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Parkaya Pravesh Pdf
बढ़िया आम ख़रीदकर खाते समय तनिक सा भी बेकार न जाय; पैसे लगे हैं; सोचकर जब ज़रा छिलका चखकर स्वाद देखकर, बाकी का खाने का प्रयास करने में पूरा आम हाथ से फिसल कर धरती पर जा गिरे तो आप की जो मनस्थिति होगी वही स्थिति रंगा की हुई।
“आपने बुलाया था?” कहकर वह भीतर आकर कुर्सी पर वेठ गया। रत्ना सिर झुकाए दूर जा खडी हुई। रंगा ने बार-बार उसकी ओर देखा। एक बार जब वह् उसकी ओर देख रहा था तब उससे उसकी नजर टकरा गयी। उसे बडा अपमान सा अनुभव हुआ होगा । काफी देर तक कोई भी कुछ न बोला।
बाद में रगा ने ही पहल की और बोला, “मेरे आते ही गाना बन्द हो गया। इसलिए मैं चलता हूँ !” उसने यह बात खाली मूंह से ही कही पर भलामानस कुर्सी छोडकर हिला तक नही। कलियुग में त्रिकर्ण शुद्धि भला है ही कहाँ? रत्ना लजाकर धर के भीतर भाग गयी।
थोडी देर मूक से बैठे रगा ने पूछा, “वह लड़की कौन है भाई साहब?” गुफा में घुसे बकरे की आहट सुनकर शेर ने बाहर से पूछा, “भीतर कौन है? बकरे ने भीतर से जवाव दिया, “कोई भी हो तो क्या? मैं एक गरीब जानवर हूँ। सिर्फ नो नर शेर खा चुका हूँ, एक और चाहता हूँ। पुस्तक को पूरा पढ़ने के लिए नीचे दी गई बटन पर क्लिक करे।
Parkaya Pravesh Pdf Download
पुस्तक का नाम | परकाया प्रवेश Pdf |
लेखक | मास्ति वेंकटेश अय्यंगार |
साइज | 3.7 Mb |
पेज | 200 |
भाषा | हिंदी |
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