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चिंटू, गोलू और सोनू के बीच बहुत गहरी दोस्ती थी। तीनो बचपन के दिनों से ही गहरे दोस्त थे। किसी को एक दूसरे के देखे बिना चैन नहीं होता था। चिंटू गोलू अपने घर के आज्ञाकारी बालक थे सोनू उनके विपरीत थोड़ा उदंड स्वभाव का था। एक दूसरे के विपरीत होने पर भी तीनो की दोस्ती अच्छी तरह से चल रही थी।
सभी लोग इनकी मिसाल दिया करते थे। एक दिन की बात है परीक्षा के बाद गर्मी की छुट्टी चल रही थी। सोनू का शरारती मन कुछ करने के लिए उतावला हो रहा था लेकिन उसे अपने दोस्तों का साथ चाहिए था। सोनू एक दिन अपने गांव से थोड़ी दूर पर एक बगीचा देखकर आया था।
बगीचे में कई प्रकार के फलदार पेड़ थे उसमे आम, लीची, जामुन इत्यादि के पेड़ फलो से लदे हुए थे। सोनू अकेला था। उसने आम के पके फल को जैसे ही तोड़ने का प्रयास किया उसी पल एक वृद्ध आदमी उधर निकल आया शायद वह बाग़ का रखवाला था।उसे देखकर सोनू एक पेड़ की ओट में छुप गया।
बाग़ से लगा हुआ एक जंगल था उसमे भालू, सियार, लोमड़ी, खरगोश इत्यादि पशु रहते थे। भालू और बंदर तो प्रायः फल के बाग़ में आते रहते थे। सोनू घर वापस आ गया। दूसरे दिन सोनू अपने दोस्त चिंटू और गोलू को बाग़ में चलने के लिए राजी करने लगा। चिंटू और गोलू बोले – हमे अपने घर वालो से अनुमति लेनी पड़ेगी।
चिंटू और गोलू की बात सुनकर सोनू थोड़ा चिढ़ते हुए बोला – क्या तुम लोग अपना प्रत्येक कार्य घर वालो की अनुमति से करते हो? सोनू की बात सुनकर चिंटू थोड़ा टैश में आ गया पर गोलू ने बात संभालते हुए कहा – घर वालो को बताकर कही जाने पर बहुत फायदा मिलता है।
अगर हम कही कठिनाई में फंस गए तब सहायता मिल सकती है। बात करते हुए तीनो फल के बाग में जाने के लिए तैयार हो गए। बाग़ में पहुंचने पर सोनू पके हुए आम तोड़ने के लिए उतावला हो रहा था। तभी उन्हें कोई आवाज सुनाई पड़ी तीनो दोस्त डर गए। आवाज से ऐसा लग रहा था जैसे कोई दांत किटकिटा रहा है।
सोनू की निगाह एक चिम्पांजी (वनमानुष) पर गयी तीनो डर गए। सोनू चिंटू और गोलू से बोला – तुम दोनों हमे पेड़ पर चढ़ने में मदद करो फिर मैं तुम दोनों को भी पेड़ के ऊपर खींच लूंगा। चिंटू और गोलू की सहायता से सोनू पेड़ पर चढ़कर सुरक्षित हो गया पर काफी प्रयास के बाद भी सोनू अपने दोस्त चिंटू और गोलू को पेड़ के ऊपर नहीं खींच सका।
चिम्पांजी चिंटू और गोलू के नजदीक आता जा रहा था। दोनों की जान सूख रही थी कि अब तो खैर नहीं है। चिंटू और गोलू मन में पवनपुत्र हनुमान से अपनी सुरक्षा के लिए प्रार्थना करने लगे और आँखे बंद करके जमीन पर बैठ गए। तभी चमत्कार हो गया न जाने किधर से एक बड़ा सा लंगूर अपने दोनों हाथो में पके आम लेकर चिम्पांजी के सामने आ गया।
थोड़ी देर तक चिम्पांजी और लंगूर ने आँख मिलाई फिर लंगूर ने एक पका आम चिम्पांजी के सर पर दे मारा फिर तो चिम्पांजी लंगूर की तरफ दौड़ पड़ा। उसका ध्यान चिंटू और गोलू से हट गया लेकिन लंगूर तो भाग निकला था। सोनू पेड़ के ऊपर से यह सब देख रहा था।
उसने गोलू और चिंटू से कहा – पेड़ से उतरने में हमारी सहायता करो। गोलू बोला – तुम पहले ही पेड़ के ऊपर जाकर सुरक्षित हो गए तुम्हे इतना भी ध्यान नहीं था कि हमारे दोस्त पेड़ पर नहीं चढ़ पाए तो उनका क्या होगा? वह तो पवनपुत्र जो लंगूर के रूप में आ गये और हमारी जान बच गयी नहीं हमारा अंत निश्चित था। हम लोग अब घर जा रहे है। तुम्हारे जैसे दगाबाज दोस्त से दोस्ती नहीं करनी है।
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