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Prashna  Jyotish Pdf 

 

 

 

 

 

 

 

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सिर्फ पढ़ने के लिए

 

 

इतनी धूल उडी कि सूर्य छिप गए। फिर सहसा पवन रुक गया और पृथ्वी अकुला उठी। ढोल और नगाड़े भीषण ध्वनि से बज रहे है। जैसे प्रलय काल के बादल गरज रहे हो।

 

 

 

भेरी, नफ़ीरी, तुरही और शहनाई में योद्धाओ को सुख देने वाला राग बज रहा है। सब वीर सिंहनाद कर रहे है और अपने बल पौरुष का बखान करते है।

 

 

 

रावण ने कहा – हे उत्तम योद्धाओ सुनो! तुम रीछ वानर को मसल डालो। मैं दोनों राजकुमार भाइयो का अंत करूँगा। ऐसा कहकर उसने अपनी सेना आगे चलाई। जब सब वानरों ने यह खबर प्राप्त किया तब वह श्री रघुवीर की दुहाई देकर दौड़ पड़े।

 

 

 

 

छंद का अर्थ-

 

 

 

वह विशाल और काल के समान कराल वानर भालू दौड़े। मनो पंख वाले पर्वतो के समूह दौड़ रहे हो। वह अनेक वर्णो के है। नख, दांत, पर्वत और बड़े-बड़े वृक्ष ही उनके आयुध है। वह बहुत ही बलवान है और किसी का भी डर नहीं मानते। रावण रूपी मतवाले हाथी के लिए संह रूप श्री राम जी का जयकार करके उनके सुंदर यश का बखान करते है।

 

 

 

 

चौपाई का अर्थ-

 

 

रावण को रथारूढ़ और श्री राम जी को रथ विहीन देखकर विभीषण अधीर हो गए। प्रेम अधिक होने से उनके मन में संदेह हो गया कि श्री राम जी बिना रथ के रावण को कैसे जीत सकेंगे। श्री राम जी के चरणों की वंदना करके वह स्नेह पूर्वक कहने लगे।

 

 

 

 

हे नाथ आपके पास न रथ है न तन की रक्षा करने वाला कवच है और न तो पदत्राण ही है। वह बलवान वीर किस प्रकार से जीता जायेगा? कृपानिधान श्री राम जी ने कहा – हे सखे! सुनो, जिससे जय होती है वह रथ दूसरा ही है।

 

 

 

शौर्य और धैर्य उस रथ के पहिए है। सत्य और शील उसकी मजबूत ध्वजा और पताका है। बल, विवेक और दम और परोपकार यह चार उसके घोड़े है। जो क्षमा, दया और समता रूपी डोरी से रथ में जोड़े हुए है।

 

 

 

ईश्वर का भजन ही उस रथ को चलाने वाला चतुर सारथी है। वैराग्य ढाल है और संतोष, दान, बुद्धि विविध प्रकार के आयुध है श्रेष्ठ विज्ञान कठिन धनु है।

 

 

 

निर्मल और अचल मन तरकस के समान है। ब्राह्मणो और गुरु का पूजन अभेद्य कवच है। इसके समान विजय का दूसरा उपाय नहीं है। हे सखे! ऐसा धर्ममय रथ जिसके पास हो उसके लिए जीतने को कही शत्रु ही ही नहीं है।

 

 

 

 

80- दोहा का अर्थ-

 

 

 

हे धीर बुद्धि वाले सखा! सुनो, जिसके पास ऐसा दृढ रथ हो, वह वीर जन्म-मृत्यु रूपी महान दुर्जय शत्रु को भी जीत सकता है। रावण की तो बात ही क्या है।

 

 

 

प्रभु के वचन सुनकर विभीषण जी हर्षित होकर उनके चरण पकड़ लिए और कहा – हे कृपा और सुख के समूह श्री राम जी! आपने इसी प्रकार मुझे उपदेश दे दिया।

 

 

 

उधर रावण ललकार रहा है और इधर से अंगद और हनुमान। राक्षस और रीछ वानर अपने-अपने स्वामी की दुहाई देकर लड़ रहे है।

 

 

 

चौपाई का अर्थ-

 

 

 

 

ब्रह्मा आदि देवता और अनेको सिद्ध तथा मुनि विमानों पर आरूढ़ होकर युद्ध देख रहे है। शिव जी कहते है – हे उमा! मैं भी उस समाज में था और श्री राम जी का रणोत्साह की लीला देख रहा था।

 

 

 

 

प्रश्न ज्योतिष Pdf Download

 

 

 

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