है।
269- दोहा का अर्थ-
अनजान बनते हुए, सब देखकर भी जनक जी से पूछते है कि कहो, यह बड़ी भारी भीड़ कैसी है? उनके शरीर में क्रोध छा गया।
चौपाई का अर्थ-
1- जिस कारण सब राजा आये थे जनक ने वह सब समाचार परशुराम जी से कह सुनाया। जनक के वचन सुनकर परशुराम जी ने फिर दूसरी ओर देखा तो धनु के टुकड़े पृथ्वी पर पड़े हुए दिखाई दिए।
2- अत्यंत क्रोध में भरकर वह कठोर वचन बोले – रे मुर्ख जनक! बता यह धनु किसने तोडा? उसे शीघ्र दिखा, नहीं तो अरे मूढ़! आज मैं जहां तक तेरा राज्य है वहां तक सारी पृथ्वी को उलट दूंगा।
3- राजा को अत्यंत डर लगा, जिस कारण से वह उत्तर नहीं दे पाए। यह देखकर कुटिल राजा मन में बड़े ही प्रसन्न हुए। देवता, मुनि, नाग और नगर के स्त्री-पुरुष सभी सोचने लगे, सबके हृदय में बड़ा भय है।
4- सीता जी की माता मन में पछता रही है कि हाय! विधाता ने अब बनी बनाई बात को बिगाड़ दिया परशुराम जी का स्वभाव जानकर सीता जी को आधा क्षण भी एक कल्प के समान बीतने लगा।
श्री राम जी के राज्य में दंड केवल सन्यासियों के हाथो में है और भेद नाचने वालो के नृत्य समाज में है और ‘जीतो’ शब्द केवल मन को जीतने के लिए ही सुनाई पड़ता है। अर्थात राजनीती में शत्रुओ को जीतने तथा चोर आदि के दमन के लिए साम, दान, दंड और भेद यह चार उपाय किए जाते है।
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