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Narayan Datt Shrimali Books Hindi Pdf Download






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सिर्फ पढ़ने के लिये
इसके पति को एक हजार रुपया मिलता है पर क्या पांच छः सौ ऊपर से और मिल जाए तो वह खुसी पूर्वक नहीं ले लेगा क्या प्रिया में इतना नैतिक बल है कि वह अपने पति को हराम का माल हजम करने से रोक सके। रोकना तो दूर की बात वह प्रसन्न होकर पतिदेव की पीठ थपथपायेगी।
अभी तो उनके आने के समय वह मुंह गिराए बैठी रहती है। तब वह दरवाजे पर खड़ी होकर उनकी प्रतीक्षा करेगी और ज्यों ही वह घर में आएंगे वह उनकी जेब की तलाशी लेगी। नौ बजे रात को मेहमान रुखसत होने लगे। प्रिया भी उठी। तांगा मंगवाने जा रही थी कि पिंकी ने कहा – तांगा मंगवाकर क्या करोगी बहन!
मुझे लेने के लिए कार आएगी मेरे यहां दो चार दिन चलकर रहो फिर चली जाना। मैं जीजा जी को कहला भेजूंगी तुम्हारा इंतजार न करे। प्रिया सोचने लगी इन फटेहाल में वह क्यों किसी के घर जाए वह पिंकी से बोली – अभी तो मुझे फुरसत नहीं है बच्चे घबराएंगे फिर कभी आउंगी।
प्रिया का अपनी छोटी बहन के घर जाकर हाल चाल और टोह लेने की इच्छा धरी ही रह गयी। अब वह अपने घर जाकर मुंह छिपकर पड़ी रहेगी। पिंकी ने अपनी बड़ी बहन प्रिया से पूछा – अच्छा बताओ हमारे घर कब आओगी? मैं सवारी भेज दूंगी।
प्रिया ने कहा – मैं खुद ही कहला भेजूंगी। पिंकी बोली – क्या रातभर के लिए नहीं रुकोगी? प्रिया ने कहा – नहीं। प्रिया इसके सिवा और क्या कहती कि उसे घर के कामो से छुट्टी नहीं मिलती। उसने कई बार सोचा कि पिंकी को अपने घर बुलाये लेकिन मौका ही नहीं मिल सका।
पिंकी अपनी बड़ी बहन प्रिया से बोली – तुम्हे याद ही नहीं रहेगी। एक साल हो गया मुझे कभी भूलकर याद नहीं किया। मैं तो कब से अपने दीदी के बुलावे की प्रतीक्षा में थी। एक ही शहर में रहते हुए भी नदी के दो किनारे की तरह से दूर है जो एकदम पास रहते हुए भी नहीं मिल पाते है।
सहसा पिंकी के पति राजेश आ गए और उन्होंने आते ही बड़ी साली को सलाम किया। राजेश के चेहरे से शराफत टपक रही थी। वह इतना रूपवान और सजीला है प्रिया को इसका अनुमान न था। बिलकुल अंग्रेजी सज-धज, कलाई पर सोने की घड़ी, आँखों पर सुनहरी ऐनक जैसे कोई सिविलियन हो। कपड़े तो उसकी देह पर बहुत खिल रहे थे।
प्रिया राजेश को आशीर्वाद देकर बोली – आज यहां न आती तब मुलाकात क्यों होती? राजेश बोला – आप तो मुझसे ही उलटी शिकायत कर रही है क्या आपने मुझे कभी बुलाया और मैं नहीं आया? प्रिया राजेश से बोली – मैं नहीं जानती थी कि तुम अपने को मेहमान समझते हो यह घर भी तो तुम्हारा है।
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