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Narmada Parikrama Book Pdf
पृथ्वी की परिक्रमा छोड़कर देवस्थानों की तीर्थो की परिक्रमाओ से नर्मदा जी की परिक्रमा बड़ी है। काशी की पंचकोशी, अयोध्या मथुरा की बृज चौरासी कोश की नैमिषारण्य जनकपुर आदि की परिक्रमाओ से बड़ी 1780 मील की परिक्रमा नर्मदा जी की प्रसिद्ध है।
जो पैदल पादचारी हुए ही की जाती है अतएव इसका महत्व सर्वोपरि है। परिक्रमा कब और किस नियम से उठाना चाहिए इसका भी विचार यहां आवश्यक है। अधिक से अधिक समय जप तप अनुष्ठानादि की सिद्धि में लगे इस धारणा से पवित्र साधक अपनी साधना आजीवन करते हुए यहां सिद्ध हो जाते है।
इसी लक्ष्य से तथा शास्त्र के आधार पर कितने दिन कितनी रात्रि किस तीर्थ में व्यतीत करना चाहिए यह ध्यान में रखते हुए तीन वर्ष तीन महीने तरह दिन की भी बात नर्मदा प्रदिक्षणा की प्रसिद्धि हुई। वैसे सर्व साधारण जन कामना की पूर्ति जो मान्यतानुसार होती है।
तदर्थ थोड़े समय में ही परिक्रमा कर लेते है और कोई निष्ठा पूर्वक जप तप की सिद्धि करते व्रत नियम लेकर 108 दिन में भी महापुरुष प्रदक्षिणा करते देखे गए। कोई कोई साष्टांग प्रणाम करते हुए वर्षो तक घोर तप करते हुए परिक्रमा करते है जो अत्यंत कठिन है। इसे Pdf File में Download करने के लिए नीचे की लिंक पर क्लिक करे।
Narmada Parikrama Book Pdf Download
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