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Prithviraj Raso In Hindi Pdf
चंदवरदाई एक हिन्दू राजा पृथ्वीराज चौहान के दरवार के मुख्य कवि थे। उन्होंने -पृथ्वीराज रासो की रचना किया है। चंदवरदाई का जन्म और पृथ्वीराज चौहान का जन्म एक ही दिन हुआ था ,ऐसी मान्यता है। यह दोनों हर जगह एक साथ ही दिखाई देते थे ,यो कह सकते हैं कि दोनों एक के बिना अधूरे रहते थे। तथा दोनों एक साथ ही इस संसार से विदा भी हुए थे।
चंदवरदाई ने (पृथ्वीराज -रासो ) की रचना पृथ्वीराज के युद्ध कौशल और प्रेम-प्रसंगो के ऊपर किया है। उनकी कविताओं में ( वीर-रस व श्रंगार -रस )की प्रधानता होती थी। चंदवरदाई पृथ्वीराज चौहान के मुख्य कवि और सामंत थे। चंदवरदाई द्वारा रचित काव्य ,ढाई हजार पृष्ठों का विशाल ग्रंथ है।
चंदवरदाई और पृथ्वीराज चौहान का संबन्ध बहुत मधुर और अटूट था इसी अटूट संबन्ध को अमरता प्रदान करने के लिए चंदवरदाई ने (पृथ्वीराज -रासो )की रचना किया था जो कालजयी साबित हो गई। इस रचना में ६९ अध्याय हैं। चंदवरदाई के ऊपर (जालंधरी देवी ) की विशेष कृपा थी।
चंदवरदाई को ,षट भाषा ,काव्य ,साहित्य ,व्याकरण ,ज्योतिष ,पुराण ,छंद शास्त्र ,और अन्य विद्याओं में पारंगता प्राप्त थी। चंदवरदाई और पृथ्वीराज दोनों एक साथ ,हर जगह ,हर पल ,हर क्षण ,सदैव साथ -साथ रहते थे। जैसे क्षीर में नीर की उपलब्धता को पहचानना किसी के लिए सम्भव नहीं है ,वही हाल पृथ्वीराज और चंदवरदाई का भी था ,यहां तक की मौत भी इन दोनों को अलग नहीं कर सकी थी।
Prithviraj Raaso ke Rachnakar Kaun Hai?
पृथ्वीराज रासो के रचनाकार है चंदबरदाई। चंदबरदाई का जन्म लाहौर में हुआ था। बाद में वे महाराजा पृथ्वीराज के परममित्र, राजकवि और सहयोगी हो गए। उनकी कविताए प्रेम रस और वीर रस से भरी होती थी। उनके वीर रस की कविताओं में राष्ट्रीय चेतना और राष्ट्र प्रेम झलकता था।
चंदबरदाई का प्रसिद्ध ग्रंथ “पृथ्वीराज रासो” है। पृथ्वीराज रासो की भाषा शैली को विद्वानों ने ‘पिंगल’ कहा है। यह भाषा राजस्थान में ब्रज भाषा का पर्याय है और इसी कारण से चंदबरदाई को ब्रज भाषा का पहला महाकवि माना जाता है।
पृथ्वीराज रासो में पृथ्वीराज के युद्धों का वर्णन है। चंदबरदाई ने इस ग्रंथ की रचना प्रत्यक्षदर्शी की तरह की है। (कहा जाता है कि प्रत्येक युद्ध में वे पृथ्वीराज के साथ रहते थे और कविताओं के माध्यम से सैनिको का हौसला बढ़ाते थे।) लेकिन पृथ्वीराज और चंदबरदाई के अंतिम क्षणों का वर्णन इस ग्रंथ में किसी दूसरे अज्ञात कवि ने किया है।
चंदबरदाई की इष्ट देवी जालंधरी देवी थी और उनकी कृपा से वे कोई भी रचना बहुत ही बेहतर तरीके से कर सकते थे। इस तरह से उन्होंने एक महान ग्रंथ “पृथ्वीराज रासो” की रचना की।
पृथ्वीराज रासो इन हिंदी Pdf Download
पुस्तक का नाम | Prithviraj Raso In Hindi Pdf |
पुस्तक के लेखक | चंद बरदाई |
फॉर्मेट | |
साइज | 6.8 Mb |
पृष्ठ | 241 |
श्रेणी | इतिहास |
भाषा | हिंदी |


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