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Palmistry in Hindi Pdf Download


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सिर्फ पढ़ने के लिये
वीरू अपने मालिक सुखिया की ललकार सुनते ही सांड के ऊपर सामने से वार कर बैठा। पहले प्रयास में सांड वीरू की ताकत नहीं समझ सका और लड़खड़ा गया। लेकिन सांड तो सांड होता है वह वीरू को जवाब देने के लिए तैयार नहीं था।
अब वह आक्रामक न होकर रक्षात्मक मुद्रा में आ गया था। वह ताकतवर सांड जब शेरू की तरफ झपटता तब दूसरी तरफ से वीरू वार कर देता था। जब सांड वीरू की तरफ झपटता तब शेरू वार करता था। सांड को दो तरफा मार पड़ रही थी।
यहां शेरू और वीरू कोई अकेला रहता तब सांड उसकी दुर्गति कर देता लेकिन यहां एक से भले दो वाली कहावत चरितार्थ हो रही थी। सांड बुरी तरह घायल होकर चक्की के दो पाटों के बीच में पिस रहा था और मौका देखकर भाग निकला।
शेरू तो कम वीरू ने उसे दूर तक दौड़ा लिया सांड इतना डर गया था कि पीछे मुड़कर भी नहीं देखा। उसे लग रहा था कि दोनों बैल उसका पीछा कर रहे है। वीरू के काफी दूर निकल जाने पर सुखिया ने उसे आवाज देकर बुलाया। सुखिया के बुलाने पर अंततः वीरू शेरू के साथ अपने मालिक सुखिया के पास आ गया।
सुखिया ने शेरू और वीरू को पीठ ठोककर शाबासी दिया जिसके व्वह दोनों पूर्ण रूप से हकदार थे। सुखिया शेरू और वीरू के साथ घर लौट आया। उसने चारा खाने के लिए दोनों को हौद से बांध दिया। चारा खाने के बाद दोनों बैल जुगाली करने लगे।
सुखिया अपने मंडई में आराम कर रहा था। उसी सम्मी गोपी सुमेरपुर गांव के राधे के साथ आ पहुंचा। राम जोहार करने के बाद गोपी ने सुखिया से कहा – सुखिया भाई! हमारे साथ सुमेरपुर गांव के राधे आये हुए है। यह खेती के साथ पशुओ के खरीदने बेचने का कार्य करते है क्या तुम अपना दोनों बैल इन्हे बेच सकते हो?
यह तुम्हे मुंह मांगी कीमत देने के लिए तैयार है दूसरी बात यह कि तुम्हारी खेती का सारा काम भी समाप्त हो गया है। सुखिया गोपी से बोला – मैंने इन दोनों को अपने बच्चो के जैस पाला पोसा है मैं इन्हे बेचने के बारे में नहीं सोच सकता हूँ।
गोपी बोला – सोच लो सुखिया भाई! राधे तुम्हे इन दोनों के चालीसा हजार रुपये देने के लिए तैयार है। सुखिया ने गोपी की बात का उत्तर नहीं दिया। गोपी बोला – मैं कल फिर राधे के साथ तुम्हारे पास आऊंगा। तुम्हारे पास सोचने समझने के लिए एक दिन का भरपूर समय है।
इतना कहते हुए गोपी राधे को लेकर चला गया। यह गोपी तो हमारे गले पड़ गया है। इसे किसी भी कीमत पर शेरू और वीरू को चाहिए। सुखिया खुद से बात करता हुआ बोला – सहसा उसे रामू की बात याद हो गयी जो विघ्न संतोषी गोपी के लिए बताया था।
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