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Panchatantra Stories In Hindi

 

 

 

 

 

 

 

 

माधव मिठाई वाला पंचतंत्र

 

 

 

 

मोहनपुर गांव की मुफ्तखोर चौकड़ी से सभी लोग परेशान हो चुके थे। इस मुफ्तखोर चौकड़ी के नाम टनकराम, मनोज, शेर सिंह और वीरेंद्र थे लोग उन्हें उपनाम टीनू, मीनू, शेरू और वीरू कहकर बुलाते थे। यह चौकड़ी इतनी धूर्तबाज थी जब तक इन्हे कोई मुफ्त में खाने पीने की वस्तु नहीं देता तब यह चारो अपनी बेवजह की हरकतों से परेशान करते रहते थे।

 

 

 

लाचार होकर कोई भी इन्हे खाने पीने की वस्तुए मुफ्त में देने में ही अपनी भलाई समझता था। मोहनपुर गांव सड़क के किनारे बसा हुआ था अतः वहां छोटी सी बाजार बन गयी थी। मोहनपुर गांव की बाजार में एक मिठाईवाला रहता था। उसका नाम माधव था। वह मिठाई बहुत ही स्वादिष्ट बनाता था।

 

 

 

उसकी बनाई हुई मिठाई सस्ती और अच्छी होती थी अतः मोहन ‘माधव मिठाई वाला’ के नाम से बहुत प्रसिद्ध हो गया था। कई गांव से आदमी माधव मिठाई वाला के पास आते थे। मोहन का धंधा अच्छा चलता था। माधव अपनी कमाई के अनुसार ही लोगो की भलाई के लिए भी अपनी तरफ से भरपूर सहायता करता था।

 

 

 

माधव अपने दो नौकरो के साथ ही अपनी दुकान संभालता था। वह भी मुफ्तखोर चौकड़ी से भली प्रकार परिचित था तथा उन्हें किसी न किसी बहाने से अपनी दुकान से टरका देता था। मोहन जानता था कि अगर इन लोगो को एक बार मौका मिल गया तो यह लोग रोज-रोज की आदत बना लेंगे और इनको देखकर अन्य लोगो को भी मुफ्त में देना पड़ेगा।

 

 

 

इस तरह से उसका सारा धंधा चौपट हो जायेगा फिर तो कोई भी उसके पास नहीं आएगा और स्वयं को भी खाने के लाले पड़ जायेंगे। मोहन अकेला था। अकेले में ही उसकी जिंदगी खुशहाल चल रही थी। उसके दो नौकर रमेश और गणेश ही उसके परिवार थे।

 

 

 

एक दिन सुबह सबेरे ही माधव का नौकर रमेश दुकान की सफाई कर रहा था तभी टीनू आकर एक बेंच पर बैठ गया। माधव दूर खड़ा हुआ यह सब देख रहा था। टीनू के तीन साथी दूसरी तरफ खड़े थे और देख रहे थे कि टीनू अगर कुछ प्राप्त करने में सफल हो गया तब हम लोग धमक पड़ेंगे नहीं तो दूर से ही कुशल क्षेम पूछकर निकल पड़ेंगे।

 

 

 

माधव का दूसरा नौकर गणेश भी आ गया वह भी दुकान की सफाई में रमेश का सहयोग करने लगा। कुछ समय के बाद रमेश और गणेश सुबह का नाश्ता ग्राहकों के लिए तैयार करने में जुट गए। माधव भी गल्ले पर बैठकर पैसे का लेन देन करने लगा।

 

 

 

टीनू रमेश से बोला – जरा हमारे लिए भी नाश्ता देना भाई! रमेश ने टीनू की बात को अनसुना करते हुए माधव की तरफ देखा। माधव रमेश और गणेश को इशारा करके समझा दिया कि जब तक मैं न कहूं तुम दोनों में से कोई भी इन मुफ्तखोर चौकड़ी को कुछ भी नहीं देगा।

 

 

 

माधव का लहजा थोड़ा कठोर था और हाथ पास में रखी छड़ी पर चला गया था इसलिए टीनू वहां से हटने में अपनी भलाई समझा और दुकान से निकल गया। दूसरी तरफ मीनू, शेरू और वीरू टीनू की हालत देखकर हँसते हुए बोले – क्यों टीनू आज सुबह-सुबह नाश्ता अच्छी तरह से हो गया?

 

 

 

टीनू बिफरते हुए बोला – चुप रहो तुम लोग तुम लोगो के चक्कर में ही आज खाली हाथ आना पड़ा क्योंकि तुम लोग भी हमारे पीछे ही आने का अवसर देख रहे थे। अगर मैं अकेला रहता तब अपना जुगाड़ बैठा लेता। आज शाम तक देखना मैं किस तरह से माधव का घाटा करवाता हूँ?

 

 

 

वीरू बोला – क्या खाक घाटा करवाओगे? हमे तो लगता है कि आज शाम को हम सभी की पिटाई हो जाएगी तुम माधव को जितना समझ रहे हो वह उससे ज्यादा चालाक है। दोपहर में मोहन अपने नौकर रमेश और गणेश से बोला – तुम लोग मुफ्तखोर चौकड़ी के लिए विशेष प्रकार की मिठाई और नाश्ता बनाओ आज उन मुफ्तखोर चौकड़ी का अच्छी तरह स्वागत करना है।

 

 

 

माधव उसके बाद फोन करके थानेदार को सब बात बता दिया था। शाम हुई मुफ्तखोर चौकड़ी ‘माधव मिठाई वाला’ के दुकान में आकर जम गयी। इस बार शेरू अपने रोबीले अंदाज में मिठाई और नाश्ता का ऑर्डर दे रहा था। दो सिपाही पहले से ही आकर दूसरी दुकान पर छुपकर बैठ गए थे।

 

 

 

रमेश और गणेश ने विशेष प्रकार की मिठाई और नाश्ता मुफ्तखोर चौकड़ी को उपलब्ध करा दिया जैसे ही उन चारो ने मिठाई मुंह में रखा तो उन सभी का जायका बिगड़ गया मिठाई में चीनी की जगह मिर्च का प्रयोग किया गया था तथा नाश्ते में नमक की मात्रा बढ़ाई गयी थी।

 

 

 

अब तो चारो क्रोधित हो गए तथा माधव को अनाप सनाप कहने लगे। मोहन को इसी बात का इंतजार था तभी दोनों सिपाही भी वहां आ धमके। सिपाहियों को देखकर मुफ्तखोर चौकड़ी की सारी हेकड़ी गुम हो गयी। दोनों सिपाहियों ने ‘मुफ्तखोर चौकड़ी’ को गिरफ्तार कर लिया। माधव मिठाई वाले ने आज इन चारो को अच्छा सबक सिखाया था।

 

 

 

 

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