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सिर्फ पढ़ने के लिये
जो अनेक पाप करके भी भगवान शिव के नाम जप में आदर पूर्वक लग गया है वह समस्त पापो से मुक्त हो ही जाता है। इसमें संशय नहीं है। जैसे वन में दावानल से दग्ध हुए वृक्ष भस्म हो जाते है उसी प्रकार सिव नाम रूपी दावानल से दग्ध होकर उस समय तक के सारे पाप भस्म हो जाते है।
शौनक! जिसके अंग नित्य भस्म लगाने से पवित्र हो गए है तथा जो शिव नाम जप का आदर करने लगा है वह घोर संसार सागर को भी पार कर ही लेता है। सम्पूर्ण वेदो का अवलोकन करके पूर्ववर्ती महर्षियो ने यही निश्चित किया है कि भगवान शंकर के नाम का जप संसार सागर को पार करने के लिए सर्वोत्तम उपाय है।
मुनिवरो! अधिक कहने से क्या लाभ मैं शिव नाम के सर्वपापहारी माहात्म्य का एक ही श्लोक में वर्णन करता हूँ। भगवान शंकर के एक नाम में भी पाप रहण की जितनी शक्ति है उतना पातक मनुष्य कभी कर ही नहीं सकता। मुने! पूर्वकाल में महापापी राजा इन्द्रद्युम्न ने शिव नाम के प्रभाव से ही उत्तम सद्गति प्राप्त की थी।
इसी तरह कोई ब्राह्मणी युवती भी जो बहुत पाप कर चुकी थी शिव नाम के प्रभाव से ही उत्तम गति को प्राप्त हुई। द्विजवरो! इस प्रकार मैंने तुमसे भगवन्नाम के उत्तम माहात्म्य का वर्णन किया है। अब तुम भस्म का माहात्म्य सुनो जो समस्त पावन वस्तुओ को भी पावन करने वाला है।
महर्षियो! भस्म सम्पूर्ण मंगलो को देने वाला तथा उत्तम है। उसके दो भेद बताये गए है। उन भेदो का वर्णन करता हूँ सावधान होकर सुनो। एक को महाभस्म जानना चाहिए और दूसरे को स्वल्पभस्म। महाभस्म के भी अनेक भेद है। वह तीन प्रकार का कहा गया है।
श्रौत, लौकिक और स्मार्त। स्वल्पभस्म के भी बहुत से भेदों का वर्णन किया गया है। श्रौत और स्मार्त भस्म को केवल द्विजो के ही उपयोग में आने के योग्य कहा गया है। तीसरा जो लौकिक भस्म है वह अन्य सब लोगो के भी उपयोग में आ सकता है।
श्रेष्ठ महर्षियो ने यह बताया है कि द्विजो को वैदिक मंत्र के उच्चारण पूर्वक भस्म धारण करना चाहिए। दूसरे लोगो के लिए बिना मंत्र के ही केवल धारण करने का विधान है। जले हुए गोबर से प्रकट होने वाला भस्म आग्नेय कहलाता है। महामुने! वह भी त्रिपुण्ड्र का द्रव्य है ऐसा कहा गया है।
अग्निहोत्र से उत्पन्न हुए भस्म का भी मनीषी पुरुषो को संग्रह करना चाहिए। अन्य यज्ञ से प्रकट हुआ भस्म भी त्रिपुण्ड्र धारण के काम में आ सकता है। जाबालोपनिषद में आये हुए अग्नि इत्यादि सात मंत्रो द्वारा जलमिश्रित भस्म से धूलन करना चाहिए।
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