प्राचीन भगवद गीता Pdf | Prachin Bhagavad Gita Pdf

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Prachin Bhagavad Gita Pdf

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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जनमानस में लोकप्रियता की दृष्टि से (श्री मद्भागवत पुराण) अन्य किसी पुराण की अपेक्षा बहुत प्रसिद्ध है परन्तु पुराणों के क्रम में यह पांचवें स्थान पर आता है। इसमें कृष्ण भक्ति का विशद वर्णन है। इसे कृष्ण भक्ति का सागर कहना उचित होगा। (श्रीमगभगवत पुराण ) को रचने श्रेय वेदव्यास को जाता है। इसमें भक्ति योग की प्रधानता है, जिसमें कृष्ण को सभी देवों के देव या स्वयं भगवान के रूप में वर्णित किया गया है।

 

 

 

 

 

(श्री मद्भागवत पुराण )वैष्णव सम्प्रदाय का प्रमुख ग्रंथ है, इसे हिन्दू समाज का सर्वाधिक आदरणीय पुराण की मान्यता प्राप्त है। यह पुराण अक्षय विद्या का भंडार है, इसके श्रवण और पठन – पाठन से मनुष्य का सभी प्रकार से कल्याण होता है। श्रीमद्भागवत पुराण के पठन पाठन से त्रय ताप (दैहिक, दैविक, भौतिक) का शमन होता है।

 

 

 

 

 

इसमें ज्ञान, भक्ति, वैराग्य का वर्णन होने से इसे महान ग्रंथ की उपाधि प्राप्त है। श्रीमद्भागवत – के प्रत्येक श्लोक में कृष्ण -प्रेम की सुगंध प्रस्फुटित होती है। श्री मद्भागवत पुराण -को सभी वेदों का (सार तत्व) कहा गया है इस (सार तत्व) के रसामृत से जो तृप्त हो गया उसे अन्य स्थान, या वस्तु पर आसक्ति नहीं हो सकती है।

 

 

 

 

 

उसे अन्य किसी वस्तु से आनंद नहीं प्राप्त हो सकता है। (श्रीमद्भागवत पुराण) में १८ हजार श्लोक, ३३५ अध्याय और १२ स्कंध का उल्लेख है। इसके अनेक स्कंधों में भगवान विष्णु के अवतारों और उनकी अनेक लीलाओं का ,ह्रदयग्राही रूप में चित्रण किया गया है (श्रीमद्भागवत पुराण ) को भगवान कृष्ण का स्वरूप माना  गया है।

 

 

 

 

 

परन्तु भगवान कृष्ण की हृदयानुभूति लीलाओं का अतुलनीय वर्णन करने वाले (दशम स्कंध )को (श्रीमद्भागवत पुराण )का ह्रदय स्थल कहना पूर्ण रूप से उचित है। श्रीमद्भागवत पुराण -में (काल गणना ) भी अत्यंत सूक्ष्म रूप में प्रस्तुत की गई है। सृष्टि की उत्पत्ति के विषय में भी इस पुराण में विवेचना की गई है।

 

 

 

 

 

नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र में शौनकादि ऋषिओ ने श्री कृष्ण के अवतारों की कथा श्रवण करने के लिए प्रार्थना किया तब इन ऋषिओं की प्रार्थना स्वीकार करके लोमहर्षण ऋषि के पुत्र उग्रश्रवा सूत जी अपने श्री मुख से इस -भागवत पुराण -को माध्यम बना कर श्री कृष्ण जी के चौबीस अवतारों का वर्णन किया है।

 

 

 

 

श्रीमद्भागवत में वर्णित (रासपंचाध्यायी  १०,२९,३३) आध्यात्मिक तथा साहित्यिक, उभय दृष्टि से भी काव्य जगत में एक अमूल्य, अप्रतिम, दुर्लभ वस्तु है। जिसमे वर्णित बेनु गीत (१०,२१) गोपी गीत (१० ,३०) युगल गीत (१० ,३५) भ्रमर गीत (१० ,४७) ने इस महान पौराणिक ग्रंथ (श्रीमद्भागवत )को काव्य के उच्च से उच्चतर शिखर पर स्थापित कर दिया है। इस पुस्तक को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करे।

 

 

 

 

 

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