नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Radheshyam Ramayan Pdf Hindi देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से Radheshyam Ramayan Pdf Hindi Download कर सकते हैं और आप यहां से रामरक्षा स्तोत्र Pdf Download कर सकते हैं।

 

 

 

Radheshyam Ramayan Pdf Hindi 

 

 

 

 

सिर्फ पढ़ने के लिए

 

 

 

हे नाथ! जब अयोध्यापुरी में आपका राजतिलक होगा तब हे कृपासागर! मैं आपकी उदार लीला देखने आऊंगा।

 

 

चौपाई का अर्थ-

 

 

जब शिव जी विनती करके चले गए तब विभीषण जी प्रभु के पास आये और चरणों में सिर नवाकर कोमल वाणी से बोले – हे शारंग धनु को धारण करने वाले प्रभो! मेरी विनती सुनिए।

 

 

 

आपने कुल और सेना सहित रावण का अंत किया त्रिभुवन में अपना पवित्र यश फैलाया और मुझ दीन, पापी, बुद्धिहीन और जातिहीन पर बहुत प्रकार से कृपा किया।

 

 

 

अब हे प्रभु! इस दस के घर को पवित्र कीजिए और वहां चलकर स्नान कीजिए जिससे युद्ध की थकावट दूर हो जाय। हे कृपालु! खजाना, सम्पत्ति, महल का निरीक्षण करके प्रसन्नता पूर्वक वानरों को दीजिए।

 

 

 

हे नाथ! मुझे सब प्रकार से अपना लीजिए और फिर हे प्रभो! मुझे साथ लेकर अयोध्यापुरी को पधारिये। विभीषण के कोमल वचन सुनते ही दीनदयाल प्रभु के दोनों विशाल नयन में जल भर आया।

 

 

 

116- दोहा का अर्थ-

 

 

श्री राम जी ने कहा – हे भाई! सुनो, तुम्हारा खजाना और घर सब मेरा ही है, यह बात सच है। पर भरत की दशा याद करके मुझे एक-एक पल कल्प के समान बीत रहा है।

 

 

 

तपस्वी के वेश में दुबले शरीर से निरंतर मेरा नाम जप रहे है। हे सखा! वही उपाय करो जिससे मैं जल्दी ही उन्हें देख सकूं। मैं तुमसे निहोरा कर रहा हूँ।

 

 

 

यदि अवधि बीत जाने पर जाऊंगा तो भाई को जीवित नहीं देख सकूंगा। छोटे भाई भरत जी की प्रीति का स्मरण करके प्रभु का शरीर बार-बार पुलकित हो रहा है।

 

 

 

श्री राम जी ने कहा – हे विभीषण! तुम कल्प भर राज करना, मन में मेरा निरंतर स्मरण करते रहना फिर तुम मेरे उस धाम को प्राप्त करोगे जहां सब संत जाते है।

 

 

 

चौपाई का अर्थ-

 

 

श्री राम जी के वचन सुनते ही विभीषण ने हर्षित होकर कृपा के धाम श्री राम जी के चरण पकड़ लिए। सभी वानर भालू हर्षित हो गए और प्रभु के चरण पकड़कर उनके निर्मल गुणों का बखान करने लगे।

 

 

 

फिर विभीषण जी महल मे गए और उन्होंने मणि के समूह से और वस्त्रो से विमान को भर लिया फिर उस पुष्पक विमान को लाकर प्रभु के सामने रखा।

 

 

 

तब कृपा सागर श्री राम जी ने हंसकर कहा – हे सखा विभीषण! सुनो, विमान पर चढ़कर आकाश में जाकर वस्त्रो और गहनों को बरसा दो। तब आज्ञा सुनते ही विभीषण जी ने आकाश में जाकर सब मणियों और वस्त्रो को बरसा दिया।

 

 

 

जिसके मन में जो अच्छा लगा वह उसे ही ले लेता है। मणियों को मुंह में लेकर वानर उसे खाने की चीज न समझकर उगल देते है। यह तमाशा देखकर परम विनोदी और कृपा के धाम श्री राम जी सीता जी और लक्ष्मण जी सहित हंसने लगे।

 

 

 

राधेश्याम रामायण पीडीऍफ़ Download

 

 

 

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राधेश्याम रामायण पीडीएफ डाउनलोड भाग 1 

 

 

 

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राधेश्याम रामायण पीडीएफ भाग 2 

 

 

 

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राधेश्याम रामायण पीडीएफ भाग 3 

 

 

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